भोपाल: राजधानी के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में शुक्रवार को स्त्री 2024 का शुभारंभ किया गया. 3 दिवसीय यह आयोजन मैनिट, ट्रिपल आईटी और विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद के सयुंक्त तत्वाधान में किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि "यदि आज हमारा धर्म, संस्कृति और परंपराएं जीवित हैं, तो इसमें मातृशक्तियों का महत्वपूर्ण योगदान है. यदि हमारी मातृशक्तियों ने अपने संस्कार और भारतीय ज्ञान परंपरा छोड़ दी होती, तो देश हमारा कब का रसातल में चला गया होता. इतिहास गवाह है कि जिस काल में स्त्रियों की पूजा हुई, उस काल की समृद्धि भी हुई,वहीं जिस काल में स्त्रियों का अपमान हुआ, उस काल का पतन ही हुआ है."
'महिलाओं की वजह से जीवित है भारतीय ज्ञान परंपरा'
आरएनटीयू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर अदिति चतुर्वेदी ने कहा कि "बीते 2 सालों से देश में भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर अच्छा काम हो रहा है लेकिन फिर भी तकनीकी कोर्सों में लड़कियों की भागीदारी कम है. जब हमने इसकी पड़ताल की तो, दो कारण सामने आए. पहला कारण सोसाइटी और दूसरा कारण ग्रामीण क्षेत्र हैं. स्त्री एक्सपो का उद्देश्य है कि हम कैसे अधिक से अधिक महिलाओं को साइंस और टेक्नालॉजी के लिए इंटीग्रेट कर पाएं. इसे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक किस प्रकार प्रसार करें. भारतीय ज्ञान परंपरा की बात करें तो चाहे वो हमारी दादी-नानी का समय हो महिलाओं ने ही इसका संरक्षण किया है."
'साइंस-टेक्नालॉजी में लड़कियों के रोल माडल की कमी'
आरएनटीयू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर अदिति चतुर्वेदी ने बताया कि "हर देश का अपना एक इनोवेशन इंडेक्स होता है. इंडिया का इनोवेशन इंडेक्स 40 है. वहीं यदि रिसर्चर की बात करें, तो हमारे यहां 20 प्रतिशत ही रिसर्चर ऐसे हैं, जो विभिन्न प्रकार के रिसर्चर हैं. आज स्त्रियों के आगे न बढ़ पाने का एक बड़ा कारण उनकी पारिवारिक सोच है. यदि कोई लड़का आगे की पढ़ाई करना चाहता है, तो घर वाले बिना सोचे समझे उसकी इच्छा अनुसार शिक्षा दिलाते हैं. लेकिन लड़कियों के मामले में ऐसा नहीं है. असल मायने में साइंस और टेक्नालाजी में महिलाओं के पास रोल माडल की भी कमी है."
'भारत में महिला विमर्श पश्चिम से प्रभावित'
यूनिवर्सिटी ऑफ देल्ही के नान कालेजिएट वीमेन एजूकेशन बोर्ड की डायरेक्टर प्रोफेसर गीता भट्ट ने बताया कि "भारत में महिला विमर्श पश्चिम से काफी प्रभावित रहा है. इसलिए हम जो इतिहास की हीरोइनों को देखते हैं, उसके लिए हम बाहर के देशों में देखते रहे हैं. लेकिन यदि हम भारत के सदंर्भ में देखें तो यहां रानी अवंतीबाई जैसी प्रशासक हुई हैं. जिन्होंने अपने राज्य में 30 साल तक सुशासन चलाया. इन्होंने प्रशासनिक महकमों को नया आयाम दिया."
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तीन दिवसीय स्त्री 2024 का आयोजन
बता दें कि मैनिट भोपाल में 3 दिवसीय स्त्री 2024 का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देशभर की महिला रिसर्चर शामिल हो रही हैं. शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे. इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर ही प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है.