वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रिसर्च पेपर को कॉपी पेस्ट करने का मामला सामने आया है. जी हां! BHU के प्रोफेसर ने हरियाणा में एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वह 4 शोध छात्रों पर उनके रिसर्च पेपर को कॉपी पेस्ट करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि, मेरे वाराणसी के पर्यटन 2022 में पब्लिश रिसर्च पेपर को 90 फीसदी तक कॉपी पेस्ट करके दूसरे रिसर्च पेपर को पब्लिश किया गया है. इसे लेकर शिकायत की गई है.
आरोप लगाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर कौस्तव चटर्जी साउथ कैंपस के पर्यटन प्रबंधन में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने 2022 में बनारस की पर्यटन को लेकर रिसर्च किया था. उनका कहना है कि वह इंटरनेट पर अपने रिसर्च को ढूंढ रहे थे. इस दौरान उन्हें उनके रिसर्च से मिलता-जुलता एक पेपर दिखाई दिया. जब उन्होंने उस पेपर को पूरी तरीके से देखा तो वह हैरान हो गए. यह रिसर्च पेपर उनके वाराणसी पर्यटन रिसर्च की हूबहू कॉपी थी. उन्होंने बताया कि नए रिसर्च पेपर में कुछ नई तस्वीर लगाकर, लेखनी में महज 10 फीसदी परिवर्तन कर मेरे पेपर को कॉपी पेस्ट किया गया है. यह ठीक नहीं है.
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शिकायत पत्र के माध्यम से कार्रवाई की मांग : उन्होंने कहा कि, कॉपी पेस्ट के बाबत उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के IQAC कोऑर्डिनेटर को शिकायत की है. शिकायत में उन्होंने हरियाणा के एक विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर और 4 शोधकर्ताओं का नाम शामिल किया है. उन्होंने कहा है, कि शिकायत पत्र को उन्होंने संबंधित विश्वविद्यालय को भी भेजा है. दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.
2022 में BHU पब्लिश किया था पेपर : अपने शिकायत पत्र में डॉक्टर चटर्जी ने लिखा है कि मेरे शोध पत्र का गलत इस्तेमाल किया गया है. इसका शीर्षक सस्टेनेबल टूरिज्म अप्रोच के माध्यम से आधुनिक पर्यटन विकास वाराणसी में तीर्थ यात्रा पर्यटन का एक मामला अध्ययन है. 2022 में इंटरनेशनल क्रिएटिव रिसर्च थॉट्स में मेरा यह पेपर प्रकाशित हुआ था. मुझे पता चला है, कि हरियाणा के विश्वविद्यालय के एक समूह द्वारा मेरे इस रिसर्च पेपर की कॉपी कर सस्टेनेबल टूरिज्म अप्रोच के साथ आधुनिक पर्यटन विकास वाराणसी में तीर्थ यात्रा पर्यटन पर एक मामला अध्ययन, नाम से नया रिसर्च पेपर प्रकाशित किया गया है. जिसमें 90 फीसदी से ज्यादा कॉपी मेरे रिसर्च की है. मैं अनुरोध करता हूं, कि इसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.
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