भोपाल: मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट बुधनी का चुनावी मुद्दा गाय भी है. इस सीट पर एक पूरा इलाका गाय की खातिर वोट करने जा रहा है. 'जो गौशाला बनवाएगा वो वोट पाएगा.'' इस मांग के साथ छिंदगांव काछी गांव का वोटर सवाल कर रहा है. क्या सड़कों पर बैठी गांवों को आसरा मिल पाएगा? ईटीवी भारत बुधनी की ग्राउण्ड रिपोर्ट के लिए जब यहां पहुंचा तो इस इलाके में बिजली, सड़क, पानी की कहानी से कहीं आगे मुद्दा गाय थी. सड़कों पर बैठी वो गाय जो आए दिन दुर्घटना का शिकार होती हैं.
सड़कों पर गाय यानी आप छिदगांव में हैं
बुधनी विधानसभा सीट पर जब हम छिदगांव की ओर बढ़ रहे थे. इस गांव में पहुंचने के रास्ते में ही सड़कों पर गायों का समूह दिखाई दिया. सड़क पर और सड़क के किनारे हुजूम में बैठी गाएं बता रही थीं कि इस गांव में गायें भरपूर तादात में हैं. उनके शैल्टर के कोई बेहतर इंतजाम नहीं हैं. इसी गांव के नौजवान राजेन्द्र कुशवाह गायों के बंदोबस्त के लिए अभियान छेड़े हुए हैं. ईटीवी भारत को बताते हैं, ''सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि छिदगांव में गौशाला नहीं हैं. बेचारी गाय कहां जाएं. आवारा मवेशी की तरह कभी सड़क किनारे और कभी सड़क पर बैठ जाती हैं. कभी वहीं खड़ी सुस्ताती हैं. हमारी इस चुनाव में यही मांग है कि उनके लिए गौशाला बनना चाहिए.''
गौ भक्त सरकार में गायों का भी हो ध्यान
गायों के लिए संघर्ष कर रहे सतीश बताते हैं कि, ''कोई स्थाई जगह नहीं होने से गाय सड़कों पर बैठी रहती हैं और कई बार दुर्घटना की शिकार होती हैं. इतना ही नहीं गाय की वजह से भी आए दिन गांव में दुर्घटनाएं होती रहती हैं. पिछले पांच साल से स्थिति ज्यादा बिगड़ गई है. अब मुख्यमंत्री को इस मामले में आवेदन दिया है, देखते हैं सुनवाई होती है या नहीं.''
अकेले छिदगांव में दो हजार से ज्यादा गायें
बुधनी विधानसभा सीट के इस छिदगांव की आबादी दो ढाई हजार के लगभग है. हैरत की बात है कि गाय भी यहां करीब इसी तादात में हैं. एक हजार से ज्यादा गाए हैं इस गांव में. राकेश बताते हैं यहां आने वाले लोग इस गांव को गायों के नाम से ही पहचानते हैं.
गायों के लिए चुनावी सभा में लगाए गए नारे
गायों की सुरक्षा और सेहत के लिए फिक्रमंद गांव के नौजवानों का एक दल सीएम डॉ. मोहन यादव की जनसभा में पहुंचा था. इन नौजवानों ने बाकायदा गायों के लिए पहले नारेबाजी की फिर आवेदन दिया कि चुनाव में गांव को ये भरोसा दिलाया जाए कि नए विधायक के आने के बाद विधानसभा के इस गांव में गौशाला बनवा दी जाएगी और हजार से ज्यादा की तादाद में भटक रही गायों को आशियाना मिल जाएगा.
बीजेपी के साथ शिवराज का गढ़ बुधनी, जीत का पंच
बुधनी में 1998 का आखिरी चुनाव था जो कांग्रेस ने जीता था. उसके बाद से ये सीट बीजेपी का गढ़ है. 2005 में हुए उपचुनाव के बाद से तो यहां उम्मीदवार भी बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान ही रहे. कुल 17 चुनाव हुए हैं बुधनी में, जिसमें से पांच बार कांग्रेस को जीत मिली. बीजेपी की जीत का आंकड़ा 11 पर है. बुधनी उपचुनाव को मिलाकर शिवराज अब तक 5 चुनाव जीत चुके हैं. यानी जीत का पंच उन्होंने लगाया है. 18 साल बाद ये पहला चुनाव है जब शिवराज उम्मीदवार के तौर पर मैदान में नहीं हैं. 2006 में हुए उपचुनाव के बाद 2008 का विधानसभा चुनाव, 2013, 2018 और 2023 के विधानसभा को शामिल करें तो कुल 5 चुनाव शिवराज सिंह चौहान ने जीते हैं.
बुधनी सीट पर 20 उम्मीदवार मैदान में, दो लाख से ज्यादा वोटर
बुधनी सीट पर नाम वापसी के बाद अब कुल 20 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं. बाकी यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. बीजेपी से रमाकांत भार्गव और कांग्रेस से राजकुमार पटेल मैदान में हैं. बुधनी में कुल वोटर दो लाख 76 हजार 799 हैं. जिसमें से पुरुषों का प्रतिशत एक लाख 33 हजार 280 है. जबकि महिला वोटर की संख्या एक लाख 43 हजार 111 हैं. थर्ड जेंडर इस सीट पर केवल 6 हैं.