भोपाल। हाथरस में हुई घटना के बाद द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा है कि ''जो व्यासपीठ पर बैठने के अधिकारी नहीं वो उपदेश देंगे तो ऐसा ही होगा. उन्होंने कहा कि धन अर्जन के उद्देश्य से अगर आप कोई कार्यक्रम करेंगे तो जैसा हाथरस में हुआ बिल्कुल ऐसा ही होगा. शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने हाथरस में हुए हादसे को लेकर कहा कि ''कथा करना चाहिए, कथा करना अच्छी बात है, कथा से लोगों की व्यथा दूर होती है.''
हाथरस हादसे के बाद शंकराचार्य की खरी खरी
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि ''कर्ण के मार्ग से भगवान रस बनकर प्रवेश करते हैं और अंतकरण पवित्र होता है. ये कथाकार का दोष है कि वे कथा में किस तरह के उद्गार व्यक्त करते हैं. असल में कथाओं में जो लिखा हुआ है उसी का प्रवचन करना चाहिए. जिसका आपने चिंतन किया है उसी का मनन करना चाहिए. इसी का परिणाम हाथरस की घटना है. असल में ऐसे लोग व्यासपीठ पर बैठेंगे तो यही होगा. व्यासपीठ पर बैठने के जो अधिकारी नहीं है वो उपदेश देंगे तो ऐसा ही होगा. सनातन धर्म में जन्म लेकर लोग हिंदू धर्म के विरुद्ध बोल रहे हैं. हाथरस में जो घटना हुई है हमारे जो भाई मारे गए हमारी उनके प्रति संवेदना है. दूसरी बार ऐसा मौका ना आए इसका ध्यान आयोजकों को भी रखना चाहिए और कथाकारों को भी."' शंकराचार्य ने कहा कि ''धन अर्जन के उद्देश्य से आप कोई कार्यक्रम करेंगे ऐसा ही होगा.''
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कथा में दोष नहीं, कथाकार का दोष है
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से सवाल था कि फिर इसे रोका कैसे जाए. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि, ''अब ये तो जागृति उनके मन में होना चाहिए. जिन्होंने श्रीमद भागवत का अध्ययन परंपरा से किया है, उनसे भूल नहीं होगी. हमारी बहुत प्राचीन परंपरा है, वैदिक परंपरा है. असल में ज्योतिष शास्त्र में कोई दोष नहीं ज्योतिष से भूल हो जाती है. इसी तरह से कथा में कोई दोष नहीं कथाकार से भूल हो जाती है.'' Hathras Stampede Narrator Fault