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लोकसभा चुनाव 2024: सांसद सुदर्शन भगत की राजनीतिक जमीन पर समीर उरांव करेंगे बैटिंग, पर राह नहीं होगी आसान!

BJP changed candidate in Lohardaga. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची ने राजनीतिक पंडितों के गणित को पूरी तरह से उलझा दिया है. खासकर लोहरदगा सीट पर प्रत्याशी बदले जाने से हर कोई हैरान है. सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव को इस सीट से मौका दिया गया है.

BJP Changed Candidate
Lohardaga Lok Sabha Seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 5, 2024, 2:56 PM IST

लोहरदगा : भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई है. इसके अनुसार लोहरदगा लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद रहने वाले सुदर्शन भगत का टिकट कट गया है. यह सुदर्शन भगत के समर्थकों के साथ-साथ लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के आम लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है. बेहद सरल स्वभाव के सुदर्शन भगत की पकड़ ना सिर्फ आरएसएस में थी, बल्कि सुदर्शन बेहद सरल स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. सुदर्शन भगत ने पिछले 15 साल के दौरान लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा के लिए एक अभेद किला तैयार कर दिया था. राजनीति की इस पिच पर जो मेहनत सुदर्शन भगत ने की थी, अब उस पर बैटिंग करने का मौका समीर उरांव को मिल गया है.

लोहरदगा लोकसभा सीट में मजबूत स्थिति में रही है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के लिए लोहरदगा लोकसभा सीट एक मजबूत सीट रही है. यहां पर लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. साल 2009 में सुदर्शन भगत भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आये थे. इसके बाद साल 2014 और साल 2019 में भी सुदर्शन भगत ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में जीत का अंतर मात्र 10 हजार वोटों का था. इसके बाद से ही भाजपा के अंदर एक चर्चा शुरू हो गई थी. इस बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से जो सर्वेक्षण कराया गया, उसमें समीर उरांव का नाम काफी ऊपर चल रहा था. हालांकि आशा लकड़ा और डॉक्टर अरुण उरांव का नाम भी संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल था.

राजनीतिक पंडित भी भाजपा के फैसले से हैं हैरान

राजनीतिक पंडितों की माने तो केंद्रीय नेतृत्व में आशा लकड़ा की मजबूत पकड़ की वजह से सभी को यह विश्वास था कि आशा लकड़ा लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि अंतिम समय में समीर उरांव के नाम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर ललित उरांव ने यहां से चुनाव जीता था. इसके बाद 1996 में भी ललित उरांव ने जीत हासिल की थी. जबकि वर्ष 1998 में इंद्रनाथ भगत ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. वहीं वर्ष 1999 में दुखा भगत ने चुनाव जीता था. साल 2004 में रामेश्वर उरांव ने चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद से लगातार भाजपा इस सीट पर चुनाव जीतती रही है. अब समीर उरांव के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल तो नहीं, परंतु इतना आसान भी नहीं है.

कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत को उतारा जा सकता है मैदान में

वहीं इस बार लोहरदगा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत का नाम सामने आ रहा है. पार्टी ने भले ही आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की हो, लेकिन सुखदेव भगत पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. जिसकी वजह से यह मानकर चला जा रहा है कि लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सुखदेव भगत प्रत्याशी हो सकते हैं. ऐसे में सुखदेव भगत और समीर उरांव के बीच मुकाबला हुआ तो स्थिति बेहद दिलचस्प हो सकता है.

आखिर भाजपा ने क्यों खेला समीर उरांव पर दांव

लोहरदगा लोकसभा सीट में इस बार राज्यसभा सांसद समीर उरांव भाजपा के प्रत्याशी हैं. सुदर्शन भगत लगातार 15 साल इस यहां से सांसद रह चुके हैं. अब इसके बाद समीर उरांव के नाम की घोषणा पार्टी की ओर से प्रत्याशी के रूप में की गई है. लोगों के बीच यह चर्चा जरूर है कि समीर उरांव पर आखिर भाजपा ने दांव क्यों खेला है. जबकि सुदर्शन भगत एक साधारण व्यक्तित्व और सरल स्वभाव के जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों के बीच अपना स्थान रखते थे. पार्टी में उनकी स्थिति भी मजबूत थी. फिर भी उनका टिकट कट जाना लोगों को समझ में नहीं आ रहा.

