नई दिल्ली: दिल्ली की हवा-पानी को लेकर आमतौर पर चर्चा दुनियाभर में होती है. पानी की किल्लत हो या फिर वायु प्रदूषण की समस्या, इन सब पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति भी खूब होती रहती है. दूसरी तरफ दिल्ली विकास प्राधिकरण के बनाए बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता पार्क) दिल्लीवालों को सेहतमंद रखने में कम भूमिका नहीं निभा रहे हैं.
वहीं, राजधानी के अलग-अलग कोनों में सात ऐसे बायोडायवर्सिटी पार्क बने हैं जो 'दिल्ली के फेफड़ों' का काम कर रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चित 'यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क' है, जिसके दो फेज हैं. इन बायोडायवर्सिटी पार्क का दिल्ली को क्या फायदा मिल रहा है, इस पर डॉ. फैयाज ए. खुदसर पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
डॉ फैयाज ए. खुदसर ने बताया कि दिल्ली में दो लाइफ सपोर्टिंग लैंडस्केप रीवर यमुना और अरावली हिल हैं. यहां पानी और हवा आदि की सभी समस्याओं को देखते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक बेहद ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट को 'यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क' का नाम दिया गया था. डीडीए के इस पार्क में जल को कैसे रीस्टोर किया जा सकता है, इसका नायाब नमूना यहां पर देखने को मिलता है. इस संचयित पानी आपके आसपास के इलाकों में भी पानी की सप्लाई को बरकरार रखने में मददगार तो ही रहा है. दूसरी तरफ जीवों का संरक्षक भी बनता जा रहा है.
डॉ फैयाज ने बताया कि दिल्ली के जगतपुर गांव में करीब 400 एकड़ से ज्यादा एरिया में फैला 'यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क', आज न केवल पानी की समस्याओं का समाधान ढूंढता नजर आता है, बल्कि वायु गुणवत्ता में आई कमियों को भी दिखाता है. पार्क के इकोसिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) की दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है. आने वाले समय में यह पता चल सकेगा और हम यह डेटा दिखा पाएंगे कि आखिर इस पार्क की कमाई क्या है? इसके बाद समझ आ पाएगा कि इस तरह के डीडीए के पार्क दिल्ली के लिए कितने लाभदायक हैं.
दरअसल, इकोसिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) का मतलब प्रकृति में सभी जीव जंतुओं की एक दूसरे के ऊपर निर्भरता होना है. मतलब यह है कि मिट्टी से लेकर सभी पेड़-पौधे, कीड़े-मकोड़े, जीव-जंतु, वायरस-बैक्टीरिया, जानवर और आखिर में मनुष्य, यह सभी इकोसिस्टम के मुख्य घटक होते हैं. इन सभी से मिलकर ही प्रकृति बनती है. यह सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर निर्भर होते हैं.
डॉ फैयाज बताते हैं कि दिल्ली में अभी डीडीए के सात बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता पार्क) हैं. इनमें यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क, अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क, नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क, नॉर्थ रिज (कमला नेहरू रिज), तिलपथ घाटी बायोडायवर्सिटी पार्क, तुगलकाबाद बायोडायवर्सिटी पार्क और कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन सभी बायोडायवर्सिटी पार्क की अलग-अलग खासियत और गुण हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी अपने कई आदेशों में बायोडायवर्सिटी पार्कों की महत्ता का जिक्र किया है और कहा है कि यमुना नदी को उसके पुर्नरुत्थान और फ्लड प्लेन रिस्टोरेशन के लिए डीडीए के यह पार्क कारगर साबित होंगे.
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इस पार्क की खासियत यह भी है कि सर्दियों के समय में 'यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क' एरिया में बने 'वेटलैंड' में साइबेरियन पक्षी आते हैं. साइबेरिया में हमेशा बेहद ठंड रहती है. ठंड के मौसम साइबेरिया का टेम्परेचर शून्य से भी काफी नीचे चला जाता है, जिसकी वजह से यह पक्षी सामान्य ठंड वाली जगह पर आ जाते हैं. पार्क में हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं.
मॉनसून के समय में पार्क में विजिटर्स/पर्यटकों के आने की अनुमति नहीं होती है. दिल्ली में पहला जैव विविधता पार्क 'यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क' साल 2002 में बनाया गया था. इसके बाद ही बाकी सभी 6 बायोडायवर्सिटी पार्क अलग-अलग समय में बनाए जाते रहे हैं जो दिल्ली की हवा और पानी दोनों के लिए बेहद ही खास और अहम माने गए हैं.
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