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महंगाई में आटा होगा 'गीला', MSP के बजाय मंडियों में महंगा गेहूं बेच रहे किसान - mp farmers selling wheat in mandi

MP Wheat Atta Expensive: मध्य प्रदेश में किसान सरकार की बजाय खुले में ज्यादा गेहूं बेच रहे हैं. दरअसल मंडियों में गेहूं के ज्यादा दाम मिल रहे हैं और राशि का भुगतान भी तुरंत हो जाता है. कई क्षेत्रों में आईटीसी सहित अन्य आटा बनाने वाली कंपनियां किसानों के खेतों से हो अनाज उठा रही हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आटा और महंगा हो सकता है.

wheat flour will be expensive
एमपी में आटा होगा महंगा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 9:45 AM IST

भोपाल। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में गेहूं को 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की थी. किसान संघ के दवाब में सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का एलान किया था, लेकिन अब किसानों की सरकार पर खासतौर से समर्थन मूल्य को लेकर निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है. किसानों ने अपना 13 लाख टन गेहूं बाजार में बेचा है, वो भी 3 सालों में. गेहूं पैदा करने वाले बिसन खेड़ी के किसान रामप्रसाद सिंह का कहना है कि ''समर्थन मूल्य पर गेहूं के दाम बाजार दर से कम हैं. उनके अनाज के दाम खुली मंडियों में ज्यादा मिल रहे हैं. कई क्षेत्रों में आईटीसी सहित अन्य आटा बनाने वाली कंपनियां किसानों के खेतों से हो अनाज उठा लेती हैं.''

mp farmers selling wheat in mandi
मंडियों में महंगा गेहूं बेच रहे किसान

बार-बार पंजीयन का मौका

इस साल समर्थन मूल्य 2,225 रु. प्रति क्विंटल है जिस पर 125 रुपए बोनस मिल रहा है. इसलिए सरकार को उम्मीद है कि यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि गेहूं पर 125 रुपए बोनस की घोषणा की गई है. इस साल किसानों बार-बार पंजीयन का मौका दिया जा रहा है. पहले 29 फरवरी, इसके बाद 6 मार्च, फिर 10 मार्च और अब 16 मार्च अंतिम तारीख है. अब तक 15 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है.

घट रहा है रजिस्ट्रेशन
वर्ष - रजिस्ट्रेशन
2021 - 27.26 लाख
2022 - 21 लाख
2023 - 16.95 लाख

आदिवासी जिले में 21% से भी रजिस्ट्रेशन हुए कम

बड़वानी, बुरहानपुर सहित 9 आदिवासी जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 21 फीसदी कम रजिस्ट्रेशन हुआ है. वही हरदा, भोपाल और नर्मदापुरम में 5 से 7 फीसदी किसानों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है. मुरैना, भिंड और अशोक नगर जिले में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुने ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराया है.

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गेहूं का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाने पर भड़के किसान, इंदौर में प्रदर्शन कर सरकार को वादा याद दिलाया

रजिस्ट्रेशन के बाद भी गेहूं नहीं बेचा

पिछले वर्ष 16.94 लाख किसानों ने गेंहू बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन, इसमें से 13 लाख किसानों ने ही गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा था. खास बात यह है कि बाजार में गेहूं के अच्छे दाम मिलने से किसान खुले बाजार में गेहूं देते हैं. भोपाल के रहने वाले किसान संजय कुमार कहते हैं कि ''पिछले साल बाजार मूल्य, समर्थन मूल्य से ज्यादा था. इसके चलते गेहूं बाजार में बेच दिया था. गेंहू सरकार को बेचते हैं तो राशि का भुगतान देरी से होता है, लेकिन मंडी में तुरंत
पेमेंट मिल जाता है.''

16 मार्च हुई पंजीयन की तारीख

रविन्द्र सिंह खाद्य आयुक्त ने बताया कि ''पंजीयन की आखिरी तारीख बढ़ाकर 16 मार्च की गई है. सरकार ने बोनस देने की भी घोषणा कर दी है, इससे किसानों का पंजीयन पिछले वर्ष से ज्यादा होने की उम्मीद है.

भोपाल। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में गेहूं को 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की थी. किसान संघ के दवाब में सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का एलान किया था, लेकिन अब किसानों की सरकार पर खासतौर से समर्थन मूल्य को लेकर निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जा रही है. किसानों ने अपना 13 लाख टन गेहूं बाजार में बेचा है, वो भी 3 सालों में. गेहूं पैदा करने वाले बिसन खेड़ी के किसान रामप्रसाद सिंह का कहना है कि ''समर्थन मूल्य पर गेहूं के दाम बाजार दर से कम हैं. उनके अनाज के दाम खुली मंडियों में ज्यादा मिल रहे हैं. कई क्षेत्रों में आईटीसी सहित अन्य आटा बनाने वाली कंपनियां किसानों के खेतों से हो अनाज उठा लेती हैं.''

mp farmers selling wheat in mandi
मंडियों में महंगा गेहूं बेच रहे किसान

बार-बार पंजीयन का मौका

इस साल समर्थन मूल्य 2,225 रु. प्रति क्विंटल है जिस पर 125 रुपए बोनस मिल रहा है. इसलिए सरकार को उम्मीद है कि यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि गेहूं पर 125 रुपए बोनस की घोषणा की गई है. इस साल किसानों बार-बार पंजीयन का मौका दिया जा रहा है. पहले 29 फरवरी, इसके बाद 6 मार्च, फिर 10 मार्च और अब 16 मार्च अंतिम तारीख है. अब तक 15 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है.

घट रहा है रजिस्ट्रेशन
वर्ष - रजिस्ट्रेशन
2021 - 27.26 लाख
2022 - 21 लाख
2023 - 16.95 लाख

आदिवासी जिले में 21% से भी रजिस्ट्रेशन हुए कम

बड़वानी, बुरहानपुर सहित 9 आदिवासी जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 21 फीसदी कम रजिस्ट्रेशन हुआ है. वही हरदा, भोपाल और नर्मदापुरम में 5 से 7 फीसदी किसानों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है. मुरैना, भिंड और अशोक नगर जिले में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुने ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराया है.

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रजिस्ट्रेशन के बाद भी गेहूं नहीं बेचा

पिछले वर्ष 16.94 लाख किसानों ने गेंहू बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन, इसमें से 13 लाख किसानों ने ही गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा था. खास बात यह है कि बाजार में गेहूं के अच्छे दाम मिलने से किसान खुले बाजार में गेहूं देते हैं. भोपाल के रहने वाले किसान संजय कुमार कहते हैं कि ''पिछले साल बाजार मूल्य, समर्थन मूल्य से ज्यादा था. इसके चलते गेहूं बाजार में बेच दिया था. गेंहू सरकार को बेचते हैं तो राशि का भुगतान देरी से होता है, लेकिन मंडी में तुरंत
पेमेंट मिल जाता है.''

16 मार्च हुई पंजीयन की तारीख

रविन्द्र सिंह खाद्य आयुक्त ने बताया कि ''पंजीयन की आखिरी तारीख बढ़ाकर 16 मार्च की गई है. सरकार ने बोनस देने की भी घोषणा कर दी है, इससे किसानों का पंजीयन पिछले वर्ष से ज्यादा होने की उम्मीद है.

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