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मध्य प्रदेश की हकीकत! गांव में सड़क नहीं, मरीज को झोले में डाल तय करते हैं मीलों का सफर - no road MP tribal villages

MP Tribals Villages No Road : बुरहानपुर जिले में कई आदिवासी बस्तियां ऐसी हैं, जहां सड़क नहीं है. मरीजों को ग्रामीण कपड़े का झोला बनाकर उसमें टांगकर सड़क लाते हैं. ऐसी ही तस्वीर फिर सामने आई. ग्रामीणों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को भी इसी प्रकार सड़क तक लाना पड़ता है.

NO ROAD MP TRIBAL VILLAGES
बुरहानपुर के गांव में सड़क की समस्या (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 19, 2024, 11:20 AM IST

बुरहानपुर। आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासी फालियाओं के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. ताजा मामला पंचायत के मालवीर के घावटी फालिया से सामने आया है. यहां के ग्रामीण मरीजों को झोला बनाकर कंधे के सहारे पैदल सफर तयकर मुख्य सड़क तक लाने को मजबूर हैं. दरअसल, ग्रामीण नवल सिंह की तबियत बिगड़ने पर ग्रामीण उसे झोला बनाकर कंधे पर लादकर कई किलोमीटर जामटी गांव तक लेकर पहुंचे, यहां से निजी वाहन से मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया.

रोड न होने के चलते कंधे पर इलाज के लिए जाते हैं मरीज (ETV Bharat)

घावटी फालिया से जामटी गांव पहुंचने के लिए सड़क नहीं

बता दें कि घावटी फालिया से जामटी गांव पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के चलते ग्रामीण मरीजों को झोली बनाकर कंधों के सहारे लाते हैं. यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को भी इसी तरह अस्पताल पहुंचाया जाता है. सरपंच भूरा मंगा ने बताया "नवलसिंह जैसे कई ग्रामीण लोग आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में 60 से ज्यादा टपरे हैं. इसमें सैकड़ों लोग रहते हैं, लेकिन सड़क का अभाव है. जिससे बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है."

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आदिवासी बस्तियों में अब तक सड़क सुविधा नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हालात चिंताजनक हैं. सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि अधिकांश आदिवासी फालियाओं में पहुंच मार्ग कच्चे हैं. गर्भवती महिलाओं को इसी तरह कभी खटिया के सहारे तो कभी झोली में डालकर कंधे पर लादकर मुख्य मार्ग पर या गांव में लाना पडता है. बारिश के दिनों में ग्रामीणों की मुसीबत और बढ़ जाती है.

बुरहानपुर। आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासी फालियाओं के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. ताजा मामला पंचायत के मालवीर के घावटी फालिया से सामने आया है. यहां के ग्रामीण मरीजों को झोला बनाकर कंधे के सहारे पैदल सफर तयकर मुख्य सड़क तक लाने को मजबूर हैं. दरअसल, ग्रामीण नवल सिंह की तबियत बिगड़ने पर ग्रामीण उसे झोला बनाकर कंधे पर लादकर कई किलोमीटर जामटी गांव तक लेकर पहुंचे, यहां से निजी वाहन से मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया.

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घावटी फालिया से जामटी गांव पहुंचने के लिए सड़क नहीं

बता दें कि घावटी फालिया से जामटी गांव पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के चलते ग्रामीण मरीजों को झोली बनाकर कंधों के सहारे लाते हैं. यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को भी इसी तरह अस्पताल पहुंचाया जाता है. सरपंच भूरा मंगा ने बताया "नवलसिंह जैसे कई ग्रामीण लोग आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में 60 से ज्यादा टपरे हैं. इसमें सैकड़ों लोग रहते हैं, लेकिन सड़क का अभाव है. जिससे बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है."

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आदिवासी बस्तियों में अब तक सड़क सुविधा नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हालात चिंताजनक हैं. सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि अधिकांश आदिवासी फालियाओं में पहुंच मार्ग कच्चे हैं. गर्भवती महिलाओं को इसी तरह कभी खटिया के सहारे तो कभी झोली में डालकर कंधे पर लादकर मुख्य मार्ग पर या गांव में लाना पडता है. बारिश के दिनों में ग्रामीणों की मुसीबत और बढ़ जाती है.

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