बुरहानपुर। मंगलवार को पूरे देश में हनुमान जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. सनातन धर्म में हनुमान जयंती का खासा महत्व है. लोगों का मानना है कि इसी दिन अंजनी पुत्र हनुमान का जन्म हुआ था. ऐसे में संकट मोचन के भक्त इस दिन को बेहद ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं. एक बार भगवान राम की लंबी उम्र की कामना करते हुए हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था. तब से ही भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई. देश में विभिन्न जगहों में हनुमान जी के विशेष मंदिर हैं. उन्ही में से एक बुरहानपुर जिले में मौजूद है.
लगातार बढ़ रही है हनुमान जी की मूर्ति
जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर उखड़ गांव में श्री रोकड़िया हनुमान मंदिर है. जहां विराजित हनुमान जी की मूर्ति का आकार सैकड़ों सालों से तिल-तिल कर बढ़ रहा है. पुजारी संदीप शुक्ला का दावा है कि 1962 में इस मूर्ति की ऊंचाई 3 फिट और 1980 में साढ़े तीन फीट थी. अब साल दर साल बढ़कर मूर्ति की ऊंचाई पांच फीट से ज्यादा हो गई है. इसके अलावा इस मंदिर को रोकड़ वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है. बुजुर्ग बताते हैं कि आर्थिक तंगी के समय यहां मत्था टेकने से आर्थिक तंग का संकट खत्म हो जाता है.
यहां पूजा अर्चना करने से दूर होती है धन की कमी
हनुमान जयंती से पहले रोकड़िया हनुमान मंदिर में अखंड रामायण पाठ का वाचन किया गया. लोगों का मानना है कि ये हनुमान जी की मूर्ति करीब 500 साल पुरानी है, जो स्वयं प्रकट हुई है. अब यहां पर्यटन विभाग और जन सहयोग से बड़ा परिसर व धर्मशाला बन चुके हैं. भक्तों का दावा है कि रोकड़िया हनुमान जी धन की कमी को दूर करते हैं, यही वजह है कि यहां हर शनिवार और मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्त पूजन के लिए पहुंचते हैं. हनुमान जयंती के मौके पर करीब 20 हजार भक्त पहुंचते हैं.
व्यापारी हनुमान जी को सौंप जाते थे अपनी संपत्ति
इस मंदिर का नाम रोकड़िया हनुमान पड़ने के पीछे की दिलचस्प कहानी है. मंदिर के पुजारी संदीप शुक्ला के मुताबिक, ' 400-500 साल पहले बैंक नहीं थे, ऐसे में अधिकांश लोग किसी सुरक्षित स्थान पर अपनी मुद्राएं व कीमती वस्तुएं छिपाकर रखते थे. उस समय से ही मंदिर से लगी पांव बावड़ी है, यहां भक्तों की तादाद को देखते हुए इसे अब लोहे की जालियों से ढ़क दिया गया है. इस बावड़ी के अंदर एक तलघर था. क्षेत्र के व्यापारी जब व्यापार करने दूसरे शहरों का रुख करते थे. उससे पहले वह अपना धन और कीमती वस्तुएं उस तलघर में रखकर हनुमान जी को उसकी सुरक्षा का जिम्मा सौंप जाते थे. वे जब लौटते थे तो उनका धन सुरक्षित मिलता था. जिसके चलते इस मंदिर का नाम रोकड़िया हनुमान मंदिर रखा गया.'