लखनऊ: वित्त मंत्री निर्मला निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट बजट पेश किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट था. अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े एलान किए. इनमें मुफ्त राशन की व्यवस्था अलगे पांच साल के लिए बढ़ाने, कृषि और संबंद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान, छात्रों को 7.5 लाख का स्किल मॉडल लोन, पहली बार नौकरी वालों को अतिरिक्त पीएफ, नौकरियों में महिलाओं को प्राथमिकता आदि प्रमुख हैं. केंद्रीय बजट को लेकर हमने अर्थशास्त्री प्रोफेसर एपी तिवारी से विशेष बातचीत की.
प्रश्न: आज केंद्रीय बजट संसद में पेश किया गया है. इस बजट को आप समग्रता में कैसे देखते हैं?
उत्तर: मोदी सरकार का विजन है कि देश को 2047 तक विकसित बनाना है. इस दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने आधारभूत ढांचा विकास के लिए, जो आउटले में लगभग साढ़े तीन फीसदी की वृद्धि की गई है, उससे पूंजीगत विकास में वृद्धि होगी. आधारभूत ढांचा सुधार एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होती है. साथ ही ढुलाई की लागत भी घटती है. इसलिए हम कह सकते हैं कि अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार से अर्थव्यवस्था की कुशलता बढ़ेगी और खेती से लेकर उद्योग और सेवा क्षेत्र का एकीकृत विकास हो पाएगा.
प्रश्न: इस बजट में सरकार ने सबसे अधिक प्रमुखता किस क्षेत्र को दी है?
उत्तर: यदि बजट भाषण को बारीकी से देखा जाए, तो उससे पता चलता है कि रोजगार को काफी ऊपर रखा गया है. रोजगार को लेकर जिन क्षेत्रों में विशेष बल दिया गया है, उसमें खेती का क्षेत्र है. जब खेती की बात की जाती है, तो कृषि को गैर खेती की क्रियाओं से जोड़ने की बात की गई है, जैसे वानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन. स्वरोजगार सेक्टर है, जिसमें लगभग 57 फीसदी रोजगार लगा हुआ है. कोशिश इस बात की की गई है कि ग्रामीण आधारभूत ढांचे को भी आगे बढ़ाया जाए. इस बजट की व्यूह रचना में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी, साथ ही लोगों को सेहतमंद अनाज भी मिलेगा. श्रीअन्न को लेकर सरकार की योजना पहले से ही चल रही है. सरकार खेती में विविधीकरण करना चाहती है और बजट में इस पर खासा ध्यान दिया गया है. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. रोजगार के लिए भी बजट में कई प्रावधान किए गए हैं.
प्रश्न: यदि मध्यवर्गीय परिवारों और टैक्स दाताओं के लिए इस बजट में कुछ खास नहीं दिखाई देता. आपको क्या लगता है?
उत्तर: जहां तक करदाताओं को राहत की बात है, तो अनुमान यह बताते हैं कि यदि हमारी जीडीपी एक प्रतिशत से बढ़ती है, तो कर राजस्व में एक दशमलव एक प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. ऐसी स्थिति में सरकार कोई बड़ा फैसला भी नहीं ले सकती कि जिससे राजकोषीय असंतुलन पैदा हो जाए. राजकोषीय संतुलन को साधना और घाटे को नियंत्रित रखना, उधारी को नियंत्रित रखना भी बड़ा काम है. मेरा मानना है कि राजकोषीय सुधार के साथ विकास को गति देना और पूंजीगत खर्च पर ध्यान देना जरूरी है. फिर भी मध्यम आय वर्ग के लोगों को कुछ राहत जरूर दी गई है. कर की दरों में भी थोड़ा-बहुत परिवर्तन किया गया है. इससे करदाताओं को राहत मिलेगी. एक खास बात है कि कर के नियमों का सरलीकरण किया गया है, जिससे कर दाताओं को काफी राहत मिलेगी.
प्रश्न: कहा जा रहा था कि आयुष्मान कार्ड योजना के लाभार्थियों का दायरा बढ़ाया जा सकता है, लेकिन बजट में ऐसा कुछ दिखा नहीं. क्या यह निराश करने वाला है?
उत्तर: ऐसा लगता है कि सरकार के सामने कुछ वित्तीय बंदिशें थीं. हालांकि यह जरूरत और उम्मीद का विषय था. हालांकि कैंसर की दवाओं से ड्यूटी समाप्त करना एक अच्छा कदम है. इसका सीधा लाभ भी लोगों को मिलेगा. चिकित्सा उपकरणों पर भी कस्टम की रियायत दी गई है. इसका लाभ भी आम आदमी को ही मिलेगा.
प्रश्न: इस बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश को कुछ खास नहीं मिल पाया है. आप इसे कैसे देखते हैं?
उत्तर: अंतरिम बजट में उत्तर प्रदेश के लिए जो प्रावधान किए गए थे, जैसे अयोध्या है, काशी है, मथुरा है, नैमिषारण्य है, इसके विकास के लिए योजनाएं पहले से चल रही हैं. एयरपोर्ट्स और एक्सप्रेस वे के लिए भी योजनाएं चल रही हैं. इन सबके के लिए काम पहले से ही चल रहा है. वहीं उप्र को सबसे ज्यादा करों में हिस्सा मिलता है. उम्मीद की जा सकती है कि उप्र के हिस्से में कर राजस्व में लगभग दस प्रतिशत की वृद्धि होगी.
प्रश्न: जीएसटी में भी आम आदमी को कुछ राहत देने की बात है?
उत्तर: जहां तक केंद्रीय बजट की बात है, केंद्रीय बजट जीएसटी में कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता. उसके लिए संवैधानिक संस्था जीएसटी काउंसिल है, वही फैसला करती है. हालांकि इस बात के संकेत आते रहे हैं लगातार और उम्मीद भी की जाती है कि जीएसटी काउंसिल जीएसटी की दरों को नर्म करेगी, जिससे आम आदमी को राहत मिल सके.
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