बस्तर: आतंक का अंत एक दिन जरुर होता है. विकास और समाज के लिए नासूर बन चुके नक्सलियों का अंत भी अब करीब आ चुका है. जिस रेड कॉरिडोर में पहले ये नक्सली वारदात को अंजाम देने के बाद गुम हो जाते थे, जवानों ने उस रेड कॉरिडोर को अब चारों ओर से लॉक कर दिया है. नक्सली या तो मारे जा रहे हैं या फिर सरकार के सामने सरेंडर कर रहे हैं. बीते कई दशकों में आतंक पर लगाम की कील ठोकने में जवान कामयाब रहे हैं. बीजापुर में 10 मई के दिन 12 घंटे तक चली नॉन स्टॉप मुठभेड़ में जवानों ने 12 नक्सलियों का खात्म कर दिया. नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे. नक्सली अपने मंसूबों में कामयाब हो पाते उससे पहले ही जवानों ने उनको घेरकर ढेर कर दिया.
लाल आतंक पर लगता लगाम: नक्सलगढ़ के नाम से जाना जाने वाला बस्तर कभी बम और बारुद की गंध से पहचाना जाता था. पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे बस्तर में नक्सलियों का राज होता था. जवानों की हिम्मत और सरकार की तगड़ी रणनीति से अब बस्तर की तस्वीर बदल रही है. बीते पांच दशकों में नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए जवानों ने माओवादियों के रेड कॉरिडोर को लॉक कर दिया है. नक्सलियों की पूरी सप्लाई लाइन बंद कर दी है. विकास के दुश्मन बने नक्सलियों की असली तस्वीर भी अब जनता जान चुकी है. जिस रेड कॉरिडोर को ये माओवादी अपनी सुरक्षित पनाहगार मानते थे वो अब उनके लिए खतरे से खाली नहीं है.
रेड कॉरिडोर में घुसे जवान: नक्सलियों को उनकी ही भाषा में जब से जवान जवाब देने लगे हैं तब से नक्सली अपनी जान की भीख मांगते घने जंगलों में भागते फिर रहे हैं. आंध्र, ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड के जंगल वाले इलाकों को मिलाकर नक्सलियों ने रेड कॉरिडोर डेवलप किया था. नक्सली बड़ी वारदातों को अंजाम देकर दूसरे राज्यों की सीमाओं में जाकर छिप जाते थे. नक्ससलियों को ठिकाने लगाने के लिए पड़ोसी राज्य ने ज्वाइंट ऑपरेशन शुरु किया.
नक्सलियों के खिलाफ मजबूत किया नेटवर्क: लाल आतंक के खात्मे के लिए फोर्स ने अपना जमीनी नेटवर्क मजबूत किया. मुखबिरों की फौज खड़ी की. धीरे धीरे कर नक्सलियों के सेफ जोन वाले इलाके में घुसे. देखते ही देखते नक्सली अपने सीमित दायरे में सिमटने लगे. जवानों ने इसका फायदा उठाते हुए नक्सलियों को ट्रेस करना शुरु कर दिया. बड़ी संख्या में नक्सली ढेर होने लगे और सरेंडर करने वालों की संख्या में भी तेजी से बढ़ी. खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ये कह चुके हैं कि आने दो सालों में जो बचे खुचे नक्सली हैं वो भी समापत् हो जाएंगे. कांकेर में तो चुनावी प्रचार के दौरान अमित शाह ने खुली चुनौती देते हुए कहा था कि या तो सरेंडर कर दो या फिर गोली खाओ.
रेड कॉरिडोर में बड़े एनकाउंटर
- 10 जुलाई 1970 श्रीकाकुलम (आंध्र प्रदेश) : श्रीकाकुलम में खूंखार नक्सली सत्यनारायण और आदिबतला कैलासा मुठभेड़ में ढेर.
- 02 नवंबर 1999 करीमनगर (तेलंगाना): पीपुल्स वार ग्रुप के तीन हार्डकोर नक्सली नल्ला आदि रेड्डी, संतोष रेड्डी, मुरली ढेर, 12-12 लाख का था इनाम.
- 07 मार्च 2005 करीमनगर (तेलंगाना): मोहिनीकुंटा गांव के पास मुठभेड़ में सीपीआईएमएल नक्सली रियाज ढेर.
