भोपाल: मध्य प्रदेश के तकनीकी कॉलेजों में एडमिशन कराने की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदेश में 45 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली रह गई. इन सीटों को भरने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने दो राउंड की काउंसलिंग कराई. इसके बाद भी सीटें नहीं भरी, तो दो बार कॉलेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) भी कराई गई. इसके बाद भी 1 लाख 10 लाख सीटों पर स्टूडेंट्स ही नहीं मिले. प्रदेश में कुल 2 लाख 60 हजार सीटों पर काउंसलिंग कराई गई थी. जिसमें से सिर्फ डेढ़ लाख सीटों पर ही एडमिशन हुए हैं.
फार्मेसी की स्टूडेंट्स में बढ़ी डिमांड
तकनीकी कॉलेजों में एडमिशन के लिए अक्टूबर माह में काउंसलिंग खत्म होने के बाद अब फॉर्मेसी कोर्सेस में एडमिशन के लिए काउंसलिंग खत्म हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए समय सीमा निर्धारित की थी. विभाग ने इसके लिए दो राउंड की काउंसलिंग और दो सीएलसी भी कराई. फार्मेसी कोर्स की 30 हजार सीटों में से 24 हजार सीटों पर एडमिशन हो गए. हालांकि, 6 हजार सीटें खाली रह गई हैं. बीफार्मा कोर्स में सबसे ज्यादा एडमिशन हुए हैं. बीफार्मा की कुल 16340 सीटें थी, जिसमें से 15386 सीटें फुल हो गई. वहीं डी-फार्मा कोर्स की पांच हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं. 8 बी-फार्मा और डी-फार्मा कॉलेजों को एक भी नया स्टूडेंट नहीं मिला. प्रदेश में एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो गई है. अब खाली रह गई सीटों पर प्रवेश नहीं हो सकेंगे.
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इंजीनियरिंग की 30 हजार सीटें खाली
उधर बीफार्म कोर्सेस के साथ ही प्रदेश में काउंसलिंग प्रक्रिया खत्म हो गई है. प्रदेश में एमबीए और इंजीनियरिंग कॉलेजों की करीबन 30-30 हजार सीटें खाली रह गईं. प्रदेश में 62 हजार एमबीए सीटों में से 36 हजार 858 पर ही एडमिशन हो सके. वहीं इंजीनियरिंग की 73 हजार 500 सीटों में से 42 हजार 858 सीटों पर एडमिशन हुए हैं. बीफार्मा की 16340 सीटों में से 15386 एडमिशन हुए हैं.
एमसीए सीटों पर 6 हजार सीटों में से 3668 सीटें भर पाई. इसी तरह बीई डिप्लोमा की 33 हजार 225 सीटों में से 20 हजार सीटें खाली रह गई. उधर तकनीकी विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर लक्ष्मीनारायण रेड्डी कहते हैं कि हर साल छात्रों का सब्जेक्ट्स को लेकर रूझान बदलता रहता है. कई बार छात्र इंजीनियरिंग की किसी खास ब्रांच में एडमिशन ज्यादा लेते हैं, तो किसी साल सिविल ब्रांच में इस बार फार्मेसी को लेकर छात्रों का रूझान ज्यादा देखने को मिला है.