आगरा: दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मुख्यालय पर मंगलवार देर शाम विशाल बिजली पंचायत हुई. जिसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 21 जिलों के कर्मचारी के साथ ही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के दर्जनों कर्मचारी शमिल हुए. इसके साथ ही भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और तहसील अध्यक्ष समेत अन्य किसान भी शामिल हुए. सभी ने एक सुर में एक दूसरे के साथ खड़े होने की बात कही. कहा कि हम सब मिलकर बिजली के निजीकरण की लड़ाई जारी रखेंगे.
फ्रेंचाइजी करार रद्द करने का प्रस्ताव पारितः बिजली पंचायत में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव और आगरा में टोरेंट पॉवर के फ्रेंचाइजी करार रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया. वक्ताओं ने कहा कि बिजली का निजीकरण आम उपभोक्ताओं और किसानों को लालटेन युग में वापस ले जाना है. इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन करके निजीकरण करके भारी घोटाला किया जाएगा. भाकियू (टिकैत) ने नेताओं ने कहा कि बिजली निजीकरण के विरोध में जन आंदोलन करेंगे. इससे किसानों को महंगी बिजली मिलेगी और किसानों का उत्पीड़न होगा, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उपभोक्ता को लालटेन युग में धकेलने की कोशिशः विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय लिया है, जो गलत है. इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का घोर उल्लंघन करके ही पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इन निगमों को बेचने की जल्दी में है. ये एक बड़ी डील है. बिजली पंचायत में वक्ताओं को कर्मचारियों के साथ ही किसानों ने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश के 42 जनपदों में एकतरफा निजीकरण थोपा गया तो प्रदेश के शेष 33 जनपदों में भी आनन फानन में बिजली का निजीकरण कर दिया जाएगा. जिससे उत्तर प्रदेश के किसान और आम उपभोक्ता लालटेन युग में धकेल दिए जाएंगे. हम इसके विरोध में हैं. इसके साथ ही बिजली पंचायत में आगरा में चल रहे टोरेंट पावर कंपनी के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया. जिससे अब सीएम योगी को प्रेषित किया जाएगा.
बिजली निगम का निजीकरण स्वीकार्य नहींः वक्ताओं ने कहा कि बिजली के निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों को निजी कम्पनी का बंधुआ मजदूर बनना पडेगा. बड़े पैमाने पर छंटनी और संविदा कर्मियों की नौकरी जाएगी. निजीकरण को जो मसौदा सार्वजनिक हुआ है. इसको लेकर ही बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ गया है. बिजली कर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे. बिजली पंचायत ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि बिजली कर्मचारियों, घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले निजीकरण के निर्णय को वापस लिया जाए.
जनता और किसानों को उठाना पड़ेगा खामियाजाः भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के मंडल अध्यक्ष रणवीर चाहर ने कहा कि बिजली का निजीकरण किसानों और आम जनता के हितों पर सीधा हमला है. ये जनविरोधी कदम करार होगा. सरकारें बिजली क्षेत्र का निजीकरण करके केवल बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं. जबकि इसका खामियाजा आम जनता और किसानों को उठाना पड़ेगा. किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने चेतावनी दी कि यदि सरकारें इस निर्णय को वापस नहीं लेती हैं तो भाकियू इसे जन आंदोलन का रूप देगा. किसानों, मजदूरों और आम जनता को एकजुट करेंगे. सड़कों पर उतरकर सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध करेंगे. बिजली का निजीकरण केवल बिजली के दाम बढ़ाने और आम आदमी की मुश्किलें बढ़ाने का माध्यम है.
इन वक्ताओं ने किया संबोधितः आगरा की बिजली पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, प्रभात सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, पीके दीक्षित, सुहैल आबिद, ठाकुर राजपाल सिंह, मोती सिंह, विशाल भारद्वाज, विष्णु शर्मा, राकेश पाल, हिमालय अकेला, अनूप उपाध्याय, राहुल वर्मा, गौरव कुमार के साथ उपभोक्ताओं और किसानों के प्रतिनिधियों चौधरी रणवीर सिंह चाहर,राजवीर लवानियां, शशिकांत,भारत सिंह, दिगम्बर चौधरी, राजाराम यादव, प्रवीण चौधरी, छीतर मल, नगेन्द्र चौधरी आदि ने संबोधित किया और निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की.
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