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DTC की बसों के ब्रेकडाउन ने बढ़ाई चालकों और यात्रियों की मुसीबत, बीच रास्ते में बंद हो जाती हैं बसें - Aged ill kept buses in Delhi

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 18, 2024, 3:39 PM IST

DTC ageing buses: दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाली डीटीसी बसें लोगों को उनके स्थानों तक कनेक्टविटी प्रदान करती हैं. लेकिन डीटीसी की 90 प्रतिशत बसें ओवर एज हो चुकी हैं. जिससे ब्रेकडाउन हो रहा है, जो बस के यात्रियों के साथ-साथ सड़क पर चलने वाले अन्य राहगीरों के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा है.

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DTC की बसों के ब्रेकडाउन ने बढ़ाई चालकों की मुसीबत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के रूप में जिस साधन का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, वे हैं DTC की बसें. एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में रोजाना 40 लाख से अधिक लोग बसों में सफर करते हैं. दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) के पास जो बसें हैं उनमें से 90 फीसदी से अधिक 2022 में ही ओवरएज हो चुकी हैं. लेकिन इन बसों के संचालन की अवधि 2025 तक के लिए बढ़ा दी गई हैं. बसें चल तो रही हैं लेकिन कब और कहां खराब हो जाएं यह पता नहीं होता है. रोजाना हर रूट पर 100 से अधिक बसें खराब हो रही हैं. इससे न सिर्फ यात्री परेशान हैं बल्कि चालक और परिचालक भी परेशान हैं.

रास्ते में खराब हो जाती हैं बसें, नहीं बनता है इंसेंटिव
डीटीसी के चालक दिनेश कुमार का कहना है कि, "बसें पुरानी होने के कारण स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है. बसें रास्ते में खराब हो जाती हैं तो पब्लिक हमारे साथ अभद्रता करती है. कई बार गाली गलौच करने लगते हैं. जबकि ये हमारी नहीं दिल्ली सरकार की गलती है, जो गाड़ियों की ये हालत हुई है. हर रोज बसें सभी रूटों पर खराब हो रही हैं लेकिन नई बसें नहीं लाई जा रही हैं.

डीटीसी के परिचालक दीपक ने कहा कि, "धौलाकुंआ से नोएडा सेक्टर 62 तक रूट की बस लेकर चलते हैं. बस बहुत ज्यादा पुरानी होने के कारण एसी सही ढंग से काम नहीं करता है. सवारियों को परेशानी होती है."

डीटीसी के चालक नौशाद ने बताया कि, "वह 14 साल से बस चला रहा हैं. बसें इसलिए भी काम नहीं कर रहे हैं क्योंकि सीट से ज्यादा लोग बस में सवार हो जाते हैं. हम किसी को बस में बैठाने से मना नहीं कर सकते हैं. बस आए दिन खराब हो जाती है. इससे इंसेंटिव नहीं मिलता है सिर्फ 816 रुपये दिहाड़ी ही मिलती है.

इसलिए ड्यूटी पर नहीं आ रहीं महिला चालक
डीटीसी में महिलाएं बस चलाक महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रहीं हैं. लेकिन आज स्थिति यह है कि वह बस नहीं चलाना चाहती हैं. बस चालक सरिता ने का कहना है कि वह ड्यूटी पर इसलिए नहीं आ रही हैं क्योंकि रोजाना उनकी बस एक या दो ट्रिप में खराब हो जाती थी. इससे इंसेंटिव नहीं बनता है. कई बार बस ऐसी जगह खराब हो जाती हैं, जहां पर पानी नहीं मिलता, बाथरूम तक जाने की व्यवस्था नहीं होती है. बस छोड़कर जा नहीं सकते हैं. ऐसे में वह परेशान हैं और ड्यूटी पर नहीं आ रही हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के नौरोजी नगर इलाके में दो DTC बसें आपस में टकराईं, एक यात्री घायल

डीटीसी के बेडे में 2895 पुरानी सीएनजी की बसें हैं
दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम के दौरान बड़ी संख्या में बसें आईं थी. तब भी बसों की कमी थी. दिल्ली सरकार ने दिल्ली की सड़कों पर 10480 बसें चलाने का लक्ष्य रखा हुआ है. इनमें से 8000 हजार इलेक्ट्रिक बसें होंगी बाकी सीएनजी की बसें होंगी. वर्तमान की स्थिति की बात करें तो अभी डीटीसी के बेड़े में कुल 4195 बसें हैं. इसमें 1300 इलेक्ट्रिक और 2895 बसें पुरानी सीएनजी की हैं. अधिकारियों की मानें तो 2025 के अंत तक के लिए बसों को चलाने की अनुमति मिली हुई थी. इसके बाद सभी सीएनजी बसें स्क्रैप में जाएंगी.

नहीं आ रहीं इलेक्ट्रिक बसें
दिल्ली में डीटीसी के बेडे में कुल 1300 इलेक्ट्रिक बसें हैं, ये इलेक्ट्रिक बसें नई हैं, जिनका एसी अच्छे से काम करता हैं और बसें ब्रेक डाउन नहीं होती हैं. ऐसे में यात्री इलेक्ट्रिक बसों में सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं. दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि हर माह दिल्ली की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसें आएंगी लेकिन फरवरी के बाद से इलेक्ट्रिक बसें नहीं आई हैं. 350 इलेक्ट्रिक बसें क्लस्टर योजना के तहत भी चल रही हैं.

दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के मैनेजर आपरेशन एके राव का कहना है कि बसों की लाइफ पूरी हो चुकी है. 2025 तक बसों को एक्सटेंशन मिला हुआ है. जो बसें खराब होती हैं उन्हें ठीक कराया जाता है. ज्यादा गर्मी और बसों में भीड़ के कारण एसी कूलिंग कम कर पाते हैं. इससे यह समस्या आ रही है.

