पटनाः बिहारवासियों को प्रचंड गर्मी से कब राहत मिलेगी, मानसून की बारिश कब होगी?. यह सवाल इसलिए क्योंकि लोगों को लंबे समय से मानसून का इंतजार है. मौसम विभाग की माने तो 16 जून तक इसी तरह के गर्मी की स्थिति बनी रहेगी. उसके बाद मानसून सक्रिय होने की संभावना है. हालांकि हल्की बारिश के बाद मौसम बदलने की संभावना है. लेकिन, मौसम विभाग के अनुसार बारिश के बाद भी उमस की स्थिति बनी रहेगी.
ला-नीना का प्रभाव से होगी झमाझम बारिश: मौसम विभाग के अनुसार बिहार में आने वाली मानसून पश्चिम बंगाल के के पास 31 मई से अटकी हुई है. बताया जाता है कि बंगाल की खाड़ी में करंट कम होने से मानसून कमजोर पड़ गया है. वैज्ञानिकों की मानें तो ला-नीना में ठंडा होने पर बारिश की ट्रैड विंड मजबूत होती है जिस वजह से भारत में मानसून के दौरान झमाझम होती है. हालांकि मानसून में देरी के बावजूद इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद हैं.
पश्चिम बंगाल में रूका है मानसूनः मौसम विभाग के आंकड़ों को देखें तो ला नीना प्रभाव के चलते साल 1951 से लेकर 2023 तक देश में 9 बार मानसून सामान्य से बेहतर रहा है. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो इस बार मानसून आने में देरी हुई. साल 2020-21-22 में मानसून ने 13 जून को प्रवेश किया था, जबकि पिछले साल 2023 12 जून को एंट्री ली थी. लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में 31 मई से रूकी हुई है. हालांकि इसबार अन्य साल के मुकाबले ज्यादा बारिश की संभावना है.
क्यों देरी कर रहा मानसूनः दूसरी तरफ मानसून पश्चिम से दक्षिण की ओर तेजी से बढ़ रहा है. मानसून ने महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के बाद गुजराज में एंट्री ले ली है. बता दें कि बंगाल की खाड़ी में करंट कम होने से दक्षिण पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से एक दिन पहले 29 मई अंडमान निकोबार में दाखिल हुई थी. इसके बाद 30 मई को केरल में केरल, फिर छत्तीसगढ़, ओडिशा और इसके बाद गुजरात में दस्तक देते ही यहां झमाझम बारिश देखने को मिली थी. लेकिन पूर्वी भारत में यह रुका हुआ है.
15 जून तक मानसून आने की संभावनाः IMD के मुताबिक बिहार में 13 से 15 जून के बीच मानसून आने की संभावना है. बिहार के कुछ हिस्सों में मौसम विभाग ने बारिश की चेतावनी जारी की है. शुक्रवार को मौसम विभाग ने बिहार के सुपौल, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, मधुबनी, सुपौल आदि जिलों में दोपहर तक बारिश की संभावना जतायी है. इस दौरान वज्रपात की भी संभावना जतायी है. 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है. मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से इन जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है.
क्या होता है ला नीना ?: जब पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र में निम्न हवा का प्रेशर बनता है तो एक स्थिति बनती है जिसे ला नीना कहा जाता है. इस स्थिति में समुद्री सतह का तापमान कम हो जाता है. इसका असर देश दुनिया के तापमान पर पड़ता है. ला नीना की अवधि करीब 9 महीने से एक साल तक रह सकता है.
सबसे गर्म जिला औरंगाबादः हालांकि इस दौरान बिहार में गर्मी से लोग परेशान हैं. 13 जून को राज्य का औरंगाबाद जिला सबसे गर्म रहा. यहां का अधिकतम तापमान 44.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जबकि पटना में थोड़ी कम गर्मी रही. यहां का तापमान 42.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. मौसम विभाग के अनुसार 16 तारीख से तापमान में गिरावट होगी. संभवतः इसी दिन से मानसून का प्रभाव दिखने लगेगा.
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