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दस साल से लापता झारखंड का बालक दिल्ली से बरामद, मानव तस्करी का था शिकार - Human trafficking in Jharkhand

महिला एवं बाल विकास के सहयोग से दस साल से लापता झारखंड के एक बच्चे को बरामद किया गया है. बच्चे को सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया गया है.

HUMAN TRAFFICKING IN JHARKHAND
प्रतिकात्मक तस्वीर (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 7, 2024, 8:22 PM IST

रांची: महिला एवं बाल विकास के नई दिल्ली स्थित एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र की पहल पर मानव तस्करी के शिकार 10 साल से लापता झारखंड के एक बालक को मुक्त कराया गया है. इसके लिए नई दिल्ली और हरियाणा में सघन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. इसके लिए कई जगहों पर छापेमारी की गई.

दरअसल, साहिबगंज के बरहेट थाना क्षेत्र से कई वर्ष पहले एक बच्चा लापता हुआ था. उसके पिता ने सनहा दर्ज कराया था. लेकिन बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. इसी बीच झारखंड भवन, नई दिल्ली को 05 दिन पूर्व इसकी सूचना दी गई. उसके पिता के पास एक प्लेसमेंट एजेंसी का मोबाइल नंबर था. इसी आधार पर नोडल ऑफिसर नचिकेता ने एक टीम बनाई.

शुरुआती जांच में वह मोबाइल नंबर एक ट्रैवलिंग एजेंसी वाले का पाया गया. फिर गुप्त मिशन चलाते हुए झारखंड भवन के कर्मचारी राहुल सिंह, निर्मला खलखो और मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह यात्री बनकर ट्रैवल एजेंसी वाले से फोन पर बातचीत कर उसके कार्यालय पहुंचे और उसको धर दबोचा गया. एजेंसी के मालिक ने बताया कि उसके द्वारा ही उस बच्चे को काम पर लगवाया गया था.

बच्चे को जिस घर में काम पर लगवाया गया था, उस घर के मालिक के मोबाइल नंबर को ट्रैक करते हुए उसके ऑफिस पर जब रेस्क्यू टीम गई, तो पता चला कि मालिक ने 2 से 3 साल पहले ही अपना दफ्तर दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया है. उस शख्स तक पहुंचने के लिए पानीपत, हरियाणा और नई दिल्ली वाले आवास पर स्थानीय पुलिस और स्थानीय एनजीओ के सहयोग से छापेमारी की गई.

वहां संबंधित बच्चा तो नहीं मिला, लेकिन दिल्ली वाले आवास पर झारखंड का एक दूसरा 17 वर्षीय बालक मिला. उससे घर और ऑफिस का काम करवाया जा रहा था. इस दौरान कानूनी प्रक्रिया पूरी कर 10 वर्षों से लापता बालक को अगले दिन सकुशल उसके परिवार के पास झारखंड भेज दिया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में नई दिल्ली की स्थानीय एनजीओ मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह एवं रेस्क्यू फॉउंडेशन से अक्षय ने अहम भूमिका निभाई. पूरी कार्रवाई झारखंड भवन के स्थानिक आयुक्त के निर्देश पर हुई.

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दरअसल, साहिबगंज के बरहेट थाना क्षेत्र से कई वर्ष पहले एक बच्चा लापता हुआ था. उसके पिता ने सनहा दर्ज कराया था. लेकिन बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. इसी बीच झारखंड भवन, नई दिल्ली को 05 दिन पूर्व इसकी सूचना दी गई. उसके पिता के पास एक प्लेसमेंट एजेंसी का मोबाइल नंबर था. इसी आधार पर नोडल ऑफिसर नचिकेता ने एक टीम बनाई.

शुरुआती जांच में वह मोबाइल नंबर एक ट्रैवलिंग एजेंसी वाले का पाया गया. फिर गुप्त मिशन चलाते हुए झारखंड भवन के कर्मचारी राहुल सिंह, निर्मला खलखो और मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह यात्री बनकर ट्रैवल एजेंसी वाले से फोन पर बातचीत कर उसके कार्यालय पहुंचे और उसको धर दबोचा गया. एजेंसी के मालिक ने बताया कि उसके द्वारा ही उस बच्चे को काम पर लगवाया गया था.

बच्चे को जिस घर में काम पर लगवाया गया था, उस घर के मालिक के मोबाइल नंबर को ट्रैक करते हुए उसके ऑफिस पर जब रेस्क्यू टीम गई, तो पता चला कि मालिक ने 2 से 3 साल पहले ही अपना दफ्तर दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया है. उस शख्स तक पहुंचने के लिए पानीपत, हरियाणा और नई दिल्ली वाले आवास पर स्थानीय पुलिस और स्थानीय एनजीओ के सहयोग से छापेमारी की गई.

वहां संबंधित बच्चा तो नहीं मिला, लेकिन दिल्ली वाले आवास पर झारखंड का एक दूसरा 17 वर्षीय बालक मिला. उससे घर और ऑफिस का काम करवाया जा रहा था. इस दौरान कानूनी प्रक्रिया पूरी कर 10 वर्षों से लापता बालक को अगले दिन सकुशल उसके परिवार के पास झारखंड भेज दिया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में नई दिल्ली की स्थानीय एनजीओ मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह एवं रेस्क्यू फॉउंडेशन से अक्षय ने अहम भूमिका निभाई. पूरी कार्रवाई झारखंड भवन के स्थानिक आयुक्त के निर्देश पर हुई.

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