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बजट 2024 : यूपी के लोग नाखुश, बोले- नौकरी, महंगाई, किसानों की MSP के लिए कुछ नहीं किया - Budget 2024

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरी बजट को राजधानी लखनऊ के व्यापारियों ने सराहनीय तो कुछ लोगों ने निराशाजनक बजट बताया है.

बजट 2024
बजट 2024 (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 23, 2024, 4:53 PM IST

Updated : Jul 23, 2024, 9:50 PM IST

मेरठ में बजट से किसान नाखुश दिखे. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरी बजट को राजधानी लखनऊ के व्यापारियों ने सराहनीय तो कुछ लोगों ने निराशाजनक बजट बताया है. बजट को आंकड़ेबाजी और लोकल ट्रेडर्स के लिए निराशाजनक बताया गया है, वहीं अन्य लोगों ने बजट को राहत देने वाला बताया है.

केंद्रीय बजट को व्यापारियों ने बताया सराहनीय, बोले मिलेगी राहत : केंद्रीय बजट में हुए कई प्रावधानों को व्यापारिक संगठनों और व्यापारियों ने सराहनीय बताया है. चौक सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश पाटिल ने कहा कि सोने पर लगने वाले आयात कर को चार प्रतिशत घटाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं. अब तस्करी के सोने पर लगाम लग सकेगी. पहले 10% आयात कर था, जिसे अब हटाकर 4% कर दिया गया है. इससे व्यापारियों को काफी सहूलियत मिलेगी. केंद्र सरकार ने आयात कर में चार फ़ीसदी की छूट दी है जो काफी सराहनीय पहल है इससे हम सब लोगों को काफी राहत मिलेगी.

लोकल ट्रेडर्स के लिए बजट में कुछ नहीं, ई कामर्स योजना लाने में भी सरकार फेल : लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेश हुए बजट में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है. कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी की जब सरकार नहीं आई थी, उसके पहले से भाजपा की मांग थी कि इनकम टैक्स में आय की सीमा ज्यादा होनी चाहिए. 2014 से पहले तो इनकी घोषणा पत्र में में उन्होंने पांच लाख तक के कर मुक्त आय की घोषणा की थी, जो कि आज तक ये नहीं कर पाए. जबकि आर्थिक आधार पर आरक्षण या 8 लाख पर देते हैं तो फिर 10 लाख तक की करमुक्त आय क्यों न होनी चाहिए. कहा कि बहुप्रतिक्षित था कि local traders को संरक्षित करने के लिए सरकार कोई योजना ई कॉमर्स लाएगी, परंतु मरते हुए व्यापार को ज़िंदा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है.

सरकार का प्रयोग अब भी जारी : कहा कि GST को लागू हुए सात वर्ष पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी सरकार का प्रयोग जारी है. ना तो ट्रिब्यूनल बना पाई है ना ही अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न समाप्त कर पाई है. व्यापार जगत के लिए कोई भी अच्छी घोषणा नहीं सिर्फ़ आंकड़ों की बाज़ीगरी. अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन भाजपा अपने सबसे वोटर यानी मध्यम वर्ग और व्यापारी समाज को खो देगी.

व्यापारी समाज की उपेक्षा की : व्यापार मंडल अध्यक्ष अमर नाथ मिश्रा कहते हैं कि पूर्व में कई ज्ञापन मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री के माध्यम से दिया गया यहां तक कि जिलाधिकारी और GST कमीशनर के माध्यम से भी भेजे गए, जिसमें लाइसेंस राज इंस्पेक्टर राज को खत्म करने के लिए तमाम सुझाव दिए गए. जैसे एक तरीक़े का कारोबार करने वाले व्यापारियों को एक ही पोर्टल पर एक बार लॉगिन करने पर सारे लाइसेंस मिल जाएं. जैसे ड्रग लाइसेंस फ़ूड लाइसेंस, आबकारी लाइसेंस , मंडी के लाइसेंस. मगर सरकार के द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसी तरह GST की विसंगतियों पर कई बार चर्चा के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ. कुल मिलाकर के मौजूदा सरकार हम व्यापारी समाज को उपेक्षित रखते हुए उसे के हितों का संरक्षण करने में असमर्थ है. व्यापारी समाज के लिए एक निराशाजनक बजट है.

