नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं. दिल्ली में निर्माणाधीन सरकारी अस्पतालों की वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर करने के बाद अब विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड और जल मंत्री आतिशी को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने मंत्री पर जल बोर्ड में वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़ी मुख्य सचिव की रिपोर्ट को छुपाने के संगीन आरोप लगाए हैं. जबकि, इसकी रिपोर्ट को मंत्री को सौंपे जाने के बाद भी दिल्ली विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया. यह रिपोर्ट सदन की प्रॉपर्टी थी और सदस्यों को इसकी कॉपी दी जानी चाहिए थी.
विजेन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि 2018-19 से अब तक की बैलेंसशीट नहीं बनाई गई है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर 2018-19, 2019-20, 2020-21 की बैलेंसशीट तो तैयार की गई, लेकिन उसके बाद 2021-22 और 2022-23 की बैलेंसशीट को तैयार नहीं किया गया जिससे की कैग (CAG) ऑडिट से बचा जा सके. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की ओर से एक रिपोर्ट आतिशी को सौंपी गई थी. दिल्ली विधानसभा में 9 मार्च 2024 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें चीफ सेक्रेटरी से दिल्ली जल बोर्ड को लेकर डिटेल रिपोर्ट मांगी गई थी और सदन की तरफ से इसके लिए बकायदा तारीख तय की गई थी. 15 मार्च 2024 इसके लिए तरीख निर्धारित की गई थी. 15 मार्च को यह रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी ने मंत्री को सौंप दी. क्योंकि प्रस्ताव सदन का था. इसलिए यह रिपोर्ट सदन की प्रॉपर्टी थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली जल बोर्ड अपना बजट बढ़ा-चढ़ाकर बनाता है, लेकिन स्वीकृत शर्तों के अनुसार आवंटित फंड का उपयोग नहीं कर पा रहा है. उदाहरण के तौर पर, 2021-22 के बजट में दिल्ली जल बोर्ड के लिए 3,271 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन इस राशि में से 210 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया जा सका. इसी तरह, 2022 के बजट में 7,607 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन इस राशि में से 3,035 करोड़ रुपये निर्धारित मानदंडों के अनुसार उपयोग नहीं किए जा सके.
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2015-16 से अब तक, दिल्ली जल बोर्ड को 28,400 करोड़ रुपये दिए गए हैं, लेकिन किसी को भी नहीं पता कि इतनी बड़ी राशि कहां और किन उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई है. दिल्ली सरकार को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 73,000 करोड़ रुपये के ऋण को चुकाने में असमर्थता के बारे में नियमित रूप से सूचित किया जाता रहा, लेकिन सरकार हमेशा निष्क्रिय बनी रही और इस ऋण को चुकाने या कम करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए.
उन्होंने कहा कि सीएस की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट मार्च 2024 की है और आज तक उसकी बैलेंस शीट तैयार नहीं हुई है. यह बैलेंस शीट क्यों नहीं तैयार की जा रही. क्योंकि इसमें वित्तीय गड़बड़ियां हैं. उसके कारण बैलेंस शीट नहीं बन रही है. कैग के ऑडिट को अवॉइड करने के लिए सरकार इस तरह का खेल खेल रही है. विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली भाजपा विधायकों का प्रतिनिधिमंडल 30 अगस्त को इस मामले पर राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा. राष्ट्रपति को इस मुद्दे से अवगत कराया जाएगा, जोकि दिल्ली सरकार की तरफ से सीधे तौर पर संवैधानिक उल्लंघन का मामला है.
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