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बिहार में कहीं सूखा कहीं बाढ़, 36 लाख हेक्टेयर धान उत्पादन के लक्ष्य पर सूखे की मार, अब तक सिर्फ 20% रोपनी - Monsoon in Bihar

Paddy plantation in Bihar बिहार में इस साल मानसून की असमानता ने किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है. उत्तर बिहार में गंडक, कोसी, बागमती, और महानंदा नदियों के उफान से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, वहीं दक्षिण बिहार के भागलपुर, मुंगेर, मगध, सारण, और पटना प्रमंडल में किसान धान रोपनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. अगर अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो धान उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है. पढ़ें, विस्तार से.

प्रकृति की मार.
प्रकृति की मार. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 18, 2024, 7:15 PM IST

Updated : Jul 18, 2024, 8:31 PM IST

किसानों की मुश्किलें बढ़ीं. (ETV Bharat)

पटना: बिहार में इस साल 36 लाख हेक्टेयर में धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है लेकिन जुलाई आधा से अधिक बीत चुका है और अभी 20% के आसपास ही धान की रोपनी हो पाई है. कृषि वैज्ञानिक के अनुसार 31 जुलाई तक धान रोपनी बेहतर माना जाता है. आधा जुलाई समाप्त हो गया है 29 जिलों में बारिश की कमी बनी हुई है. इसमें से 13 जिले ऐसे हैं जहां 20 से 40% तक कम बारिश हुई है. यदि एक सप्ताह के अंदर अच्छी बारिश नहीं हुई तो किसानों के लिए मुश्किल बढ़ सकती है.

धान रोपनी की स्थितिः भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम 1.5% धान की रोपनी हो पाई है. मगध और मुंगेर प्रमंडल में 3% के करीब धान की रोपनी हुई है. पटना प्रमंडल की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. यहां 9% ही धान की रोपनी हुई है. सारण प्रमंडल में 27% धान की रोपनी हुई है. दरभंगा में 15% धान की रोपनी हुई. तिरहुत, सहरसा और पूर्णिया में स्थिति कुछ बेहतर है. तिरहुत में 50%, पूर्णिया में 55% और सहरसा में 45% धान की रोपनी हुई है.

ETV GFX
ETV GFX (ETV Bharat)

''सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुई है. किसानों को हर हालत में मदद पहुंचाई जाएगी. वैसे अभी मॉनसून खत्म नहीं हुआ है. अभी भी कई जिलों में बारिश के आसार लग रहे हैं. फिर भी अपनी तरफ से हमलोग परिस्थिति पर नजर बनाते हुए अधिकारियों के संपर्क में हैं.''- मंगल पांडेय, कृषि मंत्री, बिहार

कब तक कर सकते हैं रोपनीः ऐसे तो धान की रोपनी 15 अगस्त तक किसान करते हैं, लेकिन 31 जुलाई तक धान रोपनी आदर्श माना जाता है. उसके बाद धान के उत्पादकता पर असर पड़ता है. इस बार जून में भीषण गर्मी पड़ी है. मौसम विभाग की तरफ से बिहार में औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की कही गई. जुलाई में मानसून की सक्रियता के बाद फिर से मानसून सुस्त हो गया है. इस वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं.

मॉनसून का आगाज बेहतर रहा थाः शुरुआत में मानसून की बारिश होने के कारण राज्य के सभी प्रमंडल में धान के बिचड़े डाल दिए गए हैं. पटना प्रमंडल में 97%, मगध प्रमंडल में 89%, सारण मंडल में 99%, तिरहुत प्रमंडल में 98%, दरभंगा प्रमंडल में 97%, मुंगेर प्रमंडल में 95%, भागलपुर प्रमंडल में 95%, सहरसा प्रमंडल में 98% और पूर्णिया प्रमंडल में 97% खेतों में बिचड़े डाले गए हैं. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं जिससे धान की रोपनी कर सकें.

ETV GFX
ETV GFX (ETV Bharat.)

"सुखाड़ को लेकर एक बैठक हो चुकी है. कृषि विभाग और आपदा विभाग को तैयार रहने के लिए निर्देश दिया गया है. कृषि विभाग के वैज्ञानिक और अधिकारी नजर बनाए हुए हैं हालांकि अभी काफी समय है आगे आने वाले दिनों में यदि बारिश नहीं होती है तो उसी के हिसाब से विभाग रणनीति तैयार करेगा."- रत्नेश सदा, मंत्री

बारिश का इंतजारः पटना जिले के ही बात करें तो अभी 15 प्रखंड में धान रोपनी लक्ष्य से काफी पीछे है. पटना जिले में धान की रोपनी लक्ष्य से काफी कम हुआ है, पटना जिले में 133093 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी 9600 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. तेज धूप और भीषण गर्मी में किसान अपना खेत तैयार कर रहे हैं कि बारिश होते हैं धान की रोपनी शुरू कर देंगे. यह नजारा सारण और बक्सर सहित कई इलाके में इन दिनों देखने को मिल रहा है.

