रांची: झारखंड में चंपई सोरेन के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद सियासी संकट भले ही टलता नजर आ रहा है, लेकिन जब तक सरकार बहुमत हासिल नहीं कर लेती तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है. सत्ताधारी गठबंधन के अंदर चल रही आंतरिक कलह पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी नजर बनाए हुए है. 48 घंटे के अंदर आखिरकार वो हो गया जिसके बारे में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी चिल्ला-चिल्ला कर कह रही थी. हेमंत सरकार को सत्ता से बेदखल करने का संकल्प लेने वाली बीजेपी न सिर्फ इसका श्रेय लेने में जुटी है बल्कि उसने नई सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा बदल गया हो, लेकिन पर्दे के पीछे देश विरोधी ताकतें इस सरकार को भी भ्रष्टाचार के दलदल में ले जायेगी.
विशेष सत्र को लेकर बीजेपी की बनी रणनीति: सियासी घमासान के बीच भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को विधायक दल की बैठक बुलाई और इसमें मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में करीब 2 घंटे तक चली बीजेपी विधायक दल की बैठक में हेमंत सरकार के जाने और वंशवाद की राजनीति के मुखर विरोध के कारण चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का श्रेय पार्टी को दिया गया. बैठक में चंपई सरकार द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 5-6 फरवरी को विशेष सत्र बुलाने पर रणनीति बनी.
बैठक के बाद बीजेपी विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए जरूर विशेष सत्र बुलाया गया है, लेकिन जिस तरह से सत्ताधारी दलों के विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया गया है, उससे साफ साबित होता है कि उनके मन में बहुमत को लेकर डर है. फ्लोर टेस्ट के दौरान हम भी मौजूद रहेंगे. उन्होंने नई सरकार को बधाई देते हुए कहा कि चंपई सोरेन सरकार को राज्य में भ्रष्टाचार खत्म करना चाहिए और ईडी द्वारा अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की.
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