पटना: 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सरगर्मी बढ़ गई है. वहीं चुनाव आयोग ने मंगलवार को बिहार की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. आयोग ने बताया कि 13 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं 23 नवंबर को मतगणना होगी. इसके साथ ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गई है. प्रत्याशियों के नाम पर विमर्श का दौर जारी है. दिल्ली में भाजपा की बैठक भी इस बाबत हो चुकी है.
दिल्ली में हुई भाजपा की उच्च स्तरीय बैठक: बिहार में चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. उपचुनाव को लेकर बिहार के अंदर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. राजनीतिक दल लगातार बैठक कर रहे हैं और प्रत्याशियों के नाम पर मंथन भी चल रहा है. बिहार उपचुनाव को लेकर दिल्ली में भाजपा की उच्च स्तरीय बैठक संपन्न हो चुकी है .बिहार भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने प्रत्याशियों को लेकर मंथन किया है.
"उपचुनाव के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं और महागठबंधन चारों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी. तेजस्वी यादव के नाम और काम पर हम चुनाव लड़ने जा रहे हैं. राष्ट्रीय जनता तांत्रिक गठबंधन को हम उपचुनाव में ही धूल चटाने का काम करेंगे."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
चारों सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में PK: भोजपुर के तरारी, कैमूर के रामगढ़ और गया के बेलागंज और इमामगंज के विधायक सांसद बन चुके हैं. चारों सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. भाजपा, जदयू, राजद, भाकपा माले और प्रशांत किशोर उपचुनाव में दो दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. प्रशांत किशोर चारों सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर चुके हैं.
"हमारे कार्यकर्ता सालों भर चुनाव की तैयारी में लगे रहते हैं. सुशासन और रोजगार की बदौलत हम बिहार के उपचुनाव में जाएंगे. नरेंद्र मोदी के काम और नीतीश कुमार की उपलब्धियों की बदौलत उपचुनाव में हमारी जीत होगी."- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता
जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह होंगे उम्मीदवार: रामगढ़ विधानसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी होगी. रामगढ़ विधानसभा सीट पर जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी है. सुधाकर सिंह सांसद बने हैं और उनके सांसद बनने के बाद रामगढ़ सीट खाली हुई है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से अशोक सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी है. इधर प्रशांत किशोर भी उम्मीदवार उतरने की तैयारी में है. रामगढ़ विधानसभा सीट पर प्रशांत किशोर, आनंद सिंह को मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
"अभी किस सीट पर कौन लड़ेगा यह कहना मुश्किल है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक होगी. बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी और बड़े नेता इस पर अंतिम फैसला लेंगे."- निहोरा यादव, जदयू प्रवक्ता
बाहुबली सुनील पांडे पर होगी सबकी नजर: तरारी विधानसभा सीट पर राजनीतिक दल जोर आजमाइश कर रहे हैं. तरारी विधायक सुदामा प्रसाद सांसद बन चुके हैं और तरारी सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले के खाते में है. भाकपा माले की ओर से राजू यादव को मैदान में उतर जा रहा है. इधर भाजपा ने भी बाहुबली नेता सुनील पांडे और उनके पुत्र को पार्टी में शामिल कराया है. मिल रही जानकारी के मुताबिक सुनील पांडे के पुत्र भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं.
"इमामगंज सीट हमारा मजबूत किला है और जीतन राम मांझी ने इमामगंज क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है. पार्टी जिस किसी को इमामगंज सीट पर उम्मीदवार बनाएगी उसकी जीत होना तय है."- विजय यादव, मुख्य प्रदेश प्रवक्ता, हम पार्टी
मांझी की बहू लड़ सकती हैं इमामगंज से चुनाव: इधर प्रशांत किशोर तरारी विधानसभा सीट पर आईपीएस आनंद मिश्रा को उतारने की तैयारी कर चुके हैं. आनंद मिश्रा क्षेत्र का भ्रमण भी कर रहे हैं. इमामगंज विधानसभा सीट भी जीतन राम मांझी के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. हम पार्टी की ओर से जहां बिहार सरकार के मंत्री संतोष सुमन की पत्नी दीपा मांझी को उतारने की तैयारी है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी या फिर भगवतिया देवी की पुत्री क्षमता देवी को मैदान में उतरने की चर्चा है.
बेलागंज विधानसभा सीट पर जदयू की प्रतिष्ठा दांव पर: बेलागंज विधानसभा सीट सुरेंद्र यादव के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है और बेलागंज राष्ट्रीय जनता दल का मजबूत किला माना जाता है.जदयू बेलागंज सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. सुरेंद्र यादव अपने पुत्र बैद्यनाथ यादव को मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं तो जदयू की ओर से कई नाम चर्चा में है.पूर्व सांसद अरुण कुमार भी प्रयास में लगे हैं.
तमाम दलों का होगा लिटमस टेस्ट: वहीं प्रशांत किशोर भी एनडीए और महागठबंधन को चुनौती देकर तीसरा कोण बनना चाहते हैं. प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि विधानसभा चुनाव से पहले हम उपचुनाव में ही एनडीए और महागठबंधन को धूल चटकार दिखा देंगे. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी का मानना है कि विधानसभा उपचुनाव में तमाम दलों का लिटमस टेस्ट होगा.
"प्रशांत किशोर तीसरा कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर प्रशांत किशोर मजबूत उपस्थिति दर्ज कर सके तो उनके लिए विधानसभा चुनाव के राह आसान होगी. अगर वह फेल हुए तो आगे की राह मुश्किल होने वाली है. खास बात यह है कि इस बार तमाम दल परिवारवाद से खुद को अलग नहीं कर पाएंगे."-प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक
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