यह भी पढ़ें- AAP सरकार ने 10 सालों नहीं खरीदी एक नई बस, इलेक्‍ट्र‍िक बसें मोदी सरकार की देन, कलस्‍टर बस संकट पर रामवीर स‍िंह ब‍िधूड़ी

DTC की बसों के ब्रेकडाउन ने बढ़ाई चालकों की मुसीबत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के रूप में जिस साधन का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, वे हैं DTC की बसें. एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में रोजाना 40 लाख से अधिक लोग बसों में सफर करते हैं. दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) के पास जो बसें हैं उनमें से 90 फीसदी से अधिक 2022 में ही ओवरएज हो चुकी हैं. लेकिन इन बसों के संचालन की अवधि 2025 तक के लिए बढ़ा दी गई हैं. बसें चल तो रही हैं लेकिन कब और कहां खराब हो जाएं यह पता नहीं होता है. रोजाना हर रूट पर 100 से अधिक बसें खराब हो रही हैं. इससे न सिर्फ यात्री परेशान हैं बल्कि चालक और परिचालक भी परेशान हैं.

रास्ते में खराब हो जाती हैं बसें, नहीं बनता है इंसेंटिव
डीटीसी के चालक दिनेश कुमार का कहना है कि, "बसें पुरानी होने के कारण स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है. बसें रास्ते में खराब हो जाती हैं तो पब्लिक हमारे साथ अभद्रता करती है. कई बार गाली गलौच करने लगते हैं. जबकि ये हमारी नहीं दिल्ली सरकार की गलती है, जो गाड़ियों की ये हालत हुई है. हर रोज बसें सभी रूटों पर खराब हो रही हैं लेकिन नई बसें नहीं लाई जा रही हैं.

डीटीसी के परिचालक दीपक ने कहा कि, "धौलाकुंआ से नोएडा सेक्टर 62 तक रूट की बस लेकर चलते हैं. बस बहुत ज्यादा पुरानी होने के कारण एसी सही ढंग से काम नहीं करता है. सवारियों को परेशानी होती है."

डीटीसी के चालक नौशाद ने बताया कि, "वह 14 साल से बस चला रहा हैं. बसें इसलिए भी काम नहीं कर रहे हैं क्योंकि सीट से ज्यादा लोग बस में सवार हो जाते हैं. हम किसी को बस में बैठाने से मना नहीं कर सकते हैं. बस आए दिन खराब हो जाती है. इससे इंसेंटिव नहीं मिलता है सिर्फ 816 रुपये दिहाड़ी ही मिलती है.

इसलिए ड्यूटी पर नहीं आ रहीं महिला चालक
डीटीसी में महिलाएं बस चलाक महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रहीं हैं. लेकिन आज स्थिति यह है कि वह बस नहीं चलाना चाहती हैं. बस चालक सरिता ने का कहना है कि वह ड्यूटी पर इसलिए नहीं आ रही हैं क्योंकि रोजाना उनकी बस एक या दो ट्रिप में खराब हो जाती थी. इससे इंसेंटिव नहीं बनता है. कई बार बस ऐसी जगह खराब हो जाती हैं, जहां पर पानी नहीं मिलता, बाथरूम तक जाने की व्यवस्था नहीं होती है. बस छोड़कर जा नहीं सकते हैं. ऐसे में वह परेशान हैं और ड्यूटी पर नहीं आ रही हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के नौरोजी नगर इलाके में दो DTC बसें आपस में टकराईं, एक यात्री घायल

डीटीसी के बेडे में 2895 पुरानी सीएनजी की बसें हैं
दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम के दौरान बड़ी संख्या में बसें आईं थी. तब भी बसों की कमी थी. दिल्ली सरकार ने दिल्ली की सड़कों पर 10480 बसें चलाने का लक्ष्य रखा हुआ है. इनमें से 8000 हजार इलेक्ट्रिक बसें होंगी बाकी सीएनजी की बसें होंगी. वर्तमान की स्थिति की बात करें तो अभी डीटीसी के बेड़े में कुल 4195 बसें हैं. इसमें 1300 इलेक्ट्रिक और 2895 बसें पुरानी सीएनजी की हैं. अधिकारियों की मानें तो 2025 के अंत तक के लिए बसों को चलाने की अनुमति मिली हुई थी. इसके बाद सभी सीएनजी बसें स्क्रैप में जाएंगी.

नहीं आ रहीं इलेक्ट्रिक बसें
दिल्ली में डीटीसी के बेडे में कुल 1300 इलेक्ट्रिक बसें हैं, ये इलेक्ट्रिक बसें नई हैं, जिनका एसी अच्छे से काम करता हैं और बसें ब्रेक डाउन नहीं होती हैं. ऐसे में यात्री इलेक्ट्रिक बसों में सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं. दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि हर माह दिल्ली की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसें आएंगी लेकिन फरवरी के बाद से इलेक्ट्रिक बसें नहीं आई हैं. 350 इलेक्ट्रिक बसें क्लस्टर योजना के तहत भी चल रही हैं.

दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के मैनेजर आपरेशन एके राव का कहना है कि बसों की लाइफ पूरी हो चुकी है. 2025 तक बसों को एक्सटेंशन मिला हुआ है. जो बसें खराब होती हैं उन्हें ठीक कराया जाता है. ज्यादा गर्मी और बसों में भीड़ के कारण एसी कूलिंग कम कर पाते हैं. इससे यह समस्या आ रही है.

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