भीलवाड़ा : जिले की मांडलगढ़ क्षेत्र के होड़ा गांव से 1 दर्जन से ज्यादा बैलगाड़ियों में मायरा लेकर भाई अपनी बहन के ससुराल श्रीपुरा गांव मायरा भरने पहुंचे. इस दौरान बैलगाड़ियों को खींचने वाले बैलों का श्रृंगार किया गया. बैलों के गले में घुंघरू बांधे गए. परिजन व रिश्तेदार गाजे बाजे के साथ नाचते गाते बहन के घर मायरा भरने के लिए रवाना हुए. भाई अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए परम्परागत बैलगाड़ियों में मायरा लेकर गए.
होड़ा गांव से भाई नारायण गुर्जर, सत्यनारायण गुर्जर (अध्यक्ष देवनारायण शिक्षा समिति मांडलगढ़) एवं कैलाश गुर्जर परिजन एवं रिश्तेदारों के साथ 1 दर्जन से ज्यादा बैलगाड़ियों पर सवार होकर बहन के घर श्रीपुरा गांव में मायरा भरने पहुंचे. लग्जरी गाड़ियों की जगह सजी-धजी बैलगाड़ियों में मायरा भरने जा रहे भाइयों की तस्वीर राहगीरों ने मोबाइल कैमरे में कैद की. लोगों ने बैलगाड़ियों के साथ सेल्फी भी ली. बैलों के गले में बंधे घुंघरू, गाजे बाजे और बैलगाड़ियों के पहियों की आवाज सुनकर लोगों ने कहा कि समाज में अपनी पुरानी संस्कृति से ही सामाजिक संस्कृति जीवित है. सभी को अपनी संस्कृति से जुड़े हुए रहना चाहिए.
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करीब एक दर्जन से ज्यादा बैलगाड़ियों में सवार होकर आए सभी लोगों ने राजस्थानी साफा बांधा हुआ था. गांव की गलियों से गुजर रहे बैलगाड़ी को देख कर लोगों की पुरानी यादें ताजा हो गईं. होड़ा गांव से मायरा लेकर बहन के ससुराल श्रीपुरा गांव में पहुंचने पर बहन के ससुराल वालों ने कुमकुम का टीका लगाकर स्वागत किया.