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लंबे समय तक कब्ज और दस्त से हैं परेशान तो जल्दी कराएं जांच, इन लक्षणों से कर सकते हैं रेक्टल कैंसर की पहचान - Symptoms of Rectal Cancer - SYMPTOMS OF RECTAL CANCER

किसी भी सामान्य बीमारी को लंबे समय तक नजरअंदाज करना ठीक बात नहीं है. पेट से संबंधित कब्ज जैसी परेशानी यदि पुरानी है तो ये गंभीर बीमारी का संकेत है. यह मलाशय कैंसर(Rectal Cancer)का लक्षण भी हो सकता है. पढ़ें पूरी खबर.

SYMPTOMS OF RECTAL CANCER
इन लक्षणों से कर सकते हैं रेक्टल कैंसर की पहचान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 9:43 PM IST

भोपाल। आजकल की दिनचर्या और खानपान के कारण पेट खराब होना आम बात हो गई है. लेकिन लंबे समय तक आपको पेट से संबंधित परेशानी रहती है, तो ये गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है. यदि आपको लंबे समय से कब्ज और दस्त की समस्या हो रही है, तो इसकी जांच कराना अनिवार्य है. क्योंकि यह मलाशय कैंसर(Rectal Cancer) का लक्षण हो सकता है.

पाइल्स समझकर न करें अनदेखा

रेक्टल कैंसर के सामान्य लक्षणों में मल के साथ ब्लड का आना भी एक संकेत है. हालांकि लोग इसे पाइल्स समझ लेते हैं और इसका लोकल ट्रीटमेंट कराते हैं. जब मामला गंभीर हो जाता है, तब रेक्टल कैंसर की पहचान हो पाती है. ऐसे में इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए आपको इसके लक्षणों की पहचान करने के साथ अनुभवी डॉक्टरों से सलाह लेना जरुरी है.

मलाशय कैंसर में सामने आते हैं ये लक्षण

मलाशय, छोटी या बड़ी आंत का कैंसर लंबे समय तक पकड़ में नहीं आता है. फिर भी कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिससे आप इस गंभीर बीमारी से सावधान हो सकते हैं. क्योंकि जब आपके मोशन के साथ ब्लड आता है, तो कई बार इसकी पहचान नहीं हो पाती है. ऐसे में हमें रेक्टल कैंसर के अन्य लक्षणों पर भी ध्यान देने की जरुरत है.

मलाशय कैंसर के ये हैं 4 प्रमुख लक्षण

1. रेक्टल कैंसर के दौरान मोशन के साथ ब्लड का आना.
2. एनीमिया या खून की कमी होना, जिससे चक्कर आते हैं.
3. मोशन अनियमित होना, यानि कि कभी आपको कब्ज की समस्या होगी, कभी दस्त होने लगेगा, फिर कब्ज होने लगेगा.
4. वजन कम होना. जैसे पांच महीने में करीब पांच किलो या उसके वजन का करीब 10 प्रतिशत वजन कम हो जाना.

युवाओं में भी तेजी से फैल रही बीमारी

एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव ने बताया कि "पहले यह बीमारी बुजुर्गों में ही देखी जाती थी लेकिन अब खानपान और आदतों में बदलाव की वजह ये युवाओं में भी तेजी से फैल रही है. अब बीमारी ने पैटर्न बदला है और यह 18 से 20 वर्ष के युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है. इसलिए जरुरी है कि जल्द से जल्द हम इसके लक्षणों की पहचान करें."

इस तरह करें रेक्टल कैंसर की पहचान

यदि आपके शरीर में उपर बताए गए लक्षणों में से कोई संकेत नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर रेक्टल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए आपको कोलोनोस्कोपी कराने का सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही फेकल इम्यूनोकेमिकल टेस्ट कराने का भी कह सकते हैं, जो आपके मल में छिपे हुए रक्त का पता लगाता है.

रेक्टल कैंसर होने के हो सकते हैं ये कारण

रेक्टल कैंसर होने के दो अहम कारण हैं. पहला कारण जेनेटिक है. यानि कि आपके परिवार में किसी को था, लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई और यह अगली पीढ़ी तक पहुंच गया. दूसरा कारण खानपान और शारीरिक आदतों में बदलाव है. वहीं मोटापा भी एक कारण हो सकता है.

इस तरह कर सकते हैं बीमारी से बचाव

डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव बताते हैं कि "रेक्टल कैंसर होने का एक कारण रेड मीट का सेवन करना है. यानि कि सुअर, गाय और बकरे का मांस अधिक खाना. स्मोकिंग, तंबाकू और एल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करना. जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर और नूडल्स आदि खाना. हालांकि इसके उलट जो लोग फल और सब्जियों का अधिक सेवन करते हैं या वेजीटेरियन होते हैं, उनमें रेक्टल कैंसर डेवपल होने का खतरा कम होता है."

ये भी पढ़ें:

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जल्द पकड़ में आए तो जीने की संभावना अधिक

रेक्टल, छोटी आंत या बड़ी आंत का कैंसर विश्व में चौथा सबसे कॉमन कैंसर है. फिर भी यदि समय पर बीमारी का पता चल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है. यदि पहले स्टेज में बीमारी का पता चल जाए तो पीड़ित व्यक्ति के जीने की संभावना 98 से 99 प्रतिशत होती है. वहीं सेकंड स्टेज में पता चलने पर यह संभावना 75 प्रतिशत होती है. तीसरे स्टेज पर पहुंचने पर यह लिम्फड नोड के साथ अन्य हिस्सों में पहुंचता है. ऐसे में संभावना 60 प्रतिशत बचती है. इसी तरह चौथे स्टेज में यह लीवर और लंग्स तक पहुंच जाता है, जिससे व्यक्ति के जीने की संभावना 10 से 15 प्रतिशत बचती है.

