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केटीयू के प्रोफेसर शाहिद अली की सेवा बहाल, हाईकोर्ट ने रद्द किया बर्खास्तगी का आदेश - शाहिद अली

Bilaspur High Court कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के आदेश को हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर दिया. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर शाहिद अली को बर्खास्त किया था. जिसमें उन पर आरएसएस की सोच वाले प्रोफेसर बताया गया था.लेकिन विश्वविद्यालय के खिलाफ प्रोफेसर ने हाईकोर्ट याचिका लगाई.जिस पर उनकी बर्खास्तगी का आदेश निरस्त किया गया.

Bilaspur High Court
केटीयू के प्रोफेसर शाहिद अली की सेवा बहाल
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 1, 2024, 1:09 PM IST

बिलासपुर : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय से निकाले गए प्रोफेसर शाहिद अली को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. प्रोफेसर के बर्खास्तगी के आदेश को हाईकोर्ट निरस्त कर दिया.प्रोफेसर शाहिद अली पर आरोप लगे थे कि वो आरएसएस की सोच रखने वाले प्रोफेसर हैं. इसके अलावा उन पर नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट पेश करने का भी इल्जाम लगा था. इन आरोपों का विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना कोई जांच कराए ही उन्हें हटा दिया था, इसके खिलाफ प्रोफेसर शाहिद अली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष रखा था.

हाईकोर्ट ने प्रोफेसर की सेवा की बहाल : याचिका में बताया गया कि कुलपति बलदेव भाई सिर्फ ग्रेजुएट हैं और उन्हें कुलपति बना दिया गया है. इस बात का शाहिद अली ने विरोध किया. जिसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन पर अनर्गल आरोप लगाते हुए बर्खास्त कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रोफेसर शाहिद अली की बर्खास्तगी को समाप्त करते हुए उन्हें बहाल कर दिया. इसके अलावा कोर्ट ने सेवा में बहाल करने के बाद सभी लंबित देयकों का भुगतान करने का आदेश जारी किया है.

पहले कोर्ट की अवमानना का चल रहा था केस : आपको बता दें कि प्रोफेसर शाहिद अली ने कुलपति बलदेव भाई शर्मा पर ग्रेजुएट होने और फर्जी तरीके से कुलपति बने का आरोप लगाया था. प्रोफेसर शाहिद अली और विश्वविद्यालय प्रशासन की लंबे समय तक लड़ाई चलती रही. इसके बाद दोनों ही पक्ष हाईकोर्ट में अपनी गुहार लगाई थी. इस मामले में पहले कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को हाई कोर्ट ने प्रोफेसर शाहिद अली के प्रमोशन देने का आदेश दिया था जिस पर उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया. इसके बाद शाहिद अली ने अवमानना याचिका लगाई.

नौकरी में वापस आए शाहिद अली: बाद में प्रोफेसर शाहिद अली को विश्वविद्यालय प्रशासन ने फर्जी डिग्री और झूठी जानकारी देने के आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया. इस मामले में प्रोफेसर शाहिद अली ने दोबारा याचिका दायर की. जिसके बाद उन्हें नौकरी में बहाल कर दिया गया है. पूरे घटनाक्रम में चूहा बिल्ली का खेल चला. आपको बता दें कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कुशाभाऊ विश्वविद्यालय में कई राजनीतिक पारी खेली गई. यहां कुलसचिव के पद को लेकर भी विवाद हो गया था. कुलसचिव के रिटायर होने के बाद भी प्रतिनियुक्ति को लेकर विरोध करते हुए प्रोफेसर शाहिद अली ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इसके अलावा उनके प्रमोशन को लेकर भी याचिका में सुनवाई हो चुकी है.

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बिलासपुर : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय से निकाले गए प्रोफेसर शाहिद अली को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. प्रोफेसर के बर्खास्तगी के आदेश को हाईकोर्ट निरस्त कर दिया.प्रोफेसर शाहिद अली पर आरोप लगे थे कि वो आरएसएस की सोच रखने वाले प्रोफेसर हैं. इसके अलावा उन पर नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट पेश करने का भी इल्जाम लगा था. इन आरोपों का विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना कोई जांच कराए ही उन्हें हटा दिया था, इसके खिलाफ प्रोफेसर शाहिद अली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष रखा था.

हाईकोर्ट ने प्रोफेसर की सेवा की बहाल : याचिका में बताया गया कि कुलपति बलदेव भाई सिर्फ ग्रेजुएट हैं और उन्हें कुलपति बना दिया गया है. इस बात का शाहिद अली ने विरोध किया. जिसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन पर अनर्गल आरोप लगाते हुए बर्खास्त कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रोफेसर शाहिद अली की बर्खास्तगी को समाप्त करते हुए उन्हें बहाल कर दिया. इसके अलावा कोर्ट ने सेवा में बहाल करने के बाद सभी लंबित देयकों का भुगतान करने का आदेश जारी किया है.

पहले कोर्ट की अवमानना का चल रहा था केस : आपको बता दें कि प्रोफेसर शाहिद अली ने कुलपति बलदेव भाई शर्मा पर ग्रेजुएट होने और फर्जी तरीके से कुलपति बने का आरोप लगाया था. प्रोफेसर शाहिद अली और विश्वविद्यालय प्रशासन की लंबे समय तक लड़ाई चलती रही. इसके बाद दोनों ही पक्ष हाईकोर्ट में अपनी गुहार लगाई थी. इस मामले में पहले कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन को हाई कोर्ट ने प्रोफेसर शाहिद अली के प्रमोशन देने का आदेश दिया था जिस पर उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया. इसके बाद शाहिद अली ने अवमानना याचिका लगाई.

नौकरी में वापस आए शाहिद अली: बाद में प्रोफेसर शाहिद अली को विश्वविद्यालय प्रशासन ने फर्जी डिग्री और झूठी जानकारी देने के आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया. इस मामले में प्रोफेसर शाहिद अली ने दोबारा याचिका दायर की. जिसके बाद उन्हें नौकरी में बहाल कर दिया गया है. पूरे घटनाक्रम में चूहा बिल्ली का खेल चला. आपको बता दें कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कुशाभाऊ विश्वविद्यालय में कई राजनीतिक पारी खेली गई. यहां कुलसचिव के पद को लेकर भी विवाद हो गया था. कुलसचिव के रिटायर होने के बाद भी प्रतिनियुक्ति को लेकर विरोध करते हुए प्रोफेसर शाहिद अली ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इसके अलावा उनके प्रमोशन को लेकर भी याचिका में सुनवाई हो चुकी है.

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