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राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में बिलासपुर के छात्र का कमाल, जानिए "द गार्जियन स्टिक" का खासियतें - THE GUARDIAN STICK

राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए बिलासपुर के छात्र दिव्यवीर ने 'द गार्जियन स्टिक' मॉडल का चयन किया गया है.

National Children's Science Congress
विज्ञान कांग्रेस में बिलासपुर के छात्र का प्रोजेक्ट सेलेक्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 21, 2025, 8:39 PM IST

बिलासपुर : 31वें राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के चार बाल वैज्ञानिकों ने अपना परचम लहराया है. राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में पहली बार छत्तीसगढ़ से एक साथ 4 प्रोजेक्ट का चयन किया गया है. इसमें बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह के 'द गार्जियन स्टिक', रायपुर की शिखा देवांगन के 'ग्रेन प्रोटेक्शन पिल', कोंडागांव की भूमिका पद्माकर के 'कार्बन फुटप्रिंट' और सूरजपुर की प्रतिमा प्रजापति के 'मेकिंग हार्ड बोर्ड फ्रॉम मेज' प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर के लिए चुना गया है.

कलेक्टर और एसपी ने ने की तारीफ : राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए बिलासपुर के छात्र दिव्यवीर ने 'द गार्जियन स्टिक' का निर्माण किया है. बिलासपुर के लर्नर्स इंग्लिश मीडियम के छात्र दिव्यवीर और उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने कलेक्टर अवनीश शरण और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह से मिलकर दिव्यवीर के प्रोजेक्ट की जानकारी दी. कलेक्टर और एसपी ने इस प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले छात्र की प्रशंसा करते हुए उसे बधाई दी.

'द गार्जियन स्टिक' की खासियत : छात्र और गुरुजनों ने 'द गार्जियन स्टिक' को वृद्धजनों और दिव्यागों खासकर दृष्टि बाधितों के लिए उपयोगी बताया है. इसके इस्तेमाल से उनका चलना फिरना तो आसान होगा ही. अचानक आई आपदा से भी वे निपट सकेंगे. इसमें सेंसर के साथ झटका देने वाला डिवाइस भी है, जिससे छोटे जीव जंतु को दूर भगाया जा सकता है. वहीं, हादसे का शिकार होने पर छड़ी के जरिए दिव्यांग के परिजन को इसकी खबर लग जाएगी.

प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की तैयारी : बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह को उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम और स्कूल के अन्य टीचर का हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहा. यही वजह है कि छात्र ने कड़ी मेहनत के बाद एक बेहतर प्रोजेक्ट बनाने में सफलता हासिल किया है, जिसकी प्रशंसा अब न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगी है. क्योंकि इस प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की तैयारी भी चल रही है.

3 से 6 जनवरी के बीच 31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन रविंद्र भवन भोपाल में तक किया गया. इसमें छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश और 4 खाड़ी देशों के बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए. छत्तीसगढ़ से चयनित 16 बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट पेश किए, जिनमें से 4 उत्कृष्ट परियोजनाओं का चयन किया गया था. इनका चयन उत्कृष्ट 20 परियोजनाओं में हुआ है.

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बिलासपुर : 31वें राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के चार बाल वैज्ञानिकों ने अपना परचम लहराया है. राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में पहली बार छत्तीसगढ़ से एक साथ 4 प्रोजेक्ट का चयन किया गया है. इसमें बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह के 'द गार्जियन स्टिक', रायपुर की शिखा देवांगन के 'ग्रेन प्रोटेक्शन पिल', कोंडागांव की भूमिका पद्माकर के 'कार्बन फुटप्रिंट' और सूरजपुर की प्रतिमा प्रजापति के 'मेकिंग हार्ड बोर्ड फ्रॉम मेज' प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर के लिए चुना गया है.

कलेक्टर और एसपी ने ने की तारीफ : राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए बिलासपुर के छात्र दिव्यवीर ने 'द गार्जियन स्टिक' का निर्माण किया है. बिलासपुर के लर्नर्स इंग्लिश मीडियम के छात्र दिव्यवीर और उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने कलेक्टर अवनीश शरण और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह से मिलकर दिव्यवीर के प्रोजेक्ट की जानकारी दी. कलेक्टर और एसपी ने इस प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले छात्र की प्रशंसा करते हुए उसे बधाई दी.

'द गार्जियन स्टिक' की खासियत : छात्र और गुरुजनों ने 'द गार्जियन स्टिक' को वृद्धजनों और दिव्यागों खासकर दृष्टि बाधितों के लिए उपयोगी बताया है. इसके इस्तेमाल से उनका चलना फिरना तो आसान होगा ही. अचानक आई आपदा से भी वे निपट सकेंगे. इसमें सेंसर के साथ झटका देने वाला डिवाइस भी है, जिससे छोटे जीव जंतु को दूर भगाया जा सकता है. वहीं, हादसे का शिकार होने पर छड़ी के जरिए दिव्यांग के परिजन को इसकी खबर लग जाएगी.

प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की तैयारी : बिलासपुर के दिव्यवीर सिंह को उनकी प्रिंसिपल निवेदिता शोम और स्कूल के अन्य टीचर का हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहा. यही वजह है कि छात्र ने कड़ी मेहनत के बाद एक बेहतर प्रोजेक्ट बनाने में सफलता हासिल किया है, जिसकी प्रशंसा अब न सिर्फ देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगी है. क्योंकि इस प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की तैयारी भी चल रही है.

3 से 6 जनवरी के बीच 31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन रविंद्र भवन भोपाल में तक किया गया. इसमें छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश और 4 खाड़ी देशों के बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए. छत्तीसगढ़ से चयनित 16 बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट पेश किए, जिनमें से 4 उत्कृष्ट परियोजनाओं का चयन किया गया था. इनका चयन उत्कृष्ट 20 परियोजनाओं में हुआ है.

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