पटना: बिहार की राजधानी पटना से सटे बिहटा में केंद्र सरकार और बिहार सरकार के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. पटना जिलाधिकारी से लेकर खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माण का जायजा लेने पहुंचे, लेकिन जमीन अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती नजर आ रही है. बिहार सरकार को इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करना है.
'जान दे देंगे जमीन नहीं देंगे': ऐसे में बिहटा एयरफोर्स में बने रनवे के चौड़ीकरण को लेकर रनवे के पास के देवकुली , कोरहर, गोखुलपुर मठिया गांव के किसान काफी प्रभावित होंगे. इसको लेकर गांव के तमाम किसानों ने बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि जान दे देंगे लेकिन सरकार को जमीन नहीं देंगे. हर बार हमारा ही गांव प्रभावित हुआ है.
"गांव के प्राचीन महादेव का मंदिर भी इस जमीन अधिग्रहण में जाना है, लेकिन हम हजारों साल पुराने मंदिर को टूटने नहीं देंगे. गांव की यह पहचान है. इसलिए सरकार को और कोई विकल्प ढूंढना होगा."- राजेश्वर सिंह, स्थानीय किसान
दूसरे फेज के लिए जमीन अधिग्रहण का काम जारी: दरअसल पटना से सटे बिहटा वायु सेना केंद्र में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण होना है. ऐसे में भारत सरकार ने 1413 करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिये हैं. पहले फेज में लगभग 108 एकड़ जमीन बिहार सरकार ने अधिग्रहण कर केंद्र सरकार को सौंप दिया है. दूसरे फेज में एयरपोर्ट के रनवे की चौड़ीकरण को लेकर जमीन का अधिकरण का कार्य शुरू हो चुका है. पटना जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार जमीन का सर्वे करते दिख रहे हैं. बिहटा प्रखंड के शफरदीनपुर गांव की भी जमीन इसमें जानी है.
जमीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों में रोष: इसके अलावा देवकुली गांव ,कोरहर, गोखुलपुर मठिया के आसपास की जमीन का भी सरकार अधिग्रहण करेगी. इस सिलसिले में गुरुवार को पटना डीएम खुद जमीन का सर्वे करने पहुंचे थे. इधर फैसला आने के बाद कोरहर गांव के किसानों में जमीन खोने का डर है. गांव के तमाम किसानों ने बैठक की और बैठक में निर्णय लिया गया कि हर बार गांव के किसान ही क्यों प्रभावित हों. उपजाऊ जमीन को सरकार ले रही है और किसान परेशान हैं.
"किसानों के अलावा लगभग रनवे के आसपास के 800 से ज्यादा घर लोग भी काफी प्रभावित होंगे. अगर सरकार हमारी जमीन अधिकरण कर लेती है तो हमारा परिवार और हम लोग कहां जाएंगे. वर्षों से यही चल आ रहा है हमारे पूर्वजों ने पहले भी बिहटा एयरफोर्स में अपनी जमीन दी है और अब नहीं दे सकते. इसके लिए जान भी चली जाए लेकिन सरकार को जमीन हम लोग नहीं देंगे."-सोनू सिंह, स्थानीय ग्रामीण
कोरहर गांव के ग्रामीणों का सवाल: साथ ही गांव के किसानों ने कहा कि पहले दो दिनों से बिहटा के शफरदीनपुर गांव का नाम सामने आ रहा था कि रनवे के पास वही गांव जाने वाला है, लेकिन अचानक से पटना डीएम को फोन आता है और कोरहर गांव के आसपास की भी जमीन अधिग्रहण करने का फैसला दिया जाता है. जिसके बाद वो कल अपने अधिकारियों के साथ आते हैं और गांव में सर्वे का काम शुरू करते हैं. आखिरकार अचानक यह फैसला क्यों किसके दबाव में आया.
उपजाऊ जमीन नहीं खोना चाहते किसान: वही गांव के वार्ड नंबर एक के वार्ड पार्षद सुमन चौहान ने बताया कि कोरहर गांव बिहटा नगर परिषद में आता है और कल डीएम और तमाम अधिकारी एयरपोर्ट निर्माण को लेकर जमीन सर्वे करने पहुंचे थे. पूर्व में सूचना मिली कि बिहटा प्रखंड के सफरदिनपुर गांव जाना है लेकिन अचानक अब देवकूली से लेकर कोरहर गांव और गोखुलपुर मठिया का जमीन भी जानी है, जिसके कारण गांव के किसान काफी परेशान हैं.
"पूर्वजों के द्वारा भी पहले भी एयरफोर्स में जमीन दी जा चुकी है लेकिन इस बार हम लोग जमीन नहीं देंगे.अगर जमीन दे दिया तो हम लोग कहां जाएंगे. किसान अपनी जमीन खेती से ही जीवित है और परिवार भी चल रहा है. उपजाऊ जमीन सरकार को दे दी तो हम लोग अपने परिवार के साथ कहां जाएंगे.": सुमन चौहान, वार्ड एक के पार्षद, कोरहर गांव
ये भी पढ़ें
राम कृपाल यादव ने लोकसभा में उठाया बिहटा एयरपोर्ट निर्माण कार्य शुरू करने का मामला