वाराणसी में महिलाओं ने कहा कि मध्यम वर्ग को राहत नहीं मिली. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी : मध्यम वर्ग को निराश किया : वाराणसी में महिलाओं ने कहा कि सरकार ने माध्यम वर्गीय महिलाओं को निराश किया है हालांकि महिला उद्यम को बढ़ावा देने के काम किया है , उन्होंने कहा कि महिलाओं को म्यूचुअल इन्वेस्टमेंट में आगे तो बढ़ाया गया है लेकिन एक्स्ट्रा टैक्स लगा कर के सरकार ने थोड़ा निराश ज़रूर किया है , वहीं उन्होंने कहा कि महंगाई पर सरकार ने ध्यान के केंद्रित नहीं किया है , महंगाई की समस्या आज भी गृहणियों के लिए जस की तस बनी हुई है , वहीं बातचीत में वहां मौजूद अन्य लोगो के कहा कि ये बजट बिहार आंध्र प्रदेश और उड़ीसा पर केंद्रित ज़्यादा रहा लेकिन यदि हम सकारात्मक दृष्टि से देखें तो युवाओं और किसानों पर सरकार ने प्रमुखता से ध्यान दिया है, हालांकि आम नागरिक की दृष्टि से यह बजट बहुत ख़ास नहीं है.

गोरखपुर: छोटे किसानों के फायदे का नहीं है बजट

गोरखपुर के किसान कहते हैं कि बजट से खासकर छोटे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला. कहा कि सरकार को छोटे किसानों को वित्तीय मदद देने का इंतजाम बजट में करना चाहिए था. जो अग्रणी किसान हैं, वह नफा नुकसान मैनेज कर लेते हैं, लेकिन छोटे किसान को सिर्फ नुकसान होता है. ऐसे में उसको सरकार के मदद की आवश्यकता होती है. कहा कि सरकार को बिजली-पानी मुफ्त कर देनी चाहिए, खासकर छोटे किसानों की. किसान आज भी बिचौलियों के आगे मजबूर हैं.

वाराणसी में लोगों ने बजट को मिलाजुला बताया. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी में लोगों ने कहा- बजट पॉकेट फ्रेंडली, कहीं खुशी तो कहीं गम वाला: वाराणसी में हर वर्ग ने अपनी बातें रखीं. युवा इस बात से खुश नजर आया कि उनके लिए सरकार ने सोचा लेकिन दुख इस बात से था कि नौकरी के लिए प्रयास विफल हो रहे हैं, क्योंकि पेपर लीक हो जाते हैं. वहीं मेडिकल हब के लोगों ने कैंसर दावों के सस्ता होने के साथ मेडिकल इक्विपमेंट के सस्ता होने पर खुशी जाहिर की और लोगों के लिए से बड़ी राहत बताया. मेडिकल एक्सपर्ट रईस का कहना था कि निश्चित तौर पर स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बजट अच्छा माना जा सकता है. क्योंकि एक देश सफल तभी होता है जब स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होती हैं. कैंसर की दवाएं बहुत महंगी है और आम जनमानस और गरीबों के लिए इसे खरीदना बेहद मुश्किल है. अगर कैंसर की दावों की रेट में कटौती हुई है, तो निश्चित तौर पर एक बड़ी राहत मिलेगी.

युवाओं को बजट से मिलेगी मजबूती : वहीं नौकरी पेशा विमल का कहना है कि इंटर्नशिप के लिए अब सालाना 66000 की घोषणा और एक लाख से कम सैलरी पर 15000 रुपये का ईपीएफओ में सरकार का योगदान निश्चित तौर पर युवाओं को मजबूत करेगा और उन गरीब युवाओं को और पढ़ने में मदद करेगा, जो पढ़ाई के साथ नौकरी करते हुए अपने भविष्य को संवारना चाहते हैं. वहीं समाज सेवी सौरभ मौर्या का कहना है कि सरकार ने सोना चांदी और मोबाइल में टैक्स कटौती करके निश्चित तौर पर पब्लिक को बड़ी राहत दी है. आज इन्वेस्टमेंट के लिए लोग सोना चांदी खरीदते हैं और मोबाइल फोन तो जरूरत हो गया है. वहीं आकाश पटेल का कहना है कि सस्ती करनी है तो वह चीज करें, जो रोजमर्रा के जीवन में शामिल हैं. दीपक कौशिक का कहना है कि युवाओं के लिए यह बजट अच्छा कहा जा सकता है, लेकिन सोना चांदी हर कोई नहीं खरीदनता है. सरकार खान-पान की चीजें सस्ती करें.

