नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में दो लाख बच्चों को किताबें नहीं मिलने पर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई की गई. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर कड़ी टिप्पणी भी की. अब इसको लेकर विपक्ष केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई है. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने तो यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की तरफ से जेल से सरकार चलाने की जिद से राजधानी में संवैधानिक संकट लगातार गहराता जा रहा है.
बिधूड़ी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री की सिफारिश के अभाव में दिल्ली नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव स्थगित हो गए. उन्होंने कहा कि एमसीडी के दो लाख बच्चों को किताबें न मिलने पर दिल्ली हाईकोर्ट की जो टिप्पणी आई है, उसने स्थिति की गंभीरता को और उजागर कर दिया है. उन्होंने उपराज्यपाल से अनुरोध किया है कि वह स्थिति की नजाकत को देखते हुए केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजें.
बिधूड़ी ने कहा कि निगम के स्कूलों में दो लाख बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई, जिसके बारे में एक पीआईएल दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी. हाईकोर्ट की बेंच में एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा थे, यह कहने के लिए मजबूर हो गए कि यह आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और नगर निगम की असफलता है.
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घड़ियाली आंसू बहा रहे मंत्री सौरभ भारद्वाज: कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल केवल सत्ता में बने रहने के लिए इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. वह राष्ट्रीय हितों की बजाय अपने निजी हित देख रहे हैं. कोर्ट ने शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के बारे में भी कहा है कि वह घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली की इस स्थिति को देखते हुए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता. दिल्ली के एक मंत्री का इस्तीफा पेंडिंग पड़ा है, क्योंकि मुख्यमंत्री जेल में हैं. दिल्ली में पिछले 35 दिनों से कैबिनेट मीटिंग नहीं हुई. दिल्ली में बिजली-पानी का समर प्लान नहीं बना. पिछले साल डूबने के बावजूद मॉनसून के दौरान राजधानी को बचाने के लिए कोई मीटिंग नहीं हो रही. पूरा प्रशासन ठप पड़ा हुआ है. ऐसी स्थिति में उपराज्यपाल को अवश्य ही कदम उठाना चाहिए.
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