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लोहरदगा : भाजपा की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई है. इसके अनुसार लोहरदगा लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद रहने वाले सुदर्शन भगत का टिकट कट गया है. यह सुदर्शन भगत के समर्थकों के साथ-साथ लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के आम लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है. बेहद सरल स्वभाव के सुदर्शन भगत की पकड़ ना सिर्फ आरएसएस में थी, बल्कि सुदर्शन बेहद सरल स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. सुदर्शन भगत ने पिछले 15 साल के दौरान लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा के लिए एक अभेद किला तैयार कर दिया था. राजनीति की इस पिच पर जो मेहनत सुदर्शन भगत ने की थी, अब उस पर बैटिंग करने का मौका समीर उरांव को मिल गया है.

लोहरदगा लोकसभा सीट में मजबूत स्थिति में रही है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के लिए लोहरदगा लोकसभा सीट एक मजबूत सीट रही है. यहां पर लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. साल 2009 में सुदर्शन भगत भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आये थे. इसके बाद साल 2014 और साल 2019 में भी सुदर्शन भगत ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में जीत का अंतर मात्र 10 हजार वोटों का था. इसके बाद से ही भाजपा के अंदर एक चर्चा शुरू हो गई थी. इस बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से जो सर्वेक्षण कराया गया, उसमें समीर उरांव का नाम काफी ऊपर चल रहा था. हालांकि आशा लकड़ा और डॉक्टर अरुण उरांव का नाम भी संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल था.

राजनीतिक पंडित भी भाजपा के फैसले से हैं हैरान

राजनीतिक पंडितों की माने तो केंद्रीय नेतृत्व में आशा लकड़ा की मजबूत पकड़ की वजह से सभी को यह विश्वास था कि आशा लकड़ा लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि अंतिम समय में समीर उरांव के नाम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर ललित उरांव ने यहां से चुनाव जीता था. इसके बाद 1996 में भी ललित उरांव ने जीत हासिल की थी. जबकि वर्ष 1998 में इंद्रनाथ भगत ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. वहीं वर्ष 1999 में दुखा भगत ने चुनाव जीता था. साल 2004 में रामेश्वर उरांव ने चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद से लगातार भाजपा इस सीट पर चुनाव जीतती रही है. अब समीर उरांव के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल तो नहीं, परंतु इतना आसान भी नहीं है.

कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत को उतारा जा सकता है मैदान में

वहीं इस बार लोहरदगा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत का नाम सामने आ रहा है. पार्टी ने भले ही आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की हो, लेकिन सुखदेव भगत पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. जिसकी वजह से यह मानकर चला जा रहा है कि लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सुखदेव भगत प्रत्याशी हो सकते हैं. ऐसे में सुखदेव भगत और समीर उरांव के बीच मुकाबला हुआ तो स्थिति बेहद दिलचस्प हो सकता है.

आखिर भाजपा ने क्यों खेला समीर उरांव पर दांव

लोहरदगा लोकसभा सीट में इस बार राज्यसभा सांसद समीर उरांव भाजपा के प्रत्याशी हैं. सुदर्शन भगत लगातार 15 साल इस यहां से सांसद रह चुके हैं. अब इसके बाद समीर उरांव के नाम की घोषणा पार्टी की ओर से प्रत्याशी के रूप में की गई है. लोगों के बीच यह चर्चा जरूर है कि समीर उरांव पर आखिर भाजपा ने दांव क्यों खेला है. जबकि सुदर्शन भगत एक साधारण व्यक्तित्व और सरल स्वभाव के जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों के बीच अपना स्थान रखते थे. पार्टी में उनकी स्थिति भी मजबूत थी. फिर भी उनका टिकट कट जाना लोगों को समझ में नहीं आ रहा.

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