भोपाल। जापान का जन्म...भारत से प्यार....हिंदी ही नहीं पंजाबी बांग्ला के भी जानकार....हिंदी से प्रेम था इसलिए ना सिर्फ ये भाषा सीखी, इस जापानी ने दुनिया को हिंदी सिखाने का बीड़ा उठा लिया. जापानियों को हिंदी पढ़ाने के बाद रिटायर हुए प्रोफेसर डॉ. तोमियो मिजोकामी दुनिया से कहते हैं जरुरत की भाषा अंग्रेजी हो सकती है, जज़्बात की भाषा तो हिंदी है. पीएम मोदी की संस्कृत निष्ठ हिंदी के बड़े प्रशंसक तोमियो मिजोकामी वो जापानी हैं जिन्हें भारत ने पद्मश्री से भी नवाज़ा है. ईटीवी भारत से बातचीत में हिंदी से पहली मुलाकात से लेकर उससे हुई मोहब्बत और फिर पीएम मोदी जी से मुलाकात तक तमाम बातें की, वह भी सब हिंदी में.
हिंदी से प्रेम हुआ कैसे...पहली मुलाकात कैसे
तोमियो मिजोकामी इस सवाल पर पहले मुस्कुराते हैं फिर कहते हैं ''ये बड़ी लंबी कहानी है, बहुत घबराहट है इसे बताने में. मैंने अपनी किताब में इसके बारे में विस्तार से लिखा है.'' वे बताते हैं मेरा जन्मस्थान पश्चिमी जापान कोबे है. जहां काफी संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं. उन लोगों ने मुझे प्रभावित किया है. मैं स्कूल का बहुत मासूम सा लड़का था. मैंने अप्रवासी भारतीयों से हिदी बोलना सीखा और सुंदर भारतीय महिलाओं ने मुझे हिंदी बोलने के लिए प्रेरित किया.''
भारत आना चाहता था तो सीखी हिंदी
तोमियो मिजोकामी कहते हैं ''मैं भारत आना चाहता था, हिंदी से लगाव था. मैं चाहता था कि हिंदी के उपयोग से आदान प्रदान करके व्यापार करूंगा. व्यापार के माध्यम मे हिंदी का उपयोग हो. वो इच्छा पूर्ण हो रही थी कि उसी बीच में अध्यापन कार्य में आ गया. फिर मैंने बीए हिंदी में किया फिर एमए किया. स्टूडेंट रहते हुए कोई भविष्य नहीं दिख रहा था लेकिन मैं भविष्य बनाने हिंदी पढ़ भी नहीं रहा था. मुझे तो हिंदी से प्रेम था.''
हिंदी युरोपियन भाषाओं के मुकाबले आसान
तोमियो मिजोकामी कहते हैं ''हिंदी की बात करें तो व्याकरण के लिहाज से हिंदी यूरोपियन भाषाओं के मुकाबले कठिन नहीं है, व्याकरण बहुत नियमित है, सरल है. लेकिन उसके इस्तेमाल के लिए अभ्यास व्याकरण सीखना मुश्किल नहीं है. धाराप्रवाह हिंदी बोलना जरुर अलग बात है उसके लिए बहुत अभ्यास करना चाहिए.''
PM मोदी की हिंदी संस्कृत निष्ठ है
किस भारतीय राजनेता की हिंदी ने प्रभावित किया, इस सवाल पर तोमियो मिजोकामी कहते हैं, ''PM नरेन्द्र मोदी की हिंदी बहुत अच्छी है. उनकी हिंदी संस्कृतनिष्ठ हिंदी है. आम जनता के लिए थोड़ी कठिन हो सकती है लेकिन हमारे लिए स्पष्ट है.'' वे कहते हैं मैं भारतीयों से कहता हूं हिंदी में भविष्य है. फिर सबसे बड़ी बात ये आपकी मातृभाषा है. आप मातृभाषा से प्यार कीजिए अंग्रेजी सीखना अच्छा है अंग्रेजी के बिना काम नहीं चलता. लेकिन अंग्रेजीयत छोड़िए. नाहक आप लोगों ने अंग्रेजीयत खुद ओढ़ ली है. ये अंग्रेजीयत अंग्रेजों की देन नहीं है भारतीयों ने खुद ओढ लिया है इसे.''
दिल की भाषा हिंदी है
तोमियो मिजोकामी से सुनिए तो दिल की भाषा हिदी है. वे कहते हैं ''मुझे हिंदी, पंजाबी, बांग्ला में बाते करने में बहुत अच्छा लगता है. जब हिंदी में बोलता हूं तो भावना आ जाती है. मैं अंग्रेजी मजबूरन बोलता हूं, जरुरत के लिए अंग्रेजी बोलता हूं. अंग्रेजी से मेरा रागात्मक संबध नहीं है. हिंदी बोल रहा हूं तो हां मुझे आप लोगों से हिंदी हो या बांग्ला भारतीय भाषा से बात करने में बहुत अच्छा लगता है. क्या खासियत है जो हिंदी में है और किसी और जुबान में नहीं ये दिल की भाषा है भावना आ जाती है. हिंदी बोल रहा हूं मैं भारतीय बन रहा हूं या बन चुका हूं. 2018 में ओसाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ तोमियो मिजोकामी हिंदी सेवी और शिक्षा में योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजे गए.