देहरादूनः उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीतकर जीत की हैट्रिक लगाई है. लेकिन वोट परसेंटेज और मंत्रियों की विधानसभा से आई मतदान की रिपोर्ट ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है. मंत्रियों की विधानसभा वार मतों की समीक्षा में साल 2019 की तुलना में साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिकतर मंत्री भाजपा उम्मीदवार को वोट दिलाने में फिसड्डी साबित हुए हैं.
जीती हुई विधानसभा से ही भाजपा को कम वोट: देशभर में साल 2019 के मुकाबले इस बार भाजपा को बहुत कम वोट मिले हैं. इसके साथ ही पूरे देश में वोट प्रतिशत भी घटा है. उत्तराखंड के पांचों लोकसभा सीटें भाजपा ने जीतीं लेकिन वोट प्रतिशत यहां भी गिरा. वोटों की समीक्षा करने पर कई भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली कई बातें सामने आई. निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चौबट्टाखाल विधानसभा से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह रावत को 26 लाख 39 वोट मिले थे. लेकिन साल 2024 में यह आंकड़ा घटकर 20 हजार 688 पहुंच गया. चौबट्टाखाल से विधायक भाजपा के सतपाल महाराज हैं, जो मौजूदा धामी सरकार में मंत्री हैं. भाजपा के लिए यह घटा वोट प्रतिशत सतपाल महाराज के लिए भी एक खतरे की घंटी माना जा सकता है.
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हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ऋषिकेश विधानसभा से साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 77 हजार 588 वोट मिले थे. जबकि इस बार 67 हजार 383 वोट मिले हैं. साफ है कि ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा का वोट प्रतिशत घटा है. ऋषिकेश से विधायक प्रेमचंद अग्रवाल हैं, जो मौजूदा धामी सरकार में शहरी विकास मंत्री हैं.
इन मंत्रियों की विधानसभा में भी नुकसान: टिहरी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत मसूरी विधानसभा क्षेत्र से साल 2019 में 53 हजार 526 वोट भाजपा को मिले थे. जबकि साल 2024 में यह घटकर 45 हजार 749 वोट हो गए. मसूरी विधानसभा से गणेश जोशी विधायक हैं. गणेश जोशी उत्तराखंड सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री हैं.
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कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की नरेंद्र नगर विधानसभा में भी भाजपा को कम वोट मिले हैं. नरेंद्र नगर से 2019 में भाजपा को 37 हजार 883 वोट मिले थे. जबकि इस बार यह घटकर 31 हजार 147 वोट हो गए. यानी यहां भी भाजपा का वोट प्रतिशत घटा है.
मंत्री धन सिंह रावत की विधानसभा श्रीनगर से 2019 में भाजपा को 34 हजार 391 वोट मिले थे. जबकि इस बार यह घटकर 28 हजार 484 हो गए. यानी उत्तराखंड सरकार में स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की पकड़ भी कमजोर दिखाई दी.
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अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सोमेश्वर विधानसभा से विधायक और सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की विधानसभा में भी भाजपा को नुकसान हुआ है. साल 2019 में सोमेश्वर विधानसभा से भाजपा को 25 हजार 030 वोट मिले थे. जबकि इस बार यह आंकड़ा घटकर 24 हजार 664 हो गया.
सितारगंज विधानसभा में बढ़ा वोट प्रतिशत: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा एकमात्र कैबिनेट मंत्री हैं जिन्होंने इस बार साल 2019 की तुलना में भाजपा के उम्मीदवार को वोट प्रतिशत बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है. सौरभ बहुगुणा की विधानसभा क्षेत्र सितारगंज से भाजपा के उम्मीदवार अजय भट्ट को साल 2019 में 55 हजार 822 वोट मिले थे. जबकि इस बार 56 हजार 294 मिले हैं.
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सीएम धामी और महेंद्र भट्ट के क्षेत्र से भी नुकसान: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चंपावत विधानसभा सीट पर पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 40 हजार 470 वोट मिले थे. जबकि इस बार 39 हजार 534 वोट मिले हैं. सीएम धामी के ग्रह क्षेत्र खटीमा विधानसभा क्षेत्र से साल 2019 में भाजपा को 49 हजार 541 वोट मिले थे. जबकि इस बार बढ़कर 50 हजार 553 मिले हैं. महेंद्र भट्ट का विधानसभा क्षेत्र बदरीनाथ में भी इस बार वोट प्रतिशत घटा है. हालांकि, महेंद्र भट्ट विधायक नहीं हैं. लेकिन वह इसी विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते आए हैं. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को यहां से 37 हजार 069 वोट मिले थे. जबकि इस बार यह आंकड़ा घटकर 31 हजार 854 पर रुक गया है.
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विधानसभा अध्यक्ष की विधानसभा से भाजपा को फायदा: कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र से विधायक और मौजूदा समय में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की विधानसभा से साल 2019 में 43 हजार 190 वोट बीजेपी उम्मीदवार को मिले थे. यहां पर आंकड़ा बढ़कर 46 हजार 096 पहुंच गया है.
मंत्रियों पर परफॉर्मेंस पर होगी बैठक: उत्तराखंड में घटते वोट प्रतिशत और कैबिनेट मंत्रियों के क्षेत्र में भाजपा की परफॉर्मेंस को लेकर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि हम इन सभी बातों का आकलन कर रहे हैं. जल्द ही इस दिशा में बैठक की जाएगी. अभी सभी वरिष्ठ नेता दिल्ली में सरकार गठित करने में व्यस्त हैं. लेकिन चुनाव में हमारी जो भी कमजोरी रही, उन्हें दूर किया जाएगा. लोकसभा चुनाव में किस नेता ने किस तरह के कार्य भाजपा के लिए किए हैं और उम्मीदवारों को जीत दिलवाने में किसकी कितनी भूमिका रही है, इसकी समीक्षा की जाएगी.
हालांकि, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि हमारा एक-एक कार्यकर्ता इस पूरे चुनाव प्रक्रिया में दिन-रात जमीन पर रहा. उसका नतीजा यही है कि उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटें भाजपा ने एक बार फिर से जीती हैं. मंत्रियों के काम की समीक्षा, सरकार और संगठन लगातार करता रहता है. आगे भी यह कार्य किया जाएगा ताकि आने वाले चुनाव में किसी तरह की कोई परेशानी भाजपा को ना हो.
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