पलामू: पीटीआर में काले हिरण लाए जा रहे हैं. काले हिरण को पलामू टाइगर रिजर्व के सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा जाएगा. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व में हिरण और चीतल के लिए चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए गए है. जहां हिरण और चीतल को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. इसी कड़ी में काला हिरण लाने को पहल की गई है. पहले चरण में 10 काले हिरण लाए जाएंगे.
बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से 300 सामान्य हिरण भी लाने का कवायद शुरू
वहीं रांची के बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से 300 सामान्य हिरण लाने की भी तैयारी है. इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व ने नेशनल जू अथॉरिटी से काले हिरण और सामान्य हिरण को शिफ्ट करने की अनुमति मांगी गई है. अनुमति मिलने के बाद पीटीआर में काले हिरण शिफ्ट किए जाएंगे. पहले चरण में काले हिरण को पीटीआर के हिरण डेगवा में रखा जाएगा.
एक मादा और एक नर के अनुपात में चीतल को किया जा रहा शिफ्ट
पलामू टाइगर रिजर्व में बोमा तकनीक से चीतल को शिफ्ट किया जा रहा है. इस दौरान कम उम्र के चीतल की शिफ्टिंग हो रही है. जिसमें एक मादा और एक नर चीतल शामिल है. काले हिरण को भी इसी तरह एक नर और एक मादा के अनुपात में शिफ्ट किए जाएंगे. पीटीआर में काले हिरण के मामले में उपनिदेशक प्रजेशकांत जैना ने बताया की नेशनल जू अथॉरिटी से अनुमति मांगी गई है. अनुमति मिलने के बाद पीटीआर में हिरण शिफ्ट किए जाएंगे. पीटीआर में हिरण और चीतल को शिफ्ट करने में लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं. बोमा तकनीक वाली गाड़ी की कीमत करीब 27 लाख रुपए है, जबकि इसकी मशीनरी की कीमत करीब 16 लाख रुपए है.
दुर्लभ प्रजाति का है काला हिरण, सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती
काला हिरण दुर्लभ प्रजाति का है. पूरे भारत में इसकी संख्या सीमित है. पलामू टाइगर रिजर्व में काले हिरण को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती है. जिस इलाके में सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया गया है, वह अतिनक्सल प्रभावित इलाका है. पीटीआर में काले हिरण की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. दरअसल, पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क इलाके में ही हिरण और चीतल मौजूद हैं. जिन्हें शिफ्ट कर दूसरे इलाके में भेजा जाना है.
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