भोपाल। आजकल की दिनचर्या और खानपान के कारण पेट खराब होना आम बात हो गई है. लेकिन लंबे समय तक आपको पेट से संबंधित परेशानी रहती है, तो ये गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है. यदि आपको लंबे समय से कब्ज और दस्त की समस्या हो रही है, तो इसकी जांच कराना अनिवार्य है. क्योंकि यह मलाशय कैंसर(Rectal Cancer) का लक्षण हो सकता है.

पाइल्स समझकर न करें अनदेखा

रेक्टल कैंसर के सामान्य लक्षणों में मल के साथ ब्लड का आना भी एक संकेत है. हालांकि लोग इसे पाइल्स समझ लेते हैं और इसका लोकल ट्रीटमेंट कराते हैं. जब मामला गंभीर हो जाता है, तब रेक्टल कैंसर की पहचान हो पाती है. ऐसे में इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए आपको इसके लक्षणों की पहचान करने के साथ अनुभवी डॉक्टरों से सलाह लेना जरुरी है.

मलाशय कैंसर में सामने आते हैं ये लक्षण

मलाशय, छोटी या बड़ी आंत का कैंसर लंबे समय तक पकड़ में नहीं आता है. फिर भी कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिससे आप इस गंभीर बीमारी से सावधान हो सकते हैं. क्योंकि जब आपके मोशन के साथ ब्लड आता है, तो कई बार इसकी पहचान नहीं हो पाती है. ऐसे में हमें रेक्टल कैंसर के अन्य लक्षणों पर भी ध्यान देने की जरुरत है.

मलाशय कैंसर के ये हैं 4 प्रमुख लक्षण

1. रेक्टल कैंसर के दौरान मोशन के साथ ब्लड का आना.
2. एनीमिया या खून की कमी होना, जिससे चक्कर आते हैं.
3. मोशन अनियमित होना, यानि कि कभी आपको कब्ज की समस्या होगी, कभी दस्त होने लगेगा, फिर कब्ज होने लगेगा.
4. वजन कम होना. जैसे पांच महीने में करीब पांच किलो या उसके वजन का करीब 10 प्रतिशत वजन कम हो जाना.

युवाओं में भी तेजी से फैल रही बीमारी

एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव ने बताया कि "पहले यह बीमारी बुजुर्गों में ही देखी जाती थी लेकिन अब खानपान और आदतों में बदलाव की वजह ये युवाओं में भी तेजी से फैल रही है. अब बीमारी ने पैटर्न बदला है और यह 18 से 20 वर्ष के युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है. इसलिए जरुरी है कि जल्द से जल्द हम इसके लक्षणों की पहचान करें."

इस तरह करें रेक्टल कैंसर की पहचान

यदि आपके शरीर में उपर बताए गए लक्षणों में से कोई संकेत नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर रेक्टल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए आपको कोलोनोस्कोपी कराने का सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही फेकल इम्यूनोकेमिकल टेस्ट कराने का भी कह सकते हैं, जो आपके मल में छिपे हुए रक्त का पता लगाता है.

रेक्टल कैंसर होने के हो सकते हैं ये कारण

रेक्टल कैंसर होने के दो अहम कारण हैं. पहला कारण जेनेटिक है. यानि कि आपके परिवार में किसी को था, लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई और यह अगली पीढ़ी तक पहुंच गया. दूसरा कारण खानपान और शारीरिक आदतों में बदलाव है. वहीं मोटापा भी एक कारण हो सकता है.

इस तरह कर सकते हैं बीमारी से बचाव

डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव बताते हैं कि "रेक्टल कैंसर होने का एक कारण रेड मीट का सेवन करना है. यानि कि सुअर, गाय और बकरे का मांस अधिक खाना. स्मोकिंग, तंबाकू और एल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करना. जंक फूड जैसे पिज्जा, बर्गर और नूडल्स आदि खाना. हालांकि इसके उलट जो लोग फल और सब्जियों का अधिक सेवन करते हैं या वेजीटेरियन होते हैं, उनमें रेक्टल कैंसर डेवपल होने का खतरा कम होता है."

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रेक्टल, छोटी आंत या बड़ी आंत का कैंसर विश्व में चौथा सबसे कॉमन कैंसर है. फिर भी यदि समय पर बीमारी का पता चल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है. यदि पहले स्टेज में बीमारी का पता चल जाए तो पीड़ित व्यक्ति के जीने की संभावना 98 से 99 प्रतिशत होती है. वहीं सेकंड स्टेज में पता चलने पर यह संभावना 75 प्रतिशत होती है. तीसरे स्टेज पर पहुंचने पर यह लिम्फड नोड के साथ अन्य हिस्सों में पहुंचता है. ऐसे में संभावना 60 प्रतिशत बचती है. इसी तरह चौथे स्टेज में यह लीवर और लंग्स तक पहुंच जाता है, जिससे व्यक्ति के जीने की संभावना 10 से 15 प्रतिशत बचती है.

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