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तेवर गरम हैं! बुंदेलखंड के दिग्गजों में कोल्ड वार, आखिर क्यों सागर से लेकर भोपाल तक घमासान - BUNDELKHAND BJP POLITICS

मध्यप्रदेश बीजेपी पर भारी पड रही बुंदेलखंड के दिग्गजों की आपसी लडाई, आखिर क्यों सागर से लेकर भोपाल तक घमासान

BUNDELKHAND BJP POLITICS
बुंदेलखंड में दिग्गजों की लड़ाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 20, 2024, 9:09 PM IST

Updated : Dec 20, 2024, 9:28 PM IST

सागर: 'पार्टी विद द डिफरेंस' और अनुशासन के नारे के साथ अपने संगठन को भाजपा देश और दुनिया का सबसे बड़ा और काबिल संगठन बताती है. लेकिन जब मध्यप्रदेश में तीन चौथाई बहुमत वाली भाजपा की सरकार राज कर रही है, तब सत्ताधारी दल की आपसी लड़ाई रोजाना सड़क और सदन पर नजर आ रही है. हालांकि ये लड़ाई बुंदेलखंड से शुरू हुई है और इसकी वजह असली भाजपा और बीजेपी में बाहर से आए लोग माने जा रहे हैं.

अपनी ही सरकार को चुनौती दे रहे भूपेंद्र सिंह
दरअसल बुंदेलखंड में एक समय ऐसा था कि तीन-तीन कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे. लेकिन आज सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री है और वो भी सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं. वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह और गोपाल भार्गव जैसे नेता भारी भरकम वोटों से जीतने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके हैं. यहां तक तो ठीक था, लेकिन मंत्री भूपेन्द्र सिंह इलाके में हस्तक्षेप, उनके समर्थकों को परेशान किए जाने जैसी घटनाओं को लेकर खुलकर सामने आ गए हैं. मामला इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भूपेन्द्र सिंह खुलकर सरकार और संगठन को चुनौती देते नजर आ रहे हैं.

Bhupendra Singh against Mohan govt
घटनाओं को लेकर खुलकर सामने आए भूपेंद्र सिंह (ETV Bharat)

विधानसभा सत्र में भूपेन्द्र सिंह के आक्रमक तेवर
मध्यप्रदेश विधानसभा के मौजूदा शीतकालीन सत्र की बात करें, तो ये सत्र पूर्व गृह मंत्री और खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह के बगावती तेवर के लिए जाना जाएगा. उन्होंने विधानसभा में ऐसे ऐसे मुद्दे उठाए कि भाजपा की मोहन यादव सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ी. इन मुद्दों में भूपेन्द्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई के मालथौन से गुजरने वाले नेशनल हाइवे 44 पर टोल टैक्स की गुंडों द्वारा वसूली का मामला उठाया. तो मध्यप्रदेश के स्कूलों में बच्चों के यौन शोषण का मामला उठाया.

dispute in bhupendra govind rajput
बीजेपी के दो सीनियर नेता आमने-सामने (ETV Bharat)

भूपेंद्र सिंह को स्वीकार नहीं दो भाजपा नेता
वहीं, भोपाल में भूपेन्द्र सिंह ने कुछ मीडिया चैनल में इंटरव्यू देकर सीधे तौर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को आडे हाथों लिया. तो बिना नाम लिए ये भी कह दिया कि वो भाजपा में दो नेताओं को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. बुंदेलखंड की राजनीति को समझने वाले जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके निशाने पर बुंदेलखंड के इकलौते कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके विधानसभा क्षेत्र के नेता अरूणोदय चौबे हैं. जो गोविंद सिंह के जरिए भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

इसके पहले भूपेन्द्र सिंह सागर में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के सामने पुलिस पर सीडीआर के जरिए उनके करीबियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगा चुके हैं और जांच की मांग कर चुके हैं. भूपेन्द्र सिंह, वीडी शर्मा के बारे में तो एक इंटरव्यू में ये तक कह चुके हैं कि उन्होंने तो लंबे समय एबीवीपी में काम किया है. भाजपा में काम करने का तो उनको पांच छह साल का ही अनुभव है.

शिवराज सिंह चौहान के करीबी हैं भूपेंद्र सिंह
दूसरी तरफ सरकार की तरफ से भी ऐसा नजर नहीं आ रहा है कि भूपेन्द्र सिंह की नाराजगी कम करने के लिए कोई प्रयास किए जा रहे हों. बता दें कि भूपेन्द्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे नजदीकी नेताओं में माने जाते हैं. ऐसे में भूपेन्द्र सिंह को हलके में भी नहीं लिया जा सकता है.

दोनों नेताओं में वर्चस्व की जंग
वरिष्ठ पत्रकार और बुंदेलखंड की राजनीति को नजदीक से समझने वाले देवदत्त दुबे कहते हैं कि, ''दोनों ही नेता पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं, दो बार सुरखी विधानसभा से दोनों विधानसभा चुनाव में आमने सामने रहे हैं. एक बार भूपेन्द्र सिंह जीते, तो एक बार गोविंद सिंह जीते हैं. पहले दोनों नेता अलग-अलग विरोधी दलों में होकर लड़ाई लड़ते थे. अब एक ही दल में जो घटनाक्रम घट रहा है, ये वर्चस्व की जंग है.''

