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दुनिया में सबसे ऊंचाई पर मौजूद तुंगनाथ मंदिर एक ओर झुका, जानें इसकी वजह

विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर एक तरफ झुक रहा है. इस संबंध में बीकेटीसी ने जानकारी दी है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 21 minutes ago

UTTARAKHAND TUNGNATH DHAM
तुंगनाथ मंदिर (photo-ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में 52 मंदिर बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन आते हैं. इन्हीं 52 मंदिरों में से एक भगवान शिव का विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर है, लेकिन अब इस मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है, जिसे लेकर बीकेटीसी (BKTC) ने चिंता जाहिर की है.

तुंगनाथ मंदिर में झुकाव: बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिर के सभागार में लगे पत्थर और उनके ऊपर की छत से स्लेट नुमा पत्थर हिल गए हैं, जिससे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों को पत्र लिखा गया था. पत्र में कहा गया कि तुंगनाथ मंदिर का अध्ययन किया जाए और इसमें हो रहे बदलाव पर अपनी रिपोर्ट दें.

तुंगनाथ मंदिर एक ओर झुका (video-ETV Bharat)

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कर रही शोध: उन्होंने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं ने यहां पर जांच-पड़ताल की. साथ ही केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्‍थान (Central Building Research Institute) द्वारा भी जांच-पड़ताल की गई, जल्द ही सभी तकनीकी संस्थानों द्वारा अपनी रिपोर्ट मंदिर समिति को सौंप दी जाएगी.

UTTARAKHAND TUNGNATH DHAM
सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर (photo-ETV Bharat)

तुंगनाथ मंदिर के लिए CBRI रुड़की बनाएगी डीपीआर: अजेंद्र अजय ने बताया कि बदरी केदार मंदिर समिति द्वारा शासन को भी इन सभी कार्यों के संबंध में सूचना दी गई है. उम्मीद है कि एक चरणबद्ध तरीके से वैज्ञानिक आधार पर इस मंदिर का जीणोद्धार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शासन द्वारा तुंगनाथ धाम के जीणोद्धार के लिए CBRI रुड़की को डीपीआर बनाने और ASI और GSI के साथ समन्वय बनाकर निर्माण करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि समय-समय पर लोगों द्वारा यहां पर भू-धंसाव को लेकर शिकायतें सामने आती रही हैं.

UTTARAKHAND TUNGNATH DHAM
खतरे में तुंगनाथ मंदिर (photo-ETV Bharat)

दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित तुंगनाथ मंदिर 12000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और ये नागार्जुन शैली में बना हुआ है. ये मंदिर पांच केदारों में से एक है. ये 1000 साल पुराना मंदिर है. कहा जाता है कि पांडवों ने इसका निर्माण किया था और भगवान शिव की यहां पूजा की थी. साथ ही रावण ने भगवान श‍िव को प्रसन्‍न करने के ल‍िए इसी जगह पर तपस्या की थी. इसके अलावा भगवान राम ने रावण के वध के बाद खुद को ब्रह्ममण हत्या के श्राप से मुक्त करने के लिए इस जगह पर श‍िवजी की तपस्या की थी. यह मंदिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अंतर्गत आता है.

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तुंगनाथ मंदिर एक ओर झुका (video-ETV Bharat)

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कर रही शोध: उन्होंने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं ने यहां पर जांच-पड़ताल की. साथ ही केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्‍थान (Central Building Research Institute) द्वारा भी जांच-पड़ताल की गई, जल्द ही सभी तकनीकी संस्थानों द्वारा अपनी रिपोर्ट मंदिर समिति को सौंप दी जाएगी.

UTTARAKHAND TUNGNATH DHAM
सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर (photo-ETV Bharat)

तुंगनाथ मंदिर के लिए CBRI रुड़की बनाएगी डीपीआर: अजेंद्र अजय ने बताया कि बदरी केदार मंदिर समिति द्वारा शासन को भी इन सभी कार्यों के संबंध में सूचना दी गई है. उम्मीद है कि एक चरणबद्ध तरीके से वैज्ञानिक आधार पर इस मंदिर का जीणोद्धार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शासन द्वारा तुंगनाथ धाम के जीणोद्धार के लिए CBRI रुड़की को डीपीआर बनाने और ASI और GSI के साथ समन्वय बनाकर निर्माण करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि समय-समय पर लोगों द्वारा यहां पर भू-धंसाव को लेकर शिकायतें सामने आती रही हैं.

UTTARAKHAND TUNGNATH DHAM
खतरे में तुंगनाथ मंदिर (photo-ETV Bharat)

दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित तुंगनाथ मंदिर 12000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है और ये नागार्जुन शैली में बना हुआ है. ये मंदिर पांच केदारों में से एक है. ये 1000 साल पुराना मंदिर है. कहा जाता है कि पांडवों ने इसका निर्माण किया था और भगवान शिव की यहां पूजा की थी. साथ ही रावण ने भगवान श‍िव को प्रसन्‍न करने के ल‍िए इसी जगह पर तपस्या की थी. इसके अलावा भगवान राम ने रावण के वध के बाद खुद को ब्रह्ममण हत्या के श्राप से मुक्त करने के लिए इस जगह पर श‍िवजी की तपस्या की थी. यह मंदिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अंतर्गत आता है.

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