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बिकरु कांडः विकास दुबे को पुलिस रेड की जानकारी देने के आरोपी चौकी इंचार्ज जमानत फिर खारिज - Bikru Case Kanpur

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी कानपुर के बिकरु कांड के आरोपी चौकी इंचार्ज की जमानत अर्जी फिर खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है, इसलिए 6 महीने बाद फिर से आवेदन करें.

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बिकरु कांड के आरोपी की जमानत अर्जी फिर खारिज. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 23, 2024, 11:00 PM IST

प्रयागराजः कानपुर के चर्चित बिकरु हत्याकांड में आरोपी चौकी इंचार्ज कृष्ण कुमार शर्मा की जमानत अर्जी तीसरी बार भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमे का ट्रायल चल रहा है. अपराध की गंभीरता और याची की अपराध में भूमिका को देखते हुए फिलहाल जमानत दिए जाने का आधार नहीं है. हालांकि कोर्ट ने शर्मा को छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल के स्टेटस के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. केके शर्मा की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनवाई की. प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने जमानत अर्जी का विरोध किया. इससे पूर्व के के शर्मा की 21 सितंबर 2021 को पहली जमानत अर्जी और 12 अप्रैल 2023 को दूसरी जमानत अर्जी हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी है.

याची कृष्ण कुमार के वकीलों ने कोर्ट के समक्ष कहा कि याची 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद है और अभी ट्रायल जल्द पूरा होने की कोई उम्मीद नहीं है. यह भी कहा गया कि जिन गवाहों के अब तक बयान हुए हैं, उनमें से किसी में भी याची की कोई भूमिका सामने नहीं आई है. किसी गवाह के बयान में यह बात नहीं आई है कि कृष्ण कुमार ने पुलिस रेड की जानकारी विकास दुबे को पहले से दे दी थी.

जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और विकास सहाय का कहना था कि इस स्तर पर अदालत साक्ष्य की प्रकृति पर विचार नहीं कर सकती है. क्योंकि कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान अभी नहीं हुए हैं. इस मामले में करीब 22 मुख्य गवाहों के बयान अभी होने बाकी है. जमानत दिए जाने पर याची गवाहों को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट में प्रस्तुत की गई ट्रायल की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार मामले में कुल 102 गवाह है, जिनमें से कुछ लोगों की ही गवाही अभी हुई है.

कोर्ट ने कहा कि याची की भूमिका काफी गंभीर है, उसने पुलिस अधिकारी होते हुए अपने साथियों का भरोसा तोड़ा. जिसकी वजह से उसके आठ सहकर्मियों की हत्या हो गई. मुकदमे का ट्रायल शुरू हो चुका है. गवाहों के परीक्षण का विस्तृत अवसर मिलेगा. अपराध की प्रकृति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि याची काफी लंबे समय से जेल में बंद है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए याची को यह छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल की स्थिति के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है.

इसे भी पढ़ें-बिकरू कांड में अब ईडी का शिकंजा, हत्यारोपी गैंगस्टर विकास दुबे समेत सात पर चार्जशीट

प्रयागराजः कानपुर के चर्चित बिकरु हत्याकांड में आरोपी चौकी इंचार्ज कृष्ण कुमार शर्मा की जमानत अर्जी तीसरी बार भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमे का ट्रायल चल रहा है. अपराध की गंभीरता और याची की अपराध में भूमिका को देखते हुए फिलहाल जमानत दिए जाने का आधार नहीं है. हालांकि कोर्ट ने शर्मा को छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल के स्टेटस के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं. केके शर्मा की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनवाई की. प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने जमानत अर्जी का विरोध किया. इससे पूर्व के के शर्मा की 21 सितंबर 2021 को पहली जमानत अर्जी और 12 अप्रैल 2023 को दूसरी जमानत अर्जी हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी है.

याची कृष्ण कुमार के वकीलों ने कोर्ट के समक्ष कहा कि याची 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद है और अभी ट्रायल जल्द पूरा होने की कोई उम्मीद नहीं है. यह भी कहा गया कि जिन गवाहों के अब तक बयान हुए हैं, उनमें से किसी में भी याची की कोई भूमिका सामने नहीं आई है. किसी गवाह के बयान में यह बात नहीं आई है कि कृष्ण कुमार ने पुलिस रेड की जानकारी विकास दुबे को पहले से दे दी थी.

जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और विकास सहाय का कहना था कि इस स्तर पर अदालत साक्ष्य की प्रकृति पर विचार नहीं कर सकती है. क्योंकि कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान अभी नहीं हुए हैं. इस मामले में करीब 22 मुख्य गवाहों के बयान अभी होने बाकी है. जमानत दिए जाने पर याची गवाहों को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट में प्रस्तुत की गई ट्रायल की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार मामले में कुल 102 गवाह है, जिनमें से कुछ लोगों की ही गवाही अभी हुई है.

कोर्ट ने कहा कि याची की भूमिका काफी गंभीर है, उसने पुलिस अधिकारी होते हुए अपने साथियों का भरोसा तोड़ा. जिसकी वजह से उसके आठ सहकर्मियों की हत्या हो गई. मुकदमे का ट्रायल शुरू हो चुका है. गवाहों के परीक्षण का विस्तृत अवसर मिलेगा. अपराध की प्रकृति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि याची काफी लंबे समय से जेल में बंद है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए याची को यह छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल की स्थिति के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है.

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