रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा छाया रहा. 26 जुलाई से आहूत इस सत्र में सदन की कार्यवाही मुश्किल से दो घंटे भी अब तक नहीं चल पाई है. ऐसे में जनता के सवाल पीछे छूट रहे हैं और सदन हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. इसको लेकर पूर्व मंत्री और कोडरमा के बीजेपी विधायक नीरा यादव का दर्द छलक पड़ा.
सदन में प्रश्न नहीं उठा पाने का अफसोस
झारखंड विधानसभा परिसर में ईटीवी भारत से बात करते हुए बीजेपी विधायक नीरा यादव ने सदन सही से नहीं चलने पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि बहुत मुश्किल से रातभर बैठकर तैयारी करते हैं कि जनता की समस्या सदन में उठा सकें, लेकिन अफसोस होता है कि हम उन बातों को नहीं रख सकते.
बांग्लादेशी घुसपैठ पर साधा सरकार पर निशाना
नीरा यादव ने सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा कि कल भी सदन में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठा था. लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार बांग्लादेशी घुसपैठिए को स्थापित करना चाहती है और मूलवासी को विस्थापित कर रही है. अगर सरकार इस पर दो लाइन में भी जवाब दे देती तो हंगामा की कोई बात नहीं होती और हम लोग क्षेत्र की जनता की बात को रख पाते लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
कई सवाल पूछे, पर एक का भी जवाब नहीं आया
डॉ. नीरा यादव ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मैंने दर्जनों सवाल पूछे लेकिन कोई जवाब ही नहीं आज तक आया. यहां तक की इस पंचम विधानसभा के पहले सत्र में जो सवाल पूछे गए थे उसका भी जवाब आज तक लंबित है. ऐसे में जनता को हम क्या जवाब देंगे. सुबह 4 बजे जाकर सवाल विधानसभा में आकर देते हैं फिर 7 बजे हस्ताक्षर करने के लिए आते हैं न सुबह को सो पाते हैं और न ही शाम को. इसके बावजूद सदन में सवाल नहीं उठा पाते हैं. ऐसे में मजबूर होकर कभी विधानसभा परिसर में आंदोलन करते हैं तो कभी सदन में हंगामा करने को मजबूर हो जाते हैं.
सरकार होल्डिंग टैक्स लेती है, लेकिन सुविधा कुछ नहीं
डॉ. नीरा यादव ने कहा कि सरकार होल्डिंग टैक्स लेती है लेकिन सुविधा कुछ भी नहीं देती है न ही साफ सफाई की जाती हैं और न ही बिजली-पानी की सुविधा दी जाती है. हमारे यहां 5-6 पावर प्लांट हैं फिर भी हम गर्मी से झेलते हैं. उन्होंने कहा कि पावर प्लांट के प्रदूषण से तरह-तरह की बीमारी खासकर सांस की बीमारी, आंख की बीमारी आदि हो रही है लेकिन बिजली दूसरे को दे दिया जाता है.
हेमंत सरकार में बिजली व्यवस्था चरमराई
उन्होंने कहा कि 25 मेगावाट बिजली हमने झुमरी तिलैया के लिया, लेकिन इसे जनता को देने के बजाय उद्योग को दे दिया जाता है. उद्योग-धंधे को जरूर बिजली मिलनी चाहिए, लेकिन जनता को भी निराश नहीं करना चाहिए. आज स्थिति यह है कि 10 से 12 घंटे बिजली मिलती है. उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार थी तो जीरो कट बिजली मिलती थी, लेकिन अब आखिर क्या वजह है कि बिजली के लिए हाहाकार मचा है. सरकार पेटी ठेकेदार के जरिए काम करवाती है. जिसकी वजह से कार्यों की गुणवत्ता काफी घटिया रहती है.
पेयजल योजना के कार्यों पर उठाए सवाल
विधायक नीरा यादव ने कहा कि हमारे डोमचांच क्षेत्र में नवनिर्मित जलमीनार अचानक गिर गया. यह तो गनीमत रही कि कोई घायल नहीं हुआ, वरना बहुत बड़ा हादसा हो सकता था. पेयजल पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, मगर कार्यों की गुणवत्ता नहीं होने की वजह से जनता तक इसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. जब हमारी सरकार थी तो किसी तरह की गतिरोध होती थी तो समिति बनाकर उसे दूर करने की कोशिश की जाती थी, मगर यह सरकार हठधर्मिता पर उतर गई है.
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