नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने जिलाधिकारी कार्यालय में चुप्पी तोड़ हल्ला बोल परियोजना के अंतर्गत पॉक्सो एक्ट पर आधारित पुस्तिका 'POSCO ज्ञान' को लांच किया है. पुस्तिका के माध्यम से नौनिहालों को यौन शोषण के प्रति जागरूक किया जाएगा. पुस्तक को स्वयंसेवी संस्था समाधान अभियान और इंडिया पेस्टीसाइड्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है.
पुस्तक नोनीहालों के साथ-साथ उनके परिवार वालों और अध्यापकों को भी जागरूक करेगी. किस तरह से बच्चों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षित रखना है. पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया गया है. पहला भाग पुस्तक का बच्चों के लिए जबकि दूसरा भाग अध्यापकों के लिए है. पुस्तक की भाषा को काफी आसान रखा गया है. खेल और कहानियों के माध्यम से किस प्रकार स्वयं को शोषण से सुरक्षित रखा जा सकता है, के विषय में संपूर्ण जानकारी दी गई है.
किताब में कार्टूंस, चित्र, कहानियां कर रही आकर्षितः अध्यापक पुस्तिका में बताया गया है कि अध्यापक बच्चों को समय-समय पर किस प्रकार से खेल के माध्यम से कक्षा में बच्चों को बाल यौन शोषण से बचाने के लिए और पोक्सो एक्ट के विषय में जानकारी दे सकते हैं. इसके अलावा पुस्तक में अनेक प्रकार के रोमांचक कार्टूंस, चित्र, कहानी बनाई गई है, जो बच्चों को अत्यधिक आकर्षित करती है. पुस्तक के अंतर्गत बच्चों को सुरक्षित घेरा बनाना और निजी अंगों के विषय में भी जानकारी दी गई है.
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"गाजियाबाद में एनजीओ द्वारा समाधान अभियान संचालित किया जा रहा है. अभियान के माध्यम से पॉक्सो के अंर्तगत आने वाले अपराधों के प्रीति जागरूक किया जा रहा है. कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए पुस्तिका तैयार की गई. पुस्तिका के माध्यम से छोटे बच्चों को गुड टच और बेड टच के माध्यम से जानकारी मिलेगी. छोटे बच्चों को प्रारंभिक तौर पर बेहतर तरीक के से जागरूक कर दिया जाता है तो बड़े अपराध होने से बच सकते है. समाधान अभियान और इंडिया पेस्टीसाइड्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय हैं." -इंद्र विक्रम सिंह, जिलाधिकारी, गाजियाबाद
"संस्था द्वारा बाल यौन उत्पीड़न की रोकथाम को लेकर जागरूक अभियान चलाए जाते हैं. बाल यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चों के रिहैबिलिटेशन पर भी कार्य किया जाता है. इंडिया पेस्टिसाइड्स लिमिटेड के सहयोग से चुप्पी तोड़ हल्ला बोल कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 6 पुलिस थानों में बाल मित्र केंद्र स्थापित किया हैं. अलग-अलग आयु वर्गों के लिए संस्था द्वारा स्कूलों को मॉड्यूल्स उपलब्ध कराए जाते हैं. तकरीबन तीन सौ से ज्यादा स्कूलों में डेढ़ लाख बच्चों को बाल यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूक किया जा चुका है."-अर्चना अग्निहोत्री, निदेशक, समाधान अभियान
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