प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगभग 2800 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में आरोपी दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश गुर्जर की जमानत मंजूर कर ली है. मनी लांड्रिंग के इस केस की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही है. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनने के बाद दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि दिनेश सिंह के खिलाफ बाइक बोट घोटाले में शामिल होने का कोई सीधा आरोप नहीं है. इस मामले में दर्ज प्राथमिक में वह नामजद नहीं है. घोटाले से जुड़ी रकम उसके खाते में स्थानांतरित नहीं की गई है. इस मामले से जुड़े कई आरोपियों की जमानत पहले ही मंजूर हो चुकी है.
वहीं, प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याची पर इस घोटाले में शामिल अभियुक्त धीरेंद्र पाल सोलंकी से 5.30 करोड रुपए कैश और 1.76 करोड़ रुपए बैंक अकाउंट के जरिए लेने का आरोप है. बाइक बोट घोटाले की 17.94 करोड़ की रकम धीरेंद्र पाल सोलंकी के खाते में ट्रांसफर की गई थी. जिसमें से यह रकम आरोपी दिनेश कुमार सिंह के खाते में स्थानांतरित की गई. जबकि दिनेश पाल के अधिवक्ता का कहना था कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि घोटाले की रकम याची के खाते में ट्रांसफर की गई. याची ने पूर्व में धीरेंद्र पाल सोलंकी को 10 करोड़ रुपए के लगभग लोन दिया था, जिसमें से कुछ रकम उसने याची के खाते में वापस ट्रांसफर की है.
कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कहा कि याची के ऊपर बाइक बोर्ड घोटाले में शामिल होने का कोई सीधा आरोप नहीं है. इस मामले में दर्ज किसी प्राथमिक में वह नामजद नहीं है. विवेचना के दौरान उसका नाम प्रकाश में आया. इस प्रकरण से जुड़े कई अभियुक्तों की जमानत मंजूर हो चुकी है. कोर्ट ने दिनेश पाल सिंह की जमानत अर्जी मंजूर कर ली.
यह था मामला
वर्ष 2017-18 में गाजियाबाद की गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय भाटी ने नैनीताल के खुरपटल में बाइक बोट योजना की शुरुआत की. इसमें बाइक टैक्सी के लिए निवेशकों से व्यावसायिक दो पहिया वाहनों के लिए निवेश आमंत्रित किए गए. बदले में उनको अच्छे रिटर्न का प्रलोभन दिया गया. लगभग 1.7 लाख ग्राहकों ने योजना में करीब 2800 करोड़ रुपए जमा कराए. लेकिन कुछ दिनों बाद निवेशकों को कंपनी ने रिटर्न देना बंद कर दिया. निवेशकों के दबाव डालने पर कंपनी ने उनको पोस्ट डेटेड चेक जारी किए, जो बाद में बिना भुगतान के वापस हो गए. निवेशकों की ओर से इस मामले में कुल 55 प्राथमिकी गौतम बुद्ध नगर के दादरी थाने में दर्ज कराई गई. 29 जून 2019 को इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी गई. प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा कायम कर मामले की जांच कर रही है.