जयपुर. डीजीजीआई जयपुर जोनल यूनिट ने करोड़ों के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है. दो फर्मों ने विभिन्न बैंकों में 19 खाते खोलकर लगभग 1800 करोड़ के लेन-देन किये गए. लगभग 800 करोड़ का नगद निकासी की गई. डीजीजीआई ने खुफिया जानकारी विकसित कर कार्रवाई कार्रवाई को अंजाम देते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. संदिग्ध फर्जी आईटीसी लाभार्थी ने बैंक खाते में पर्याप्त राशि हस्तांतरित की है. फर्मों के बैंक खातों में राशि भेजी जा रही थी. भारी मात्रा में रोज नगद की निकासी की जा रही थी. बिना किसी सामान और सेवाओं की आपूर्ति के 3800 करोड़ से ज्यादा टैक्स और 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकली आईटीसी का लाभ उठाया गया. 19 बैंक खाते अस्थायी रूप से कुर्क किये गए हैं. 4.01 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है.
डीजीजीआई जयपुर जोनल यूनिट के अधिकारियों के मुताबिक एक खुफिया जानकारी विकसित की गई थी. खुफिया जानकारी के आधार पर सामने आया कि एक संदिग्ध फर्जी आईटीसी लाभार्थी ने एक बैंक खाते में पर्याप्त राशि हस्तांतरित की थी, जहां से इस राशि को दो अलग-अलग APMC (Agricultural Produce Market Committee) लाइसेंस द्वारा खोले गए फर्मों के बैंक खातों में भेजा जा रहा था. जहां से भारी मात्रा में रोज नगद निकासी की जा रही थी. आगे जांच से पता चला कि इन दोनों फर्मों ने विभिन्न बैंकों में 19 खाते खोले थे. बैंक खातों में पिछले एक साल की अवधि के दौरान लेयरिंग के बाद बड़े पैमाने पर नकदी की निकासी हुई है.
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DGGI जयपुर का बड़ा एक्शन : सभी 19 बैंक खाते अस्थायी रूप से कुर्क कर लिए गए हैं, जिनमें 4.01 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है. इन दोनों बैंक खातो में लगभग 1800 करोड़ के लेन देन किए गए और लगभग 800 करोड़ का नगद निकास भी किया गया है. डीजीजीआई जयपुर जोनल यूनिट के अधिकारियों ने 31 मई 2024 को व्यापक रेकी के बाद फरार चल रहे दोनों मास्टरमाइंड अंकित बंसल और राजेश गोयल को ढूंढ निकाला. आरोपियों को गिरफ्तार करके पूछताछ की गई. दोनों मास्टरमाइंड के 01 जून 02 जून को बयान दर्ज किए गए. अंकित बंसल और राजेश गोयल ने स्वीकार किया है कि दोनों ने मिलकर एक सिंडिकेट के रूप में काम किया. जान बूझकर और व्यवस्थित तरीके से 353 से अधिक फर्मों से बिना किसी संबंधित सामान या सेवाओं की आपूर्ति के कुल लगभग 3800 करोड़ से अधिक का कर योग्य मूल्य और 700 करोड़ रुपये से अधिक की नकली आईटीसी का लाभ उठाया. लाभ उठाकर और फिर उसे आगे विभिन्न लाभार्थियों को पारित करके सरकारी राजस्व को चूना लगाया है.