लखनऊः हाल ही में संपन्न हुए उप चुनाव में बसपा को मिली करारी शिकस्त का मंथन शनिवार को बसपा कार्यालय में हुआ. इसमें लगभग 300 महत्वपूर्ण पदाधिकारी और जिला अध्यक्षों को यूपी और उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से बुलाया गया. इस मीटिंग की अध्यक्षता खुद मायावती ने की.
सूबे में बसपा का गिरता ग्राफ यानी जनाधार इस वक्त बसपा के लिए सबसे बड़ी समस्या हैं. शायद यही वजह है कि अब बसपा सुप्रीमो को अपने सामने खड़े असली खतरे यानी भाजपा पर खुल कर बोलना पड़ा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में कांग्रेस की तरह ही वर्तमान में भाजपा भी गरीब विरोधी है और पूंजीपतियों का समर्थन करती है. मायावती ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी जातिवादी एवं सांप्रदायिक हथकंडों का भी इस्तेमाल करती है और चुनाव में इसका लाभ भी लेती है. वहीं, धर्म को आड़ बनकर राजनीति करने वाली भाजपा सत्ता में आने के बाद अपने चुनावी वादों को भी पूरा नहीं करती.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करने के लिए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल सामने आए. उन्होंने बताया कि समय के साथ उतार-चढ़ाव आता रहता है. कभी बीजेपी भी 2005 से 2017 के पहले इसी हालत में थी. वहीं, आजाद समाज पार्टी के बढ़ते ग्राफ पर कहा कि मीरापुर और अन्य कुछ सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के लोग मिलकर एक साजिश के तहत जिन पार्टियों के अस्तित्व ही नहीं है, उनको लाकर खड़ा कर दिया. विश्वनाथ पाल यह भी मानने को तैयार नहीं थे कि बीएसपी को सिर्फ 1400 वोट मिल सकते हैं और उन्होंने इसका आप सीधे शासन और प्रशासन के ऊपर मढ़ दिया है. वहीं, बसपा के स्टार प्रचारकों के उपचुनाव में नदारद रहने पर विश्वनाथ पाल ने कहा कि मैंने खुद एक महीने में 350 से ज्यादा सभाएं की. लेकिन कहीं कवरेज नहीं मिल.
बता दें कि उपचुनाव के परिणाम में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठी बीएसपी के पैरों तले से जमीन खिसक गई है. प्रदेश की 9 सीटों पर मिले वोट ये साफ संकेत दे रहे हैं कि पार्टी के प्रत्याशी एक-एक वोट को तरस गए. उपचुनाव में हालत यह हुई कि आजाद समाज पार्टी दो सीटों पर तो सीधे तौर पर बीएसपी के प्रत्याशियों को पटखनी देने में कामयाब हो गई. पांच सीटों पर भले ही बहुजन समाज पार्टी से पिछड़ी हो, लेकिन यहां भी आसपा के प्रत्याशी बसपा के प्रत्याशी से टक्कर लेते ही नजर आए. हालांकि सीट बहुजन समाज पार्टी जीती न आजाद समाज पार्टी. लेकिन जिस तरह से पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में प्रत्याशियों ने प्रदर्शन किया है उसकी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चाएं हो रही हैं.