सागर: 'पार्टी विद द डिफरेंस' और अनुशासन के नारे के साथ अपने संगठन को भाजपा देश और दुनिया का सबसे बड़ा और काबिल संगठन बताती है. लेकिन जब मध्यप्रदेश में तीन चौथाई बहुमत वाली भाजपा की सरकार राज कर रही है, तब सत्ताधारी दल की आपसी लड़ाई रोजाना सड़क और सदन पर नजर आ रही है. हालांकि ये लड़ाई बुंदेलखंड से शुरू हुई है और इसकी वजह असली भाजपा और बीजेपी में बाहर से आए लोग माने जा रहे हैं.

अपनी ही सरकार को चुनौती दे रहे भूपेंद्र सिंह
दरअसल बुंदेलखंड में एक समय ऐसा था कि तीन-तीन कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे. लेकिन आज सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री है और वो भी सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं. वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह और गोपाल भार्गव जैसे नेता भारी भरकम वोटों से जीतने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके हैं. यहां तक तो ठीक था, लेकिन मंत्री भूपेन्द्र सिंह इलाके में हस्तक्षेप, उनके समर्थकों को परेशान किए जाने जैसी घटनाओं को लेकर खुलकर सामने आ गए हैं. मामला इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भूपेन्द्र सिंह खुलकर सरकार और संगठन को चुनौती देते नजर आ रहे हैं.

Bhupendra Singh against Mohan govt
घटनाओं को लेकर खुलकर सामने आए भूपेंद्र सिंह (ETV Bharat)

विधानसभा सत्र में भूपेन्द्र सिंह के आक्रमक तेवर
मध्यप्रदेश विधानसभा के मौजूदा शीतकालीन सत्र की बात करें, तो ये सत्र पूर्व गृह मंत्री और खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह के बगावती तेवर के लिए जाना जाएगा. उन्होंने विधानसभा में ऐसे ऐसे मुद्दे उठाए कि भाजपा की मोहन यादव सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ी. इन मुद्दों में भूपेन्द्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई के मालथौन से गुजरने वाले नेशनल हाइवे 44 पर टोल टैक्स की गुंडों द्वारा वसूली का मामला उठाया. तो मध्यप्रदेश के स्कूलों में बच्चों के यौन शोषण का मामला उठाया.

dispute in bhupendra govind rajput
बीजेपी के दो सीनियर नेता आमने-सामने (ETV Bharat)

भूपेंद्र सिंह को स्वीकार नहीं दो भाजपा नेता
वहीं, भोपाल में भूपेन्द्र सिंह ने कुछ मीडिया चैनल में इंटरव्यू देकर सीधे तौर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को आडे हाथों लिया. तो बिना नाम लिए ये भी कह दिया कि वो भाजपा में दो नेताओं को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. बुंदेलखंड की राजनीति को समझने वाले जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके निशाने पर बुंदेलखंड के इकलौते कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके विधानसभा क्षेत्र के नेता अरूणोदय चौबे हैं. जो गोविंद सिंह के जरिए भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

इसके पहले भूपेन्द्र सिंह सागर में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के सामने पुलिस पर सीडीआर के जरिए उनके करीबियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगा चुके हैं और जांच की मांग कर चुके हैं. भूपेन्द्र सिंह, वीडी शर्मा के बारे में तो एक इंटरव्यू में ये तक कह चुके हैं कि उन्होंने तो लंबे समय एबीवीपी में काम किया है. भाजपा में काम करने का तो उनको पांच छह साल का ही अनुभव है.

शिवराज सिंह चौहान के करीबी हैं भूपेंद्र सिंह
दूसरी तरफ सरकार की तरफ से भी ऐसा नजर नहीं आ रहा है कि भूपेन्द्र सिंह की नाराजगी कम करने के लिए कोई प्रयास किए जा रहे हों. बता दें कि भूपेन्द्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे नजदीकी नेताओं में माने जाते हैं. ऐसे में भूपेन्द्र सिंह को हलके में भी नहीं लिया जा सकता है.

दोनों नेताओं में वर्चस्व की जंग
वरिष्ठ पत्रकार और बुंदेलखंड की राजनीति को नजदीक से समझने वाले देवदत्त दुबे कहते हैं कि, ''दोनों ही नेता पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं, दो बार सुरखी विधानसभा से दोनों विधानसभा चुनाव में आमने सामने रहे हैं. एक बार भूपेन्द्र सिंह जीते, तो एक बार गोविंद सिंह जीते हैं. पहले दोनों नेता अलग-अलग विरोधी दलों में होकर लड़ाई लड़ते थे. अब एक ही दल में जो घटनाक्रम घट रहा है, ये वर्चस्व की जंग है.''

Last Updated : Dec 20, 2024, 9:28 PM IST
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