पलायन का सता रहा डरः किसानों का कहना है जब बारिश ही नहीं हो रही है तो धान की रोपनी कैसे होगी. सारण के किसान राकेश कुमार का कहना है कि जब तक बारिश नहीं होगी धान की रोपनी कैसे कर पाएंगे. सारण में अभिधान की रोकने काफी कम हुआ है बारिश का हम लोग इंतजार कर रहे हैं. वहीं बक्सर के किसान मुकेश कुमार का कहना है किसी तरह धान की रोपनी कुछ इलाके में हुई है. लेकिन बारिश नहीं होने पर खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाएगा. मजबूरी में रोजी-रोटी के लिए दिल्ली मुंबई जाना पड़ेगा.

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धान रोपनी की स्थितिः भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम 1.5% धान की रोपनी हो पाई है. मगध और मुंगेर प्रमंडल में 3% के करीब धान की रोपनी हुई है. पटना प्रमंडल की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. यहां 9% ही धान की रोपनी हुई है. सारण प्रमंडल में 27% धान की रोपनी हुई है. दरभंगा में 15% धान की रोपनी हुई. तिरहुत, सहरसा और पूर्णिया में स्थिति कुछ बेहतर है. तिरहुत में 50%, पूर्णिया में 55% और सहरसा में 45% धान की रोपनी हुई है.

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''सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुई है. किसानों को हर हालत में मदद पहुंचाई जाएगी. वैसे अभी मॉनसून खत्म नहीं हुआ है. अभी भी कई जिलों में बारिश के आसार लग रहे हैं. फिर भी अपनी तरफ से हमलोग परिस्थिति पर नजर बनाते हुए अधिकारियों के संपर्क में हैं.''- मंगल पांडेय, कृषि मंत्री, बिहार

कब तक कर सकते हैं रोपनीः ऐसे तो धान की रोपनी 15 अगस्त तक किसान करते हैं, लेकिन 31 जुलाई तक धान रोपनी आदर्श माना जाता है. उसके बाद धान के उत्पादकता पर असर पड़ता है. इस बार जून में भीषण गर्मी पड़ी है. मौसम विभाग की तरफ से बिहार में औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की कही गई. जुलाई में मानसून की सक्रियता के बाद फिर से मानसून सुस्त हो गया है. इस वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं.

मॉनसून का आगाज बेहतर रहा थाः शुरुआत में मानसून की बारिश होने के कारण राज्य के सभी प्रमंडल में धान के बिचड़े डाल दिए गए हैं. पटना प्रमंडल में 97%, मगध प्रमंडल में 89%, सारण मंडल में 99%, तिरहुत प्रमंडल में 98%, दरभंगा प्रमंडल में 97%, मुंगेर प्रमंडल में 95%, भागलपुर प्रमंडल में 95%, सहरसा प्रमंडल में 98% और पूर्णिया प्रमंडल में 97% खेतों में बिचड़े डाले गए हैं. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं जिससे धान की रोपनी कर सकें.

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"सुखाड़ को लेकर एक बैठक हो चुकी है. कृषि विभाग और आपदा विभाग को तैयार रहने के लिए निर्देश दिया गया है. कृषि विभाग के वैज्ञानिक और अधिकारी नजर बनाए हुए हैं हालांकि अभी काफी समय है आगे आने वाले दिनों में यदि बारिश नहीं होती है तो उसी के हिसाब से विभाग रणनीति तैयार करेगा."- रत्नेश सदा, मंत्री

बारिश का इंतजारः पटना जिले के ही बात करें तो अभी 15 प्रखंड में धान रोपनी लक्ष्य से काफी पीछे है. पटना जिले में धान की रोपनी लक्ष्य से काफी कम हुआ है, पटना जिले में 133093 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी 9600 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. तेज धूप और भीषण गर्मी में किसान अपना खेत तैयार कर रहे हैं कि बारिश होते हैं धान की रोपनी शुरू कर देंगे. यह नजारा सारण और बक्सर सहित कई इलाके में इन दिनों देखने को मिल रहा है.

पलायन का सता रहा डरः किसानों का कहना है जब बारिश ही नहीं हो रही है तो धान की रोपनी कैसे होगी. सारण के किसान राकेश कुमार का कहना है कि जब तक बारिश नहीं होगी धान की रोपनी कैसे कर पाएंगे. सारण में अभिधान की रोकने काफी कम हुआ है बारिश का हम लोग इंतजार कर रहे हैं. वहीं बक्सर के किसान मुकेश कुमार का कहना है किसी तरह धान की रोपनी कुछ इलाके में हुई है. लेकिन बारिश नहीं होने पर खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाएगा. मजबूरी में रोजी-रोटी के लिए दिल्ली मुंबई जाना पड़ेगा.

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Last Updated : Jul 18, 2024, 8:31 PM IST
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