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धान बेचने के लिए किसानों का संघर्ष, अब दी आंदोलन की चेतावनी - BIG PROBLEM OF FARMERS

दंतेवाड़ा के कटेकल्याण ब्लॉक के किसान सौ किलोमीटर दूर अपना धान बेच रहे हैं.आईए जानते हैं ऐसा क्यों हैं.

Big problem of farmers
धान बेचने के लिए किसानों का संघर्ष (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 30, 2024, 6:07 PM IST

दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा के कटेकल्याण ब्लॉक में अंगमपाल में धान खरीदी केंद्र न होने का खामियाजा यहां के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. धान खरीदी केंद्र नहीं होने के कारण यहां के आसपास रहने वाले 6 गांवों के करीब 300 किसान 100 किलोमीटर दूर जाकर अपना धान बेचते हैं. इन किसानों को अपना धान बेचने के लिए कटेकल्याण केंद्र आना पड़ता है. अंगमपाल में धान खरीदी केंद्र ना होने की शिकायत कई बार किसानों ने प्रशासनिक अफसरों से की है.लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

किन गांवों के किसानों को हो रही है परेशानी : आपको बता दें कि अंगमपाल पंचायत में 6 गांव आते हैं. जो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है. जंगल पाल, प्रताप गिरी, छोटे गदम, छोटे लखपाल, बड़े गदम, छोटे तोंगपाल और बड़े गदम नाम के इन गांवों के किसानों को 100 किलोमीटर दूरी तय कर कटेकल्याण केंद्र में जाकर अपना धान बेचना पड़ता है.गांव से अधिक दूरी होने के कारण किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इन गांवों के किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है. कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने ग्रामीणों की तकलीफ को सुना है.ग्रामीणों की माने तो उन्हें धान को 100 किलोमीटर दूर लाने में 30 से 40 हजार रुपए का परिवहन भाड़ा लग जाता है. इसके बाद धान बेचने के बाद कोई मुनाफा नहीं होता है.

धान बेचने के लिए किसानों का संघर्ष (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हम आखिरी बार जिला प्रशासन के पास अपनी समस्या लेकर आए हैं.यदि इस बार भी हमारी बातों को अनसुना किया गया तो आने वाले दिनों में हम प्रदेश सरकार के खिलाफ चक्काजाम करेंगे.क्योंकि पिछले 6 साल से हम प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराते आ रहे हैं.लेकिन अब तक किसी भी तरह की कोई सहूलियत हमें नहीं मिली है - माडका सोडी, किसान


आपको बता दें कि किसानों की बातों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने जल्द से जल्द इस समस्या को दूर करने का आश्वासन दिया है.जिसके बाद किसानों को एक बार फिर उम्मीद जागी है कि आने वाले दिनों में उनकी धान परिवहन की समस्या खत्म होगी.

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किन गांवों के किसानों को हो रही है परेशानी : आपको बता दें कि अंगमपाल पंचायत में 6 गांव आते हैं. जो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है. जंगल पाल, प्रताप गिरी, छोटे गदम, छोटे लखपाल, बड़े गदम, छोटे तोंगपाल और बड़े गदम नाम के इन गांवों के किसानों को 100 किलोमीटर दूरी तय कर कटेकल्याण केंद्र में जाकर अपना धान बेचना पड़ता है.गांव से अधिक दूरी होने के कारण किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इन गांवों के किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है. कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने ग्रामीणों की तकलीफ को सुना है.ग्रामीणों की माने तो उन्हें धान को 100 किलोमीटर दूर लाने में 30 से 40 हजार रुपए का परिवहन भाड़ा लग जाता है. इसके बाद धान बेचने के बाद कोई मुनाफा नहीं होता है.

धान बेचने के लिए किसानों का संघर्ष (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हम आखिरी बार जिला प्रशासन के पास अपनी समस्या लेकर आए हैं.यदि इस बार भी हमारी बातों को अनसुना किया गया तो आने वाले दिनों में हम प्रदेश सरकार के खिलाफ चक्काजाम करेंगे.क्योंकि पिछले 6 साल से हम प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत कराते आ रहे हैं.लेकिन अब तक किसी भी तरह की कोई सहूलियत हमें नहीं मिली है - माडका सोडी, किसान


आपको बता दें कि किसानों की बातों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने जल्द से जल्द इस समस्या को दूर करने का आश्वासन दिया है.जिसके बाद किसानों को एक बार फिर उम्मीद जागी है कि आने वाले दिनों में उनकी धान परिवहन की समस्या खत्म होगी.

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