वहीं आईटी सेक्टर से जुड़े संजय ओझा का कहना है कि यह बजट आम लोगों के लिए पॉकेट फ्रेंडली माना जा सकता है. टैक्स में रियायत के साथ ही लोगों को सस्ती चीजें उपलब्ध करवाने की कोशिश और युवाओं को रोजगार देने का प्रयास सरकार ने किया है. किसानों के लिए भी प्रयास है और आम मिडिल क्लास के लिए भी बहुत कुछ इस बजट में देखने को मिला है. जिससे निश्चित तौर पर आगे आने वाले समय में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.

नौकरी नहीं दे पा रही है सरकार : पढ़ाई कर रहे विकास मिश्रा इस बजट से नाखुश नजर आए. उनका कहना था कि बजट ऐसा होना चाहिए जिसमें युवाओं के लिए कुछ हो, लेकिन सरकार सिर्फ नौकरी देने के दावे कर रही है, नौकरी दे नहीं पा रही है. 2018 में बीटीसी की पढ़ाई कंप्लीट की, लेकिन आज तक मुझे नौकरी ही नहीं मिली है. रोज संघर्ष कर रहा हूं. जो पेपर दिए वह लीक होने की वजह से रिजेक्ट हो गए. ऐसे में हम क्या करें. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

मेरठ में किसानों ने कही मन की बात : बजट किसानों ने सरकार की सराहना की तो एक तबके ने नाराजगी का इजहार भी किया. किसानों ने बताया कि बजट में एमएसपी पर कोई बात ही नहीं हुई. वहीं किसान सम्मान निधि में बढ़ोत्तरी नहीं होने पर भी उन्होंने अपनी नाराजगी जताई. किसानों का कहना है कि बजट में सरकार को एम एस पी को लेकर किसानों के हित में निर्णय लेना चाहिए था, वहीं किसानों ने बजट में किसान सम्मान निधि न बढ़ाए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की. कहा कि इस पर अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी.

लखनऊ-केंद्रीय बजट को उद्योग संगठनों ने बताया देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम : सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष माधव सिंघानिया ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 एक मजबूत और समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हम पूंजीगत व्यय पर सरकार के फोकस की सराहना करते हैं, जो नौकरियां पैदा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होगा. कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल और क्रेच जैसी पहल के साथ देखभाल अर्थव्यवस्था पर जोर सराहनीय है. इसके अतिरिक्त, विशेष रूप से कृषि में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर बजट का ध्यान इस क्षेत्र में क्रांति लाएगा और लाखों किसानों को लाभान्वित करेगा.
सीआईआई उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष एवं निदेशक एवं सीएफओ, पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड स्मिता अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 एक संतुलित और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है.

बहुप्रतीक्षित टैक्स स्लैब में परिवर्तन बड़ा कदम : उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल एवं फिक्की के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ में सपू मार्ग स्थित एक निजी होटल में बजट चर्चा का आयोजन हुआ. प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बजट पर अपनी प्रक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट व्यापारियों एवं देश की जनता दोनों को उत्साहित करने वाला है. उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल पिछले कई सालों से आयकर के स्लैब में बदलाव की मांग कर रहा था. संजय गुप्ता ने मुद्रा लोन को 10 लाख से बढ़कर 20 लाख किए जाने तथा सोने एवं चांदी पर कस्टम ड्यूटी हटाए जाने के निर्णय का भी स्वागत किया.

किसान, कारोबार और रोज़गार को प्राथमिकता : ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन व जीएसटी ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी के सदस्य मनीष खेमका ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने ताजा बजट में विकास की रफ़्तार और बढ़ाई है. भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए अब तक का सबसे अधिक 11.1 लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है. 30 लाख की आबादी से ज़्यादा वाले भारत के 14 शहरों के क्रिएटिव डेवलपमेंट की योजना है. साथ ही कारोबार और रोज़गार बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं. शिक्षा और कौशल विकास पर 1.48 लाख करोड़ ख़र्च की योजना है जिससे 210 लाख युवाओं को लाभ होगा.

