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ब्रेस्ट कैंसर नहीं है जानलेवा, जागरुकता और इलाज ही बचाव का तरीका,फॉग्सी संगठन ने लगाया अवेयरनेस कैंप - International Womens Day

Breast Cancer Awareness Camp दुर्ग में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर फॉग्सी संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने महिलाओं के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया.जिसमें ब्रेस्ट कैंसर से बचने के उपाय को महिलाओं को बताया गया. जिला प्रशासन का मकसद था कि ज्यादा से ज्यादा लोग ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को जाने.ताकि वक्त रहते महिलाओं को सही इलाज मिल सके. लेकिन आईए सबसे पहले जानते हैं ये बीमारी है क्या ?International Womens Day

Breast cancer awareness camp
ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस कैंप का आयोजन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 8, 2024, 7:39 PM IST

फॉग्सी संगठन ने लगाया अवेयरनेस कैंप

दुर्ग : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस कैंप के जरिए महिलाओं को जागरुक किया गया. फॉग्सी संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली बीमारी है.ये बीमारी ऊतकों में कोशिकाओं की वृद्धि के साथ शुरू होती है. महिलाओं के ब्रेस्ट में ऊतकों की वृद्धि और गठान बन जाते हैं.जो आगे चलकर असहनीय दर्द देते हैं. आज के समय में अवेयरनेस के कारण वक्त पर बीमारी का इलाज संभव है. कैंसर का पहले पता चलने से बीमारी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही साथ यदि रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता फिर भी जीवन को बढ़ाने के लिए कई इलाज मौजूद हैं.

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण : ब्रेस्ट में गांठ या त्वचा का गाढ़ा क्षेत्र जो आसपास के ऊतकों से अलग सा महसूस होता है. निपल जो चपटा दिखता है या अंदर की ओर मुड़ जाता है इस बीमारी की शुरुआत है . ब्रेस्ट की त्वचा के रंग में परिवर्तन होना, गोरी त्वचा वाले लोगों में, ब्रेस्ट की त्वचा गुलाबी या लाल दिख सकती है.भूरी और काली त्वचा वाले लोगों में, स्तन की त्वचा छाती की अन्य त्वचा की तुलना में अधिक गहरी दिखती है या ये लाल या बैंगनी दिख सकती है. स्तन के आकार या स्वरूप में परिवर्तन, ब्रेस्ट के ऊपर की त्वचा में परिवर्तन, जैसे त्वचा पर गड्ढे पड़ना या संतरे के छिलके जैसे दिखना, स्तन की त्वचा का छिलना, पपड़ीदार होना, पपड़ी बनना या पपड़ी बनना ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं.

महिला दिवस पर लगाया गया कैंप : महिला दिवस के अवसर पर फॉग्सी संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने अवेयरनेस कैंप लगाया. इस कैंप के माध्यम से महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय बताए गए. इस कार्यक्रम में काफी सारी महिलाओं ने हिस्सा लिया.भिलाई नेहरू नगर गुरुद्वारे में हुए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमएचओ जेपी मेश्राम थे. इस कार्यक्रम का नेतृत्व फॉग्सी संगठन से जुड़ी संगीता सिंह ने किया.

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के उपाय : फॉग्सी संगठन की माने तो बहुत सारी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आज भी ज्यादा जानकारी नहीं है.इसलिए महिलाएं अनजाने में मौत के मुंह में जा रहीं हैं. संगीता सेन बताया कि महिला दिवस के अवसर पर ब्रेस्ट कैंसर का सिविल लगाया गया इस शिविर में 50 से अधिक लोगों का इलाज किया जा रहा है.ब्रेस्ट कैंसर के बारे में लोगों को अवेयरनेस करने के लिए कैंप का आयोजन हुआ.

''ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है.आजकल कई तरह के इलाज हैं.जिसकी मदद से छोटा से छोटा कैंसर भी खत्म हो जाता है''- डॉ संगीता सिन्हा,फॉग्सी संगठन

जागरुकता और इलाज ही बीमारी से बचने का तरीका : अंतरराष्ट्रीय दिवस के दौरान हुए इस कार्यक्रम में सीएमएचओ जेपी मेश्राम ने महिलाओं को शुभकामनाएं दी.इस दौरान जेपी मेश्राम ने बताया कि किस तरह से महिलाओं को इस बीमारी से बचाया जा रहा है.

'' इस शिविर में स्कैनिंग मशीन की मदद से महिलाओं के अंदर पनपने वाले गांठों का पता लगाया गया.छोटे से छोटा गांठ भी आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है.इसलिए कैंप के जरिए महिलाओं को जागरुक किया गया.'' जेपी मेश्राम,सीएमएचओ

क्या हैं ब्रेस्ट कैंसर के कारक : विशेषज्ञों की माने तो ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट की कोशिकाएं चेंज होती हैं.यही कैंसर कोशिकाएं बनती हैं.फिर ये गांठ का रूप लेकर बढ़ने लगती हैं.शोध से पता चलता है कि ऐसे कई कारक हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं. इसमें 55 साल की उम्र से ज्यादा होना, पारिवारिक इतिहास या आनुवांशिकी कारणों से 15 फीसदी लोगों में ये रोग पाया गया है.

