वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर की कार्रवाई शुरू हो गई है. बुलडोजर का यह एक्शन 76 मकान को लेकर शुरू हुआ है जो नगर निगम के 489 मकान की लिस्ट में अति जर्जर है. नगर निगम ने इन मकानों को लेकर अपनी वीटो पावर का प्रयोग करना शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत शनिवार से वाराणसी के प्यारी इलाके से की गई. जहां अति जर्जर भवन को गिराने के लिए टीम पहुंची.
भवनों को गिराने बुलडोजर लेकर पहुंची टीम का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. एक महिला तो बुलडोजर के आगे लेट गई. लेकिन, नगर निगम की टीम ने किसी की नहीं सुनी और जर्जर भवन को जमींदोज कर दिया. टीम ने पियरी चौकी के सामने भवन को गिरा दिया.
इस दौरान भवन में रहने वाले किराएदारों और मालिक को निकाला गया. निगम ने 13 नवम्बर 2023 को इस भवन को गिराने के लिए नोटिस दिया था. नगर निगम द्वारा शहर में 76 जर्जर मकानों की पहचान की गई है. इनमें रहने वालों को को नोटिस देकर खाली कराते हुए उन्हें ध्वस्त कराया जाएगा.
भवन को गिराने जैसे ही नगर निगम और पुलिस प्रशासन की टीम पहुंची तो वहां रहने वाले किरायेदारों और प्रशासन के बीच जमकर कहासुनी हुई. बुलडोजर के आगे महिलाएं आकर आपत्ति जताने लगीं, जिसके बाद मौजूद पुलिस प्रशासन ने उन्हें मौके से हटाया. पुलिस फोर्स की मौजूदगी में भवन पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई और उसे ध्वस्त किया गया.
नगर निगम ने इस भवन को 2014 में जर्जर घोषित किया था. किराएदारों से पुलिस ने आज भवन खाली कराया और गिरा दिया. नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 334 की उपधारा-3 के अंतर्गत, जिन मकान मालिकों को नोटिस जारी किया जाएगा, उन्हें तुरंत मकान खाली करना होगा. जब तक नोटिस वापस नहीं लिया जाता, उस भवन में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. हालांकि, मकान मालिक को कोई वैध निर्माण की अनुमति होगी.
नगर निगम ने शहर में 489 भवन जर्जर चिह्नित किया है. इसमें से चौक, कोतवाली व दशाश्वमेध जोन में करीब 100 से अधिक मकान काफी जर्जर हैं. यह मकान 200 से 300 साल पुराने बताए जा रहे हैं और कभी भी गिरकर सकते हैं. वहीं 50 से अधिक जर्जर मकान में किराएदारी का विवाद चल रहा है. विवाद कोर्ट में लंबित होने के चलते नगर निगम प्रशासन भी कार्रवाई करने से बचता है. निगम का यही लचीलापन भवन मालिकों के बचने का मुफीद हथियार साबित होता है.
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि मकान खाली करने के बाद नगर निगम नियमानुसार ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू करेगा और इसका खर्च मकान मालिक से वसूला जाएगा. निर्धारित समय सीमा के भीतर मकान खाली न करने या आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित मकान मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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