- 17 जून 2006 नल्लामाला (आंध्र प्रदेश) : वरिष्ठ माओवादी नेता मत्तम रविकुमार उर्फ श्रीधर उर्फ अनिल नल्लामल्ला के जंगल में ढेर.
- 13 जुलाई 2006 हैदराबाद (तेलंगाना): ए माधव रेड्डी और आईपीएस अधिकारी जी परदेसी नायडू की हत्या का मास्टरमाइंड और सीपीआई माओवादी राज्य समिति का सचिव माधव मुठभेड़ में मारा गया.
- 15 सितंबर 2006 वारंगल (तेलंगाना) : महादेवपुर थाना इलाके में सीपीआई माओवादी अलवल सरैया उर्फ मधु को जवानों ने ढेर कर दिया.
- 12 अक्टूबर 2006 संगारेड्डी (तेलंगाना): नक्सलियों के राज्य समिति के सदस्य और मेडक समिति के सचिव मंतुरी नागभूषणम उर्फ संजीव उर्फ शुभाष का एनकाउंटर.
- 10 नवंबर 2006 गोपावरम (आंध्र प्रदेश): गोपावरम जंगल में आंध्र प्रदेश राज्य सचिवालय के सदस्य यलगला अप्पा राव उर्फ ओबुलेसु मुठभेड़ में ढेर.
- 28 दिसंबर 2006 विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश): विशाखापत्तनम जिले में नक्सली नेता चंद्रमौली मुठभेड़ में मारा गया, चंद्रमौली आंध्र और ओडिशा के बार्डर एरिया में सक्रिय था.
- 22 जून, 2007 अनंतपुर (आंध्र प्रदेश): शीर्ष माओवादी नेता सांडे राजमौली उर्फ प्रसाद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया.
- 01 जुलाई 2007 वारंगल (तेलंगाना): सीपीआई माओवादीचेट्टीराज पपैया उर्फ सोमन्ना पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया. सोमन्ना उत्तरी तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव सदस्य था.
- 02 अप्रैल, 2008 वारंगल (तेलंगाना): आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ का मोस्ट वांटेड नक्सली गजेरला सरैया उर्फ आज़ाद उर्फ भास्कर मुठभेड़ में मारा गया. एनकाउंटर में आज़ाद की पत्नी भी ढेर हुई.
- 15 जनवरी 2009 प्रकाशम (आंध्र प्रदेश): पुलिस ने प्रकाशम जिले के पुल्लालचेरुवु मंडल के मुलमपल्ली गांव में मुठभेड़ में माओवादी नेता करमथोटा गोविंदा नाइक उर्फ संजीव को मार गिराया.
- 24 मई 2009 वारंगल (तेलंगाना): जवानों ने दो मोस्ट वांटेड नक्सलियों पटेल सुधारकर रेड्डी और सूर्यम उर्फ श्रीकांत सहित कनगुला वेंकटैया को वारंगल के तड़वई जंगल में एनकाउंटर में ढेर कर दिया.
- 02 दिसंबर 2009 आदिलाबाद (तेलंगाना): केरामेरी पुलिस स्टेशन सीमा के अंतर्गत कल्लेगांव-पिट्टागुडा में तीन माओवादी मारे गए, मारे गए माओवादियों की पहचान अदेलु उर्फ भास्कर और चिप्पाकुर्थी रवि उर्फ सुदर्शन के तौर पर हुई. मारे गए तीसरे नक्सली की पहचान नहीं हो पाई.
- 12 मार्च 2010 प्रकाशम (आंध्र प्रदेश): प्रकाशम और वारंगल जिलों में पुलिस ने दो अलग-अलग मुठभेड़ों में दो शीर्ष माओवादी नेताओं सखामुरी अप्पा राव और सोलीपेटा कोंडल रेड्डी को मार गिराया. अप्पा राव पर 10 लाख का इनाम था जबकी कोंडल रेड्डी पर पांच लाख का इनाम था.
- 02 जुलाई 2010 आदिलाबाद (आंध्र प्रदेश): पुलिस ने आदिलाबाद जिले के जोगापुर जंगलों में मुठभेड़ में पोलित ब्यूरो सदस्य चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आज़ाद को मार गिराया.
