रायपुर: बीजेपी के शासन में कई राज्यों में डिप्टी सीएम बनाए जाने की परंपरा शुरु हुई. कहीं एक डिप्टी सीएम तो कहीं दो डिप्टी सीएम की परंपरा बनाई गई. भारतीय जनता पार्टी अब डिप्टी सीएम बनाने के बाद पार्टी को हुए नफा नुकसान की समीक्षा करने की तैयारी है। सूत्रों की माने तो इस दौरान इस बात की समीक्षा की जाएगी की, जब से डिप्टी सीएम बनाए गए हैं, उसके बाद से पार्टी को कितना फायदा हुआ है. इसके साथ ही ये भी मूल्यांकन किया जाएगा कि इसके क्या क्या नुकसान हुए हैं. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां पर भी भाजपा सरकार में दो डिप्टी सीएम बनाये गए हैं. जबकी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में भी एक डिप्टी सीएम का पोस्ट नहीं रखा गया था.
डिप्टी सीएम बनाने की शुरु की नई परंपरा: पिछले कुछ वर्षों में डिप्टी सीएम बनाने का चलन तेज हो गया है. एनडीए या भाजपा शासित राज्यों की बात की जाए तो ऐसे के राज्य हैं, जहां एक या दो दो डिप्टी सीएम बनाने गए हैं. जानकारों की मानें तो भाजपा ने राज्यों की सोशल इंजीनियरिंग को साधने के लिए डिप्टी सीएम बनाने की शुरुआत की. भाजपा लगातार नए-नए प्रयोग करती रही है. इसी कड़ी में भाजपा ने दो डिप्टी सीएम बनाने का प्रयोग साल 2017 में उत्तर प्रदेश से शुरू किया. इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में भी यही प्रयोग को दोहराया गया.
बीजेपी अब करेगी अपनी नीति की समीक्षा: भाजपा अपने इस प्रयोग की समीक्षा करने जा रही है. सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा इसकी समीक्षा करने की तैयारी में है. भाजपा का मानना है कि उप मुख्यमंत्री के चलते सत्ता में एक से ज्यादा केंद्र बन गए हैं. इसका नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ा है. जिन राज्यों में एनडीए की सरकार है वहां उप मुख्यमंत्री पद की व्यवस्था जारी रखी जाएगी ऐसा सूत्रों का मानना है.
पार्टी को उठाना पड़ा खामियाजा: पार्टी सूत्रों की मानें तो एक या एक से अधिक उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से एक से ज्यादा पावर सेंटर हो गए. जिस वजह से चुनाव के दौरान पार्टी को कई तरह का दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पावर सेंटर में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष सबसे ज्यादा पावरफुल थे. यही वजह है कि पार्टी के अंदर कई धड़े बन गए. कोई मुख्यमंत्री तो कोई उपमुख्यमंत्री तो कोई प्रदेश अध्यक्ष का करीबी बन गया. इसका खामियाजा आज पार्टी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप को उठाना पड़ा.
पद का नफा और नुकसान दोनों है: कुछ पार्टी पदाधिकारियों का ये भी मानना है कि इस प्रयोग का कहीं ना कहीं पार्टी को लाभ भी मिला है. उनका मानना है कि इससे वरिष्ठ नेताओं को महत्व मिलता है, वहीं दूसरी ओर काम करने में भी आसानी होती है. इसके जरिए सामाजिक ताना-बाना बनाने में सहूलियत होती है. इसके अलावा जब गठबंधन की सरकार होती है और ऐसे में दूसरे दल के लोगों को संतुष्ट करना है तो उस दौरान भी डिप्टी सीएम का पद काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
''मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं. एक ही मुद्दे पर दोनों अलग-अलग बयान दे रहे हैं. दोनों के बीच सामंजस्य की कमी देखने को मिल रही है. पार्टी में गुटबाजी भी देखने को मिल रही है. अब भाजपा समीक्षा की बात कर रही है तो इससे स्पष्ट है कि अरुण साव और विजय शर्मा अग्नि वीर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं होता है. बस एक मात्रा व्यवस्था होती है और व्यवस्था के तहत बनाए जाते हैं. जनता की सुविधाओं के लिए पद बनाया गया है लेकिन बीजेपी में इसका कोई लाभ नहीं हो रहा है. जनता और सरकार के बीच संवाद की कमी है.'' - धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस
''डिप्टी सीएम के मामले को लेकर फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. समय-समय पर बीजेपी इन बातों की समीक्षा करती है. निश्चित तौर पर जब समीक्षा होगी जो बात सामने आएगी उसे बताया जाएगा. वर्तमान में प्रदेश में किसी प्रकार का पावर सेंटर बनने की बात नहीं है. शासन और प्रशासन के बीच भरपूर तालमेल है. बेहतर काम जनता के हित में हो रहा है. संवाद की कहीं कोई कमी नहीं है. दोनों डिप्टी सीएम अपना अपना काम कर रहे हैं. विकास में दोनों डिप्टी सीएम की अहम भूमिका है. जो भी समीक्षा बैठक में निकलकर सामने आएगा उसपर अमल किया जाएगा''. - गौरीशंकर श्रीवास, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
''भाजपा लगातार प्रयोग करती है और उस प्रयोग की समीक्षा भी करती है. इसी कड़ी में उनके द्वारा डिप्टी सीएम बनाया गया था और अब बनाया गए डिप्टी सीएम के नुकसान की समीक्षा पार्टी करने जा रही है.। इसका फायदा भी पार्टी को मिला है. छत्तीसगढ़ ही नहीं इसके अलावा भी कई ऐसे राज्य हैं जहां एक या एक से अधिक डिप्टी सीएम बनाये गए हैं. मुझे नहीं लगता है कि डिप्टी सीएम पद को लेकर पार्टी इसे खत्म करने का फैसला करेगी, वर्तमान में ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आती है''. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
कहां कहां बीजेपी ने बनाए हैं डिप्टी सीएम: वर्तमान में सात राज्यों में डिप्टी सीएम बनाया गया है जिसमें छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और उत्तर प्रदेश शामिल हैंं. इन राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ दो-दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए हैं. बिहार की बात की जाए तो वहां मुख्यमंत्री जदयू से हैं और भाजपा कोटे से दो डिप्टी सीएम बन हैं. इसी प्रकार महाराष्ट्र में शिवसेना से मुख्यमंत्री हैं जबकि भाजपा और एनसीपी से एक-एक डिप्टी सीएम बनाये गए हैं. इसके अलावा नागालैंड में एनडीए सरकार में भाजपा से डिप्टी सीएम बनाया गया है वहीं अरुणाचल में भी भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम बनाए गए हैं.