भोजपुर : एक बहुत पुरानी कहावत है, राजनीति में कौन अपना, पराया हो जाए कोई नहीं जानता. कुछ ऐसा ही हाल बिहार बीजेपी में देखने को मिल रहा है. खासकर शाहाबाद इलाके में तलवार खिंच गई है. गंभीर आरोप लगाने से भी नेता अब नहीं चूक रहे हैं.
BJP में आरोप-प्रत्यारोप : लोकसभा चुनाव 2024 में शाहाबाद क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था. अब इसकी खींज नेता एक-दूसरे पर निकाल रहे हैं. इसकी शुरुआत आरके सिंह ने की थी. अब पार्टी के नेता ही उन्हें कठघड़े में खड़े कर रहे हैं.
बात मानसिक संतुलन तक पहुंची : दरअसल, भोजपुर में बड़हरा से भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने नाम नहीं लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह पर करारा हमला किया. उन्होंने तो यहां तक कहा दिया कि ''उनका (आरके सिंह) मानसिक संतुलन बिगड़ गया है.''
आरके सिंह ने लगाया था गंभीर आरोप : आइये आपको इसके पीछे की कहानी की ओर लिए चलते हैं. दो दिन पहले आरके सिंह ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि पार्टी के पूर्व विधायक और विधायक ने मिलकर उन्हें हराया था. यही नहीं पवन सिंह को पार्टी के नेता ने ही रुपया देकर काराकाट से खड़ा करवाया था.
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BJP विधायक का खतरनाक पलटवार : आरके सिंह के इस बयान पर जब भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, ''ये तो वो (आरके सिंह) बताएंगे कि कौन-कौन हरवाए हैं. जब वह कह रहे हैं, हमने तो देखा नहीं, कि पूर्व विधायक और विधायक ने हमको हरवाया तो उनसे पूछिए कि नाम बताइये किसने-किसने हरवाया. एक बात कहें, कभी-कभी जीवन में ऐसे अवसर आते हैं कि आदमी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है.''
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प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा था? : बता दें कि आरके सिंह के बयान पर जब कल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से सवाल पूछा था तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था हमें इसके बारे में मालूम नहीं है. वैसे आरके सिंह से इस मसले पर बात करेंगे.
पवन सिंह काराकाट से खड़ा हुए थे : दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में पवन सिंह काराकाट से खड़े हुए थे. पहले वह आरा से ही चुनाव लड़ना चाहते थे, बाद में बीजेपी ने उन्हें आसनसोल से टिकट दिया. विवाद हुआ तो टिकट वापसी हुई फिर पवन सिंह काराकाट से निर्दलीय ही खड़ा हो गए. वैसे पवन सिंह चुनाव हार गए थे.
शाहाबाद में NDA को हुआ था भारी नुकसान : कहा जाता है कि भले ही पवन सिंह चुनाव हार गए, पर शाहाबाद की पांच सीटों पर उन्होंने एनडीए को डेंट पहुंचाया था. आरा (जहां से आरके सिंह खड़े थे), बक्सर, जहानाबाद जैसी सीटों पर एनडीए की पक्की जीत को उन्होंने हार में तब्दील करवा दिया था. क्योंकि जाति वाली राजनीति में एनडीए को भारी नुकसान पहुंचा था.
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