बिलासपुर: देश में इन दिनों मौसम चुनावी है. गर्मी का पारा जरूर धीरे धीरे ऊपर जा रहा है लेकिन सियासत की तपिश भी लोग अब प्रचार के शोर से महसूस करने लगे हैं. सियासत के मैदान में कई लोग अपना भाग्य आजमा रहे हैं. बिलासपुर लोकसभा सीट के मैदान से इस बार ताल ठोकने के लिए एक पुजारी भी तैयार हैं. पुजारी अखिलेश मिश्रा अपना नामांकन फार्म भरने के लिए 25 हजार के सिक्कों की थैली लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. पहले तो लोगों को लगा कि शायद कोई शिकायत लेकर आया होगा. पर जब पुजारी जी ने बताया कि वो चुनाव लड़ने के लिए नामांकन फार्म खरीदने आए हैं.
25 हजार के सिक्के लेकर पहुंचे नामांकन फार्म लेने: तीन बोरियों में 25 हजार के सिक्के भरकर अखिलेश मिश्रा अपनी पत्नी नीतू मिश्रा के साथ कलेक्टर के दफ्तर पहुंचे. कलेक्ट्रेट में बैठे कर्मचारियों से अखिलेश ने कहा कि उनको चुनाव लड़ने के लिए नामांकन फार्म चाहिए उसके लिए वो 25 हजार लाए हैं. कर्मचारियों ने जब फार्म के पैसे मांगे तो पुजारी ने तीन बोरियों में भरकर लाए गए सिक्के उनके सामने रख दिए. 25 हजार के सिक्के देखकर कर्मचारियों के भी पसीने छुट गए. कर्मचारी परेशान थे कि अब इन सिक्कों को गिनेगा कौन. सिक्कों को गिनने का मतलब है पूरा दिन लगाना.
हैरान परेशान कर्मचारी पहुंचे निर्वाचन अधिकारी के पास: इतने सिक्कों को गिनने की जहमत उठाने की कोशिश कर्मचारी नहीं करना चाहते थे. कर्मचारियों के पास और भी काम थे. लिहाजा जिला निर्वाचन अधिकारी के पास कर्मचारी पहुंचे और पूरी बात बताई. जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि बैंक जाकर पहले इन सिक्कों को जमा करिए फिर 25 हजार का चालान बनवाकर लाइए. चालान लेकर आते ही आपको नामांकन फार्म दे दिया जाएगा.
बचपन से मैं देख रहा हूं कि बिलासपुर लोकसभा सीट से बीजेपी जीतती आ रही है. बावजूद इसके विकास नहीं हो पाया है. बीजेपी को हटाने के लिए और बिलासपुर का विकास करने के लिए मैं मैदान में उतरना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि क्षेत्र का विकास हो. मेरी प्राथमिकता है कि गरीबों को आवास मिले. मेडिकल फैसलिटी मिले. अच्छा एजुकेशन सिस्टम मिले. व्यवस्था में सुधार हो. मैंने बड़ी मुश्किल से एक एक पैसा जोड़कर जमा किया ताकि चुनाव लड़ सकूं. मंदिर में जो चढ़ावा आता है और पैसे मुझे मिलते हैं उसे जमा करके हमने रखा था. मन में समाज सुधार की इच्छा है. जनप्रतिनिधि बनकर हम कुछ कहना चाहते हैं. हमारी पत्नी की भी यही इच्छा है. - अखिलेश मिश्रा, नामांकन फार्म खरीदने आए पुजारी
हम लोग दोनों मिलकर घर परिवार चलाते हैं. जो पैसे बच जाते हैं उसे जमा कर रखा था. अब इन 25 हजार रुपए से नामांकन फार्म खरीदने आए हैं. मैं पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हूं. वो चुनाव मैदान में उतरकर लड़ना चाहते हैं समाज को बदलना चाहते हैं तो मैं उनके साथ हूं. ये क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है. यहां विकास नहीं हुआ. हमारे पति जब जीतेंगे तो इस क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे. मैं उनके साथ सहयोगी की तरह मैदान में खड़ी हूं. - नीतू मिश्रा, अखिलेश की पत्नी
पति पत्नि चाहते हैं राजनीति में बदलाव करना: पुजारी अखिलेश मिश्रा कहते हैं कि वो एलआईसी एजेंट का भी काम करते हैं. मंदिर में पुजारी होने के नाते पूजा पाठ कराते हैं. जो भी दक्षिणा मिलती है वो सिक्कों में मिलती है. इसी पैसे को उन्होने जोड़ जोड़ जमा किया है. विधानसभा चुनाव में भी अखिलेश मिश्रा अपना भाग्य आजमा चुके हैं. उस वक्त भी वो सिक्कों की थैली लेकर नामांकन फार्म खरीदने पहुंचे थे. पति पत्नी का कहना है कि वो चुनाव जीतने के बाद वो समाज में बेहतर बदलाव लाना चाहते हैं.