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बुरहानपुर में राजा जयसिंह की ऐतिहासिक इमारत बदहाली का शिकार, छत्री में उगे पीपल के पौधे

Burhanpur historical building : बुरहानपुर में ऐतिहासिक स्मारक राजा जय सिंह की छत्री के ऊपरी हिस्से में पीपल के पौधे उग आए हैं. ये पौधे जैसे-जैसे बड़े हो रहे हैं तो पत्थरों के जोड़ में दरारें पड़ रही हैं. इससे इमारत को खतरा पैदा हो रहा है.

Burhanpur historical building raja jai singh in danger
बुरहानपुर में राजा जयसिंह की ऐतिहासिक इमारत बदहाली का शिकार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 11:12 AM IST

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर बोहरडा गांव में स्थित पत्थरों से बने सैकड़ों वर्ष पुराने ऐतिहासिक स्मारक राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पीपल के पौधे उग आए हैं. इससे मजबूत जोड़ में दरारें पड़ गई हैं. पौधे लगातार बड़े हो रहे हैं. इससे इन पत्थरों में गेप हो रहा है. ऐतिहासिक महत्व की इस इमारत की इस बदहाली से शहर के लोगों में रोष है. लोगों का कहना है कि इसकी मरम्मत करने की जरूरत है.

पत्थरों के बीच पौधे कैसे उगे

लोग ये जानना चाहते हैं कि पत्थरों में पौधे कैसे उग रहे हैं. इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पक्षी को किसी फल का बीच हजम नहीं होता है तो वह उसे वह बाहर निकाल देता है. वह बीज पत्थरों के बीच में उग जाता है. इतिहासकार व विशेषज्ञ कमरूद्दीन फलक बताते हैं कि पीपल के फल का बीज बारीक और सख्त होता है. यह पक्षियों को हजम नहीं होता. वह पक्षियों की बीट में निकलता है. पक्षी फल खाकर इमारत के ऊपरी हिस्से में बैठ जाते हैं, इस पर बीट कर देते हैं, इससे बीज निकलता है और वह उग जाता है.

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पौधे उगने का ये है कारण

राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पौधे उगने का यही कारण है. क्योंकि ये पत्थर अपने अंदर नमी दबाए रखते हैं. नमी और धूप मिलने के साथ पक्षियों की बीट खाद का काम करती है. इस कारण यह बीज उग आते हैं और पेड़ बन जाते हैं. कमरूद्दीन फलक ने बताया राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पीपल के पौधे के कारण इमारत को नुकसान हो रहा है. पौधे बड़े हो रहे हैं, इनकी जड़ों के कारण पत्थरों के जोड़ में दरारें पड़ रही हैं. ये पेड़ दो साल में पत्थरों को चीरना शुरू कर देते हैं.

बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर बोहरडा गांव में स्थित पत्थरों से बने सैकड़ों वर्ष पुराने ऐतिहासिक स्मारक राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पीपल के पौधे उग आए हैं. इससे मजबूत जोड़ में दरारें पड़ गई हैं. पौधे लगातार बड़े हो रहे हैं. इससे इन पत्थरों में गेप हो रहा है. ऐतिहासिक महत्व की इस इमारत की इस बदहाली से शहर के लोगों में रोष है. लोगों का कहना है कि इसकी मरम्मत करने की जरूरत है.

पत्थरों के बीच पौधे कैसे उगे

लोग ये जानना चाहते हैं कि पत्थरों में पौधे कैसे उग रहे हैं. इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पक्षी को किसी फल का बीच हजम नहीं होता है तो वह उसे वह बाहर निकाल देता है. वह बीज पत्थरों के बीच में उग जाता है. इतिहासकार व विशेषज्ञ कमरूद्दीन फलक बताते हैं कि पीपल के फल का बीज बारीक और सख्त होता है. यह पक्षियों को हजम नहीं होता. वह पक्षियों की बीट में निकलता है. पक्षी फल खाकर इमारत के ऊपरी हिस्से में बैठ जाते हैं, इस पर बीट कर देते हैं, इससे बीज निकलता है और वह उग जाता है.

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राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पौधे उगने का यही कारण है. क्योंकि ये पत्थर अपने अंदर नमी दबाए रखते हैं. नमी और धूप मिलने के साथ पक्षियों की बीट खाद का काम करती है. इस कारण यह बीज उग आते हैं और पेड़ बन जाते हैं. कमरूद्दीन फलक ने बताया राजा जयसिंह की छत्री के ऊपरी भाग में पीपल के पौधे के कारण इमारत को नुकसान हो रहा है. पौधे बड़े हो रहे हैं, इनकी जड़ों के कारण पत्थरों के जोड़ में दरारें पड़ रही हैं. ये पेड़ दो साल में पत्थरों को चीरना शुरू कर देते हैं.

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