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खुशियों के त्योहार पर बुरहानपुर में गंगा-जमुनी तहजीब, मुस्लिम महिलाओं की राखी बढ़ाएगी हिंदू भाईयों के कलाई की शोभा - Burhanpur Ganga Jamuni Tehzeeb

सोमवार को भाई-बहन का पावन पर्व रक्षाबंधन है. रक्षाबंधन त्योहार को लेकर बुरहानपुर में हिंदू-मुस्लिम महिलाएं मिलकर राखियां तैयार कर रही हैं. महिलाओं द्वारा बनाई जा रही इन राखियों की बाजार में खूब डिमांड भी है. बता दें यह राखियां ईको फ्रेंडली है.

BURHANPUR GANGA JAMUNI TEHZEEB
मुस्लिम महिलाओं की राखी बढ़ाएगी हिंदू भाईयों के कलाई की शोभा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 11:14 AM IST

Updated : Aug 18, 2024, 11:21 AM IST

बुरहानपुर: ऐतिहासिक शहर प्राचीन काल से ही गंगा-जमुनी तहजीब के लिए देशभर में मशहूर है. यहां हिंदू और मुस्लिम समाज के त्यौहारों में अक्सर हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है. इस बार रक्षाबंधन पर्व को लेकर फरजाना शेख, शमीम, मरजीना सहित 24 मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से करीब 2000 ईको फ्रेंडली राखियां बनाई है, जो रक्षा बंधन पर हिंदू भाईयों की कलाई पर बांधेंगी. इस राखी को बांधकर बहने अपने भाईयों से उनकी रक्षा का वचन मांगेगी. यह राखी न केवल भाईयों के कलाई की शोभा बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल साबित होंगी.

खुशियों के त्योहार पर बुरहानपुर में गंगा-जमुनी तहजीब (ETV Bharat)

बुरहानपुर में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल

जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर फतेहपुर गांव में 7 समूहों की 150 महिलाएं राखियां बना रही हैं. खास बात यह है कि इसमें 24 महिलाएं मुस्लिम है, जो अपने हाथों से हिंदू-भाईयों के कलाई के लिए राखी बना रही है. अब महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काफी आगे निकल चुकी हैं, आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं, इन राखियों को बनाने में केले के तने से निकाले गए रेशों व अन्य प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है.

RAKHI DEMAND IN BURHANPUR MARKET
फरजाना ने बनाई 700 राखियां (ETV Bharat)

ईको फ्रेंडली राखियां बना रहीं महिलाएं

देखने में आकर्षक और इको फ्रेंडली होने के कारण इनकी डिमांड भी बढ़ी है, करीब डेढ़ सौ महिलाओं ने अब तक 5000 से ज्यादा राखियां तैयार कर ली है. खास बात यह है कि इसमें मुस्लिम महिलाएं शामिल हैं. इसी तरह अन्य गांव में भी महिलाएं राखियां बना रही हैं. बीते 2 वर्षों से हर रक्षा बंधन पर यह काम किया जाता है, अब इस राखी की डिमांड आसपास के जिलों से भी आने लगी है. टीम लीडर खुशबू तिवारी का कहना है कि 'पहले समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया और अब उनके द्वारा बनाई गई राखियों को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है.'

यहां पढ़ें...

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महिलाओं को मिले बड़े आर्डर

बता दें कि बाजारों में इस राखी की कीमत 20 रुपये रखी गई है. पिछले पंद्रह दिनों से रोजाना फरजाना शेख की 50 राखियां की बिक रही हैं, इससे अच्छा मेहनताना निकल रहा है. इसी तरह अन्य महिलाओं की राखियां भी खूब बिक रही हैं. यही नहीं महिलाओं ने केले के वेस्टेज से घरेलू उपयोग की अनगिनत वस्तुएं बनाई है, इसमें टोकरी, पेन स्टैंड, मोबाइल कवर, पूजा पाठ में उपयोग होने वाली छोटी झाड़ू, सुसज्जित देव घर सहित अन्य प्रकार की वस्तुएं शामिल है. महिलाओं के इस काम को प्रशासनिक स्तर पर सराहा गया है, अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने महिलाओं को बड़ी तादाद में राखियों के आर्डर दिए हैं. अब महिलाएं आर्डर तैयार कर रही हैं.

बुरहानपुर: ऐतिहासिक शहर प्राचीन काल से ही गंगा-जमुनी तहजीब के लिए देशभर में मशहूर है. यहां हिंदू और मुस्लिम समाज के त्यौहारों में अक्सर हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है. इस बार रक्षाबंधन पर्व को लेकर फरजाना शेख, शमीम, मरजीना सहित 24 मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से करीब 2000 ईको फ्रेंडली राखियां बनाई है, जो रक्षा बंधन पर हिंदू भाईयों की कलाई पर बांधेंगी. इस राखी को बांधकर बहने अपने भाईयों से उनकी रक्षा का वचन मांगेगी. यह राखी न केवल भाईयों के कलाई की शोभा बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल साबित होंगी.

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जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर फतेहपुर गांव में 7 समूहों की 150 महिलाएं राखियां बना रही हैं. खास बात यह है कि इसमें 24 महिलाएं मुस्लिम है, जो अपने हाथों से हिंदू-भाईयों के कलाई के लिए राखी बना रही है. अब महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काफी आगे निकल चुकी हैं, आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं, इन राखियों को बनाने में केले के तने से निकाले गए रेशों व अन्य प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है.

RAKHI DEMAND IN BURHANPUR MARKET
फरजाना ने बनाई 700 राखियां (ETV Bharat)

ईको फ्रेंडली राखियां बना रहीं महिलाएं

देखने में आकर्षक और इको फ्रेंडली होने के कारण इनकी डिमांड भी बढ़ी है, करीब डेढ़ सौ महिलाओं ने अब तक 5000 से ज्यादा राखियां तैयार कर ली है. खास बात यह है कि इसमें मुस्लिम महिलाएं शामिल हैं. इसी तरह अन्य गांव में भी महिलाएं राखियां बना रही हैं. बीते 2 वर्षों से हर रक्षा बंधन पर यह काम किया जाता है, अब इस राखी की डिमांड आसपास के जिलों से भी आने लगी है. टीम लीडर खुशबू तिवारी का कहना है कि 'पहले समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया और अब उनके द्वारा बनाई गई राखियों को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है.'

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महिलाओं को मिले बड़े आर्डर

बता दें कि बाजारों में इस राखी की कीमत 20 रुपये रखी गई है. पिछले पंद्रह दिनों से रोजाना फरजाना शेख की 50 राखियां की बिक रही हैं, इससे अच्छा मेहनताना निकल रहा है. इसी तरह अन्य महिलाओं की राखियां भी खूब बिक रही हैं. यही नहीं महिलाओं ने केले के वेस्टेज से घरेलू उपयोग की अनगिनत वस्तुएं बनाई है, इसमें टोकरी, पेन स्टैंड, मोबाइल कवर, पूजा पाठ में उपयोग होने वाली छोटी झाड़ू, सुसज्जित देव घर सहित अन्य प्रकार की वस्तुएं शामिल है. महिलाओं के इस काम को प्रशासनिक स्तर पर सराहा गया है, अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने महिलाओं को बड़ी तादाद में राखियों के आर्डर दिए हैं. अब महिलाएं आर्डर तैयार कर रही हैं.

Last Updated : Aug 18, 2024, 11:21 AM IST
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