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फॉग्सी संगठन ने लगाया अवेयरनेस कैंप

दुर्ग : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस कैंप के जरिए महिलाओं को जागरुक किया गया. फॉग्सी संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली बीमारी है.ये बीमारी ऊतकों में कोशिकाओं की वृद्धि के साथ शुरू होती है. महिलाओं के ब्रेस्ट में ऊतकों की वृद्धि और गठान बन जाते हैं.जो आगे चलकर असहनीय दर्द देते हैं. आज के समय में अवेयरनेस के कारण वक्त पर बीमारी का इलाज संभव है. कैंसर का पहले पता चलने से बीमारी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही साथ यदि रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता फिर भी जीवन को बढ़ाने के लिए कई इलाज मौजूद हैं.

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण : ब्रेस्ट में गांठ या त्वचा का गाढ़ा क्षेत्र जो आसपास के ऊतकों से अलग सा महसूस होता है. निपल जो चपटा दिखता है या अंदर की ओर मुड़ जाता है इस बीमारी की शुरुआत है . ब्रेस्ट की त्वचा के रंग में परिवर्तन होना, गोरी त्वचा वाले लोगों में, ब्रेस्ट की त्वचा गुलाबी या लाल दिख सकती है.भूरी और काली त्वचा वाले लोगों में, स्तन की त्वचा छाती की अन्य त्वचा की तुलना में अधिक गहरी दिखती है या ये लाल या बैंगनी दिख सकती है. स्तन के आकार या स्वरूप में परिवर्तन, ब्रेस्ट के ऊपर की त्वचा में परिवर्तन, जैसे त्वचा पर गड्ढे पड़ना या संतरे के छिलके जैसे दिखना, स्तन की त्वचा का छिलना, पपड़ीदार होना, पपड़ी बनना या पपड़ी बनना ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं.

महिला दिवस पर लगाया गया कैंप : महिला दिवस के अवसर पर फॉग्सी संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने अवेयरनेस कैंप लगाया. इस कैंप के माध्यम से महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय बताए गए. इस कार्यक्रम में काफी सारी महिलाओं ने हिस्सा लिया.भिलाई नेहरू नगर गुरुद्वारे में हुए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमएचओ जेपी मेश्राम थे. इस कार्यक्रम का नेतृत्व फॉग्सी संगठन से जुड़ी संगीता सिंह ने किया.

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के उपाय : फॉग्सी संगठन की माने तो बहुत सारी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आज भी ज्यादा जानकारी नहीं है.इसलिए महिलाएं अनजाने में मौत के मुंह में जा रहीं हैं. संगीता सेन बताया कि महिला दिवस के अवसर पर ब्रेस्ट कैंसर का सिविल लगाया गया इस शिविर में 50 से अधिक लोगों का इलाज किया जा रहा है.ब्रेस्ट कैंसर के बारे में लोगों को अवेयरनेस करने के लिए कैंप का आयोजन हुआ.

''ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है.आजकल कई तरह के इलाज हैं.जिसकी मदद से छोटा से छोटा कैंसर भी खत्म हो जाता है''- डॉ संगीता सिन्हा,फॉग्सी संगठन

जागरुकता और इलाज ही बीमारी से बचने का तरीका : अंतरराष्ट्रीय दिवस के दौरान हुए इस कार्यक्रम में सीएमएचओ जेपी मेश्राम ने महिलाओं को शुभकामनाएं दी.इस दौरान जेपी मेश्राम ने बताया कि किस तरह से महिलाओं को इस बीमारी से बचाया जा रहा है.

'' इस शिविर में स्कैनिंग मशीन की मदद से महिलाओं के अंदर पनपने वाले गांठों का पता लगाया गया.छोटे से छोटा गांठ भी आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है.इसलिए कैंप के जरिए महिलाओं को जागरुक किया गया.'' जेपी मेश्राम,सीएमएचओ

क्या हैं ब्रेस्ट कैंसर के कारक : विशेषज्ञों की माने तो ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट की कोशिकाएं चेंज होती हैं.यही कैंसर कोशिकाएं बनती हैं.फिर ये गांठ का रूप लेकर बढ़ने लगती हैं.शोध से पता चलता है कि ऐसे कई कारक हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं. इसमें 55 साल की उम्र से ज्यादा होना, पारिवारिक इतिहास या आनुवांशिकी कारणों से 15 फीसदी लोगों में ये रोग पाया गया है.

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