बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में राजस्व मामलों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है. जिसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. बिलासपुर निवासी महिला ने तहसीलदार पर राजस्व संबंधित मामले निराकृत नहीं करने और मामले को लंबे समय तक अटकाने के आरोप लगाएं.साथ ही हाईकोर्ट में इसके लिए याचिका दायर की.याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश जारी किया है. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और राजस्व सचिव को शपथ पत्र में प्रदेश के लंबित राजस्व मामलों की जानकारी देने को कहा है.
महिला ने जमीन निराकरण को लेकर की थी शिकायत : बिलासपुर जिले में जमीनों को लेकर काफी शिकायतें हैं. जिले के कई क्षेत्रों में सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई है.तो कहीं किसी दूसरे खसरा नंबर से क्षेत्र की जमीन बदलने के मामले सामने आए.यही नहीं राजस्व विभाग के कई मामलों में सस्ती जमीन को कीमती बताकर बेचा गया.जमीन से जुड़े मामले में एक तहसीलदार पर कार्रवाई भी हुई है. वहीं अब एक नया मामला सामने आया है जिसमें लंबे समय तक राजस्व प्रकरण के निराकृत करने का इंतजार महिला करती रही.लेकिन जब मामला निराकृत नहीं हुआ तो महिला ने कोर्ट की शरण ली.
जिले के आंकड़े आने के बाद प्रदेश की मंगवाई स्थिति : जमीन निराकरण के मामले में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कलेक्टर से निराकरण समेत कई जानकारियां शपथ पत्र में मांगी थी. चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डीपी में शासन की ओर से जवाब दिया गया.जिसमें बिलासपुर में 497 अविवादित और 197 विवादित मामले नामांतरण के लंबित हैं. जानकारी के बाद कोर्ट ने कहा कि काम ऑनलाइन होने और 90 दिन में निराकृत करने का आदेश होने के बाद भी मामले लंबित होना आश्चर्य है. यदि ये आंकड़ा सिर्फ बिलासपुर का है तो प्रदेश भर की क्या स्थिति होगी.
शासन ने मांगा हाईकोर्ट ने जवाब : इस मामले में कोर्ट ने मुख्यसचिव और राजस्व सचिव को शपथ पत्र के साथ मामले की जानकारी देने को कहा है. कोर्ट ने पहले की सुनवाई में कलेक्टर बिलासपुर से तहसील कार्यालय में लंबित मामलों की जानकारी मांगी थी और इसे ठीक करने का निर्देश दिया था. इसके बाद एक ही जगह पर जमे राजस्व निरीक्षक, पटवारी का तबादला करने के साथ ही कुछ कर्मचारियों को निलंबित भी किया गया था.