यह भी पढ़ें : बजट 2024: सोना-चांदी से लेकर मोबाइल हुए सस्ते, जानें आम लोगों को क्या मिली राहत - Budget 2024

यह भी पढ़ें : बजट 2024 : वित्त मंत्री के बजट भाषण की मुख्य बातें - BUDGET 2024

मेरठ में बजट से किसान नाखुश दिखे. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरी बजट को राजधानी लखनऊ के व्यापारियों ने सराहनीय तो कुछ लोगों ने निराशाजनक बजट बताया है. बजट को आंकड़ेबाजी और लोकल ट्रेडर्स के लिए निराशाजनक बताया गया है, वहीं अन्य लोगों ने बजट को राहत देने वाला बताया है.

केंद्रीय बजट को व्यापारियों ने बताया सराहनीय, बोले मिलेगी राहत : केंद्रीय बजट में हुए कई प्रावधानों को व्यापारिक संगठनों और व्यापारियों ने सराहनीय बताया है. चौक सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश पाटिल ने कहा कि सोने पर लगने वाले आयात कर को चार प्रतिशत घटाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं. अब तस्करी के सोने पर लगाम लग सकेगी. पहले 10% आयात कर था, जिसे अब हटाकर 4% कर दिया गया है. इससे व्यापारियों को काफी सहूलियत मिलेगी. केंद्र सरकार ने आयात कर में चार फ़ीसदी की छूट दी है जो काफी सराहनीय पहल है इससे हम सब लोगों को काफी राहत मिलेगी.

लोकल ट्रेडर्स के लिए बजट में कुछ नहीं, ई कामर्स योजना लाने में भी सरकार फेल : लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेश हुए बजट में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है. कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी की जब सरकार नहीं आई थी, उसके पहले से भाजपा की मांग थी कि इनकम टैक्स में आय की सीमा ज्यादा होनी चाहिए. 2014 से पहले तो इनकी घोषणा पत्र में में उन्होंने पांच लाख तक के कर मुक्त आय की घोषणा की थी, जो कि आज तक ये नहीं कर पाए. जबकि आर्थिक आधार पर आरक्षण या 8 लाख पर देते हैं तो फिर 10 लाख तक की करमुक्त आय क्यों न होनी चाहिए. कहा कि बहुप्रतिक्षित था कि local traders को संरक्षित करने के लिए सरकार कोई योजना ई कॉमर्स लाएगी, परंतु मरते हुए व्यापार को ज़िंदा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है.

सरकार का प्रयोग अब भी जारी : कहा कि GST को लागू हुए सात वर्ष पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी सरकार का प्रयोग जारी है. ना तो ट्रिब्यूनल बना पाई है ना ही अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न समाप्त कर पाई है. व्यापार जगत के लिए कोई भी अच्छी घोषणा नहीं सिर्फ़ आंकड़ों की बाज़ीगरी. अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन भाजपा अपने सबसे वोटर यानी मध्यम वर्ग और व्यापारी समाज को खो देगी.

व्यापारी समाज की उपेक्षा की : व्यापार मंडल अध्यक्ष अमर नाथ मिश्रा कहते हैं कि पूर्व में कई ज्ञापन मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री के माध्यम से दिया गया यहां तक कि जिलाधिकारी और GST कमीशनर के माध्यम से भी भेजे गए, जिसमें लाइसेंस राज इंस्पेक्टर राज को खत्म करने के लिए तमाम सुझाव दिए गए. जैसे एक तरीक़े का कारोबार करने वाले व्यापारियों को एक ही पोर्टल पर एक बार लॉगिन करने पर सारे लाइसेंस मिल जाएं. जैसे ड्रग लाइसेंस फ़ूड लाइसेंस, आबकारी लाइसेंस , मंडी के लाइसेंस. मगर सरकार के द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसी तरह GST की विसंगतियों पर कई बार चर्चा के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ. कुल मिलाकर के मौजूदा सरकार हम व्यापारी समाज को उपेक्षित रखते हुए उसे के हितों का संरक्षण करने में असमर्थ है. व्यापारी समाज के लिए एक निराशाजनक बजट है.