- 24 नवंबर 2011मिदनापुर (प.बंगाल) : मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी को जवानों ने पंश्चिम बंगाल के मिदनापुर में मार गिराया.
- 23 अगस्त 2013 मलकानगिरी(ओडिशा): खतरनाक नक्सली नेता माधव उर्फ गोल्ला रामुल्लू को जवानों ने ढेर कर दिया. रामुल्लू पर मोस्ट वांटेड नक्सली था और 38 जवानों की हत्या में शामिल था. बारुदी सुरंग विस्फोट में भी शामिल था.
- 24 नवंबर 2016 मल्लपुरम (आंध्र प्रदेश): कुप्पू देव राज उर्फ कुप्पू स्वामी को सुरक्षाबलों ने नीलांबुर जंगल में हुए एनकाउंटर में ढेर कर दिया.
- अक्टूबर 2016 मलकानगिरी(ओडिशा) : जवानों के साथ हुई मुठभेड़ में नक्सलियों के केंद्रीय समिति के चार सदस्य ढेर हुए. मारे गए नक्सलियों में दया उर्फ गरला रवि गणेश, मल्लेश मारे गए. इसके अलावा चलपति उर्फ अप्पा राव उसकी पत्नी अरुणा सहित वेंकट रमण मूर्ति भी ढेर हुए. रवि पर सरकार ने 20 लाख का इनाम रखा था. चलपति उर्फ अप्पा राव पर भी 20 लाख का इनाम था.
- 13 नवंबर 2021 गढ़चिरौली (महाराष्ट्र): एनकाउंटर में 26 नक्सली मारे गए. मारे गए नक्सलियों में प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी संगठन के केंद्रीय समिति के सदस्य मिलिंद तेलतुंबडे भी शामिल था. तेलतुंबडे माओवादी संगठन के महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन का प्रभारी था. मिलिंद तेलतुंबडे पूर्व आईआईटी प्रोफेसर, दलित बुद्धिजीवी और लेखक आनंद तेलतुंबडे का छोटा भाई था.
- 03.अप्रैल 2023 चतरा(झारखंड): चतरा में मुठभेड़ में 65 लाख रुपये के इनामी पांच नक्सिलयों को जवानों ने ढेर कर दिया. मारे गए दो नक्सलियों पर 25-25 लाख का इनाम था जबकी तीन नक्सलियों पर पांच पांच लाख के इनाम रखे गए थे. मारे गए नक्सलियों में गया के डुमरिया का गौतम पासवान और लातेहार का अजीत उरांव शामिल था. नक्सली गौतम पासवान और अजीत उरांव उर्फ चार्लीस पर 25 - 25 लाख का इनाम सरकार ने रखा था.
- 16 अप्रैल 2024 कांकेर(छत्तीसगढ़): कांकेर के छोटेबेठिया के जंगल में जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया. मारे गए नक्सलियों में हार्ड कोर नक्सली शंकर राव भी शामिल था. शंकर राव पर सरकार ने 25 लाख का इनाम रखा था.
- 30 अप्रैल 2024 नारायणपुर(छत्तीसगढ़): अबूझमाड़ में डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने 10 नक्सलियों को मार गिराया. मारे गए नक्सलियों में तीन महिला भी शामिल हैं. मौके से पुलिस को भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक मिले हैं.
- 10 मई 2024 बीजापुर(छत्तीसगढ़): पीडिया के जंगल में नक्सलियों के बड़े लीडर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने कि फिराक में जमा हुए थे. 900 जवानों ने पीडिया के जंगलों को घेरकर 12 माओवादियों को मौत के घाट उतार दिया.
मौत के डर से सरेंडर करने वालों की संख्या बढ़ी: नक्सलवाद के खात्मे की आवाज अब आदिवासी भी उठाने लगे हैं. सालों से विकास से दूर रहे गांव वाले भी चाहते हैं कि उनके गांव में बिजली पानी आए. उनके बच्चे भी दूसरे बच्चों की तरह पढ़े लिखें. सालों तक नक्सलियों ने गांव वालों बहकाकर विकास से दूर रखा. खुद को गरीबों और आदिवासियों का मसीहा बताने वाले नक्सली भी अपनी सच्चाई समझ चुके हैं. सरेंडर में आई तेजी ये बता रही है कि नक्सलवाद के अब बस गिने चुने साल बचे हैं.