देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी एक्शन में है. उत्तराखंड के लिहाज से बात करें तो बीजेपी ने उत्तराखंड लोकसभा की पांचों सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिये हैं. इन पांच सीटों पर बीजेपी ने तीन सीटों पर कोई बदलाव नहीं किया है. दो लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने दो सांसदों के टिकट काटे हैं. ये दोनों ही सांसद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. आईये आपको लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों से बीजेपी के कैंडिडेट के बारे में बताते हैं.
बीजेपी ने टिहरी, नैनीताल और अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर कोई बदलाव नहीं किया है. बीजेपी ने इन तीनों ही लोकसभा सीटों पर पुराने चेहरे पर दांव खेला है. बीजेपी ने टिहरी गढ़वाल से रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह पर ही भरोसा जताया है. माला राज्यलक्ष्मी शाह टिहरी से लगातार 3 बार सांसद हैं. वे राजपरिवार से ताल्लुक रखती है. माला राज्यलक्ष्मी शाह की साफ छवि है. इसके साथ ही उनके जनाधार के कारण बीजेपी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है
वहीं, नैनीताल उधम सिंह नगर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से बीजेपी ने केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट को चुनावी मैदान में उतारा है. अजय भट्ट 2029 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं. अजय भट्ट की गिनती उत्तराखंड बीजेपी के कद्दावर नेताओं में होती है. वे उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.1996 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ जीत हासिल की. राज्य स्थापना के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल कर विधानसभा का सदस्य बनने में कामयाबी हासिल की. इसके बाद साल 2012 के विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, इस दौरान सरकार कांग्रेस की बनी लिहाजा वह नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए चुने गए. इसके अलावा अजय भट्ट ने संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और वह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बन गए. साल 2019 में भाजपा हाईकमान ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें नैनीताल उधमसिंहनगर लोकसभा सीट से टिकट दिया. पार्टी हाई कमान के भरोसे पर खड़ा उतारते हुए अजय भट्ट ने यह चुनाव बड़े अंतर से जीता और पहली बार सांसद चुने गए. फिलहाल वह केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं. जबकि एक बार फिर पार्टी हाईकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए फिर इसी लोकसभा सीट से उन्हें भाजपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया है.
इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने अल्मोड़ा लोकसभा सीट से अजय टम्टा को टिकट दिया है. उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों में आरक्षित सीट अल्मोड़ा से अजय टम्टा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है. अजय टम्टा फिलहाल 17वीं लोकसभा के सदस्य भी है. अल्मोड़ा में साल 1972 में जन्मे अजय टम्टा का लंबा राजनीतिक सफर रहा है. बेहद सरल स्वभाव के अजय टम्टा उत्तराखंड विधानसभा के भी सदस्य रहे हैं. साल 2007 में पहली बार अजय टम्टा विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए. अजय टम्टा ने साल 2007 से 2012 तक विधायक के रूप में काम किया. इसके बाद साल 2012 में फिर एक बार उन्होंने विधानसभा के चुनाव में जीत हासिल की हालांकि इस बार वह केवल 2 साल ही विधायक रह पाए. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया.
वहीं, हरिद्वार लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर रमेश पोखरियाल का टिकट काटा गया है. उनकी जगह त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट दिया गया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. संगठन में भी वे कई पदों पर रह चुके हैं. उनके पास लंबा सियासी अनुभव हैं. जिसके कारण इस बार बीजेपी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए हरिद्वार से टिकट दिया है.
पौड़ी लोकसभा सीट पर भी बीजेपी ने बड़ा बदलाव किया है.यहां से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट काटा है. उनकी जगह पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को टिकट दिया गया है..अनिल बलूनी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है. वे पीएम मोदी के चुनावी कैंपेन संभाल चुके हैं. पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को चुनावी मैदान में उतारा है.
- दिग्गजों की रणभूमि रही अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट, यहां समझिये सियासी समीकरण का गुणा भाग
- लोकसभा चुनाव 2024: नैनीताल सीट पर BJP ने फिर खेला अजय भट्ट पर दांव, PM पद के 'दावेदार' से जुड़ा है सीट का इतिहास
- बीजेपी को भाया टिहरी का 'राजशाही' फार्मूला, रानी पर चौथी बार खेला दांव, टिकट मिलने से गदगद परिवार
- उत्तराखंड की 3 लोकसभा सीटों के लिए चेहरे फाइनल, अल्मोड़ा-टिहरी-नैनीताल से नाम घोषित, पुराने चेहरों पर ही भरोसा
- भाजपा ने हरिद्वार और पौड़ी लोकसभा सीट पर रखा सस्पेंस, टिकट कटने के कयास, नये चेहरे उतारने की तैयारी!
- सत्ता में वापसी होने पर कांग्रेस कराएगी जाति जनगणना, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने PC में किया ऐलान
- उत्तराखंड में गढ़वाल-कुमाऊं और ठाकुर-ब्राह्मण के इर्द-गिर्द रहती है राजनीति, केंद्र भी रखता है जातीय समीकरण पर नजर