वाराणसी में महिलाओं ने कहा कि मध्यम वर्ग को राहत नहीं मिली. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी : मध्यम वर्ग को निराश किया : वाराणसी में महिलाओं ने कहा कि सरकार ने माध्यम वर्गीय महिलाओं को निराश किया है हालांकि महिला उद्यम को बढ़ावा देने के काम किया है , उन्होंने कहा कि महिलाओं को म्यूचुअल इन्वेस्टमेंट में आगे तो बढ़ाया गया है लेकिन एक्स्ट्रा टैक्स लगा कर के सरकार ने थोड़ा निराश ज़रूर किया है , वहीं उन्होंने कहा कि महंगाई पर सरकार ने ध्यान के केंद्रित नहीं किया है , महंगाई की समस्या आज भी गृहणियों के लिए जस की तस बनी हुई है , वहीं बातचीत में वहां मौजूद अन्य लोगो के कहा कि ये बजट बिहार आंध्र प्रदेश और उड़ीसा पर केंद्रित ज़्यादा रहा लेकिन यदि हम सकारात्मक दृष्टि से देखें तो युवाओं और किसानों पर सरकार ने प्रमुखता से ध्यान दिया है, हालांकि आम नागरिक की दृष्टि से यह बजट बहुत ख़ास नहीं है.

गोरखपुर: छोटे किसानों के फायदे का नहीं है बजट

गोरखपुर के किसान कहते हैं कि बजट से खासकर छोटे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला. कहा कि सरकार को छोटे किसानों को वित्तीय मदद देने का इंतजाम बजट में करना चाहिए था. जो अग्रणी किसान हैं, वह नफा नुकसान मैनेज कर लेते हैं, लेकिन छोटे किसान को सिर्फ नुकसान होता है. ऐसे में उसको सरकार के मदद की आवश्यकता होती है. कहा कि सरकार को बिजली-पानी मुफ्त कर देनी चाहिए, खासकर छोटे किसानों की. किसान आज भी बिचौलियों के आगे मजबूर हैं.

वाराणसी में लोगों ने बजट को मिलाजुला बताया. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी में लोगों ने कहा- बजट पॉकेट फ्रेंडली, कहीं खुशी तो कहीं गम वाला: वाराणसी में हर वर्ग ने अपनी बातें रखीं. युवा इस बात से खुश नजर आया कि उनके लिए सरकार ने सोचा लेकिन दुख इस बात से था कि नौकरी के लिए प्रयास विफल हो रहे हैं, क्योंकि पेपर लीक हो जाते हैं. वहीं मेडिकल हब के लोगों ने कैंसर दावों के सस्ता होने के साथ मेडिकल इक्विपमेंट के सस्ता होने पर खुशी जाहिर की और लोगों के लिए से बड़ी राहत बताया. मेडिकल एक्सपर्ट रईस का कहना था कि निश्चित तौर पर स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बजट अच्छा माना जा सकता है. क्योंकि एक देश सफल तभी होता है जब स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होती हैं. कैंसर की दवाएं बहुत महंगी है और आम जनमानस और गरीबों के लिए इसे खरीदना बेहद मुश्किल है. अगर कैंसर की दावों की रेट में कटौती हुई है, तो निश्चित तौर पर एक बड़ी राहत मिलेगी.

युवाओं को बजट से मिलेगी मजबूती : वहीं नौकरी पेशा विमल का कहना है कि इंटर्नशिप के लिए अब सालाना 66000 की घोषणा और एक लाख से कम सैलरी पर 15000 रुपये का ईपीएफओ में सरकार का योगदान निश्चित तौर पर युवाओं को मजबूत करेगा और उन गरीब युवाओं को और पढ़ने में मदद करेगा, जो पढ़ाई के साथ नौकरी करते हुए अपने भविष्य को संवारना चाहते हैं. वहीं समाज सेवी सौरभ मौर्या का कहना है कि सरकार ने सोना चांदी और मोबाइल में टैक्स कटौती करके निश्चित तौर पर पब्लिक को बड़ी राहत दी है. आज इन्वेस्टमेंट के लिए लोग सोना चांदी खरीदते हैं और मोबाइल फोन तो जरूरत हो गया है. वहीं आकाश पटेल का कहना है कि सस्ती करनी है तो वह चीज करें, जो रोजमर्रा के जीवन में शामिल हैं. दीपक कौशिक का कहना है कि युवाओं के लिए यह बजट अच्छा कहा जा सकता है, लेकिन सोना चांदी हर कोई नहीं खरीदनता है. सरकार खान-पान की चीजें सस्ती करें.

