पटना: बिहार के निजी स्कूलों में लगातार बढ़ रहे फीस को लेकर 2019 में एक कानून लाया गया था. जिसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया है.
खंडपीठ ने याचिका खारिज की: मिली जानकारी के अनुसार, फीस नियंत्रित कानून को कानूनी चुनौती देने वाली रिट याचिका को चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन एवं जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है. यह रिट एसोसियेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स बिहार नामक संस्था की ओर से दायर किया गया था.
फीस पर अंकुश लगाने की कोशिश: वहीं, कोर्ट ने इस मामलें को खारिज करते हुए बिहार प्राइवेट स्कूल ( फीस नियमितिकरण ) अधिनियम 2019 को संवैधानिक और कानूनी तौर पर सही ठहराया है. हाई कोर्ट के इस निर्णय से राज्य के निजी स्कूलों द्वारा मनमाने फीस बढ़ोत्तरी पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
दो सदस्य की कमिटी का हो गठन: हाईकोर्ट ने इस निर्णय से राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि हर प्रमंडलीय स्तर पर गठित होने वाली फीस रेगुलेशन कमिटी में दो सदस्य का चुनाव उन छात्रों के माता पिता या अभिभावक गण के बीच से किया जाए, जो छात्र सिर्फ निजी स्कूलों में फीस देकर पढ़ते हो.
इन्हें बनाए सदस्य: हाईकोर्ट का आदेश है कि रेगुलेशन कमिटी में उन्हें शामिल किया जाए जिन्हें शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधानों का लाभ नहीं मिलता हो. फीस रेगुलेशन समिति के दो सदस्य उन छात्रों के अभिभावक नहीं हो सकते है, जो सरकारी या अनुदानित स्कूलों में पढ़ते हों.
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