भोपाल। रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव को याद करते हुए भोपाल की प्रथम महिला महापौर मालिती राय ने श्रद्धाजंलि सभा को संबोधित करते हुए एक किस्सा बयां किया. उन्होंने कहा "मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे रामोजी राव से साक्षात मिलने का एक बार मौका प्राप्त हुआ. उस वक्त मैं भोपाल से पार्षद थी और भोपाल के पार्षदों का दल उस समय रामोजी फिल्म सिटी गया था. उस समय रामोजी राव से साक्षात्कार हुआ. मुलाकात में उन्होंने बताया था कि कैसे वे बचपन में फिल्म देखने साइकिल से लंबा सफर तय किया करते थे. यह उनकी लगन और मेहनत का ही कमाल था कि वे जिस काम को हाथ लगाते, वह सफल ही होता."
रामोजी राव का पूरा जीवन हमें प्रेरणा देता है
महापौर ने कहा "रामोजी राव का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि सकारात्मकता से किसी भी काम को किया जाए उसमें सफलता जरूर मिलती है. कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी रामोजी राव को श्रद्धासुमन अर्पित किए. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वरिष्ठ पत्रकार सम्मलित हुए. मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और ईटीवी संस्थान से जुड़े रहे विनोद तिवारी ने रामोजी राव के श्रद्धांजलि देते हुए कहा "मीडिया के क्षेत्र में खासतौर से इलेक्ट्रानिक मीडिया में उन्होंने जो काम किया है, वह मील का पत्थर है. भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. देश में क्षेत्रीय पत्रकारिता की स्थापना का श्रेय रामोजी राव का ही जाता है. उन्होंने पत्रकारिता को गांव-गांव से जोड़ दिया." वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी ने कहा कि ईनाडू में सिर्फ बड़े शहरों की खबरें नहीं होती थी, बल्कि जिलों, तहसील और गांव तक की खबरों को प्रमुखता दी जाती थी. इससे प्रशासन की आवाज जनता और जनता की आवाज प्रशासन तक पहुंच सके.
सादगी व सरलता के बड़ी प्रतिमूर्ति थे रामोजी राव
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार सुनील शुक्ला ने कहा "रामोजी राव नाम मैं उन महापुरुषों में शुमार करता हूं जो सादगी और सरलता के बहुत बड़े उदाहरण थे. 2003 में मैं जब पहली बार प्रिंट से इलेक्ट्रानिक मीडिया में आया तो ईटीवी ने मुझे मौका दिया. करीब 40 मिनट तक रामोजीराव ने मेरा इंटव्यू लिया. मैं नही मानता कि कोई भी मीडिया मालिक उनकी तरह व्यक्तिगत अभिरुचि के बारे में बात करते हैं. मैं करीब डेढ़ वर्ष तक ईटीवी में रहा तो पाया कि रामोजीराव उसूलों के बहुत पक्के व्यक्ति थे. जैसा आज कहा जाता है कि मीडिया को बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है. लेकिन उनके लिए ऐसा नहीं था. ऐसे कई वाकये सामने आए जिसमें उन्होंने कहा कि हमें फैक्ट फिगर पर काम करना है, किसी के दबाव में नहीं आना है."
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रामोजी राव की जीवन बहुत मार्गदर्शी
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मेहताब आलम ने कहा "रामोजी राव का इंतकाल मेरे लिए मेरा खुद का नुकसान है. मैं ईटीवी उर्दू चैनल पहले आया था, इसके बाद हिंदी में आया. लोग अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकलते हैं, लेकिन मैं पहला रिपेार्टर था, जिसे उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी रिपोर्टिंग के लिए भेजा. रामोजी राव की जीवन बहुत मार्गदर्शी है. मैंने अपनी किताब टेलीविजन इंटव्यू जब लिखी तो उनके नाम डेडिकेट किया तो उन्होंने अपनी दो तीन फोटो मुझे भेजी और बोले इनमें से जो तुम्हे चाहिए सिलेक्ट कर लो. ईटीवी उर्दू के लिए जो मैंने भारत और इसके बाहर काम किया, आज मेरी पहचान भी ईटीवी की वजह से है."