वहीं आईटी सेक्टर से जुड़े संजय ओझा का कहना है कि यह बजट आम लोगों के लिए पॉकेट फ्रेंडली माना जा सकता है. टैक्स में रियायत के साथ ही लोगों को सस्ती चीजें उपलब्ध करवाने की कोशिश और युवाओं को रोजगार देने का प्रयास सरकार ने किया है. किसानों के लिए भी प्रयास है और आम मिडिल क्लास के लिए भी बहुत कुछ इस बजट में देखने को मिला है. जिससे निश्चित तौर पर आगे आने वाले समय में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.

नौकरी नहीं दे पा रही है सरकार : पढ़ाई कर रहे विकास मिश्रा इस बजट से नाखुश नजर आए. उनका कहना था कि बजट ऐसा होना चाहिए जिसमें युवाओं के लिए कुछ हो, लेकिन सरकार सिर्फ नौकरी देने के दावे कर रही है, नौकरी दे नहीं पा रही है. 2018 में बीटीसी की पढ़ाई कंप्लीट की, लेकिन आज तक मुझे नौकरी ही नहीं मिली है. रोज संघर्ष कर रहा हूं. जो पेपर दिए वह लीक होने की वजह से रिजेक्ट हो गए. ऐसे में हम क्या करें. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

मेरठ में किसानों ने कही मन की बात : बजट किसानों ने सरकार की सराहना की तो एक तबके ने नाराजगी का इजहार भी किया. किसानों ने बताया कि बजट में एमएसपी पर कोई बात ही नहीं हुई. वहीं किसान सम्मान निधि में बढ़ोत्तरी नहीं होने पर भी उन्होंने अपनी नाराजगी जताई. किसानों का कहना है कि बजट में सरकार को एम एस पी को लेकर किसानों के हित में निर्णय लेना चाहिए था, वहीं किसानों ने बजट में किसान सम्मान निधि न बढ़ाए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की. कहा कि इस पर अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी.

लखनऊ-केंद्रीय बजट को उद्योग संगठनों ने बताया देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम : सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष माधव सिंघानिया ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 एक मजबूत और समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हम पूंजीगत व्यय पर सरकार के फोकस की सराहना करते हैं, जो नौकरियां पैदा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होगा. कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल और क्रेच जैसी पहल के साथ देखभाल अर्थव्यवस्था पर जोर सराहनीय है. इसके अतिरिक्त, विशेष रूप से कृषि में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर बजट का ध्यान इस क्षेत्र में क्रांति लाएगा और लाखों किसानों को लाभान्वित करेगा.
सीआईआई उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष एवं निदेशक एवं सीएफओ, पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड स्मिता अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25 एक संतुलित और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है.

बहुप्रतीक्षित टैक्स स्लैब में परिवर्तन बड़ा कदम : उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल एवं फिक्की के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ में सपू मार्ग स्थित एक निजी होटल में बजट चर्चा का आयोजन हुआ. प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने बजट पर अपनी प्रक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट व्यापारियों एवं देश की जनता दोनों को उत्साहित करने वाला है. उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल पिछले कई सालों से आयकर के स्लैब में बदलाव की मांग कर रहा था. संजय गुप्ता ने मुद्रा लोन को 10 लाख से बढ़कर 20 लाख किए जाने तथा सोने एवं चांदी पर कस्टम ड्यूटी हटाए जाने के निर्णय का भी स्वागत किया.

किसान, कारोबार और रोज़गार को प्राथमिकता : ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन व जीएसटी ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी के सदस्य मनीष खेमका ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने ताजा बजट में विकास की रफ़्तार और बढ़ाई है. भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए अब तक का सबसे अधिक 11.1 लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है. 30 लाख की आबादी से ज़्यादा वाले भारत के 14 शहरों के क्रिएटिव डेवलपमेंट की योजना है. साथ ही कारोबार और रोज़गार बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं. शिक्षा और कौशल विकास पर 1.48 लाख करोड़ ख़र्च की योजना है जिससे 210 लाख युवाओं को लाभ होगा.

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Last Updated : Jul 23, 2024